पटना: केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार केंद्र का GST संग्रह पिछले साल के मुकाबले बढ़ा (Bihar GST collection decreased) है. बिहार के पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश में भी अच्छी ग्रोथ देखी जा रही है, लेकिन बिहार में पिछले साल के मुकाबले जुलाई में जीएसटी संग्रह घटा है. 2021 जुलाई में 12 81 करोड़ जीएसटी के रूप में संग्रह की गई थी. लेकिन, इस साल जुलाई में घटकर 1264 करोड़ों हो गया. पिछले साल अप्रैल में भी जीएसटी संग्रह 1508 करोड़ था. इस साल अप्रैल में यह घटकर 1471 करोड़ हो गया है. हालांकि इस बीच मई और जून में जरूर बढ़ा है. जुलाई महीने में देश के अधिकांश राज्यों में जीएसटी संग्रह में वृद्धि दर्ज की गई है. बिहार में GST कलेक्शन घटना अर्थशास्त्री भी इसे चिंताजनक बता रहे हैं.
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'बिहार में बाधित हुई आर्थिक गतिविधि': बिहार के अर्थशास्त्री प्रो एनके चौधरी का कहना है कि जीएसटी आर्थिक गतिविधियों का प्रतीक है. ये सरकार के आर्थिक सेहत को रिफ्लेक्ट करता है. एनके चौधरी का कहना है कि जब जीएसटी कलेक्शन बढ़ता है तो केंद्र सरकार दावा करती है कि देश में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है. प्रोडक्शन बढ़ा है और कंजम्प्शन भी बढ़ा है. रोजगार में वृद्धि हुई है. स्वाभाविक है यदि बिहार में पिछले साल की तुलना में जीएसटी कलेक्शन घटा है तो यह प्रमाण है कि बिहार में पहले की तुलना में आर्थिक गतिविधियां बाधित हुई हैं.
'घटे जीएसटी कलेक्शन पर वित्त मंत्री की सफाई': आर्थिक गतिविधियों का मतलब प्रोडक्शन, डिस्ट्रीब्यूशन और कंजम्प्शन कम हुआ है. रोजगार बढ़ने की जगह घटा है. तभी तो लोगों की परचेजिंग पावर में कमी हुई है. जब रोजगार नहीं होगा तो स्वभाविक है परचेजिंग पावर भी लोगों की नहीं बढ़ेगी. इसका सीधा असर जीएसटी कलेक्शन पर पड़ना है. बिहार के वित्त मंत्री और उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Finance Minister Tarkishor Prasad) ने जीएसटी कलेक्शन को लेकर सफाई देते हुए कहा कि बिहार के व्यापारी अपना माल दूसरे राज्य में खरीदते और बेचते हैं. वह जीएसटी बिहार को नहीं मिलता है. जिस से बिहार को बड़ा नुकसान होता है.
'बिहार में क्यों नहीं इस तरह का माहौल है कि व्यापारी अपनी गतिविधियां यहीं करें और कमोबेश स्थिति जो अर्ध विकसित राज्य में है सभी के साथ है. इसलिए सरकार के तर्क में दम नहीं है'- ऐनके चौधरी, अर्थशास्त्री
क्या कहते हैं आर्थिक विशेषज्ञ: आर्थिक विशेषज्ञ डॉ विद्यार्थी विकास का कहना है कि- बिहार के साथ कुछ ही राज्यों का जीएसटी कलेक्शन पिछले साल के मुकाबले जुलाई में घटा है. इसमें जम्मू कश्मीर, त्रिपुरा और दमन दीव शामिल हैं. लेकिन इनके अलावा सभी राज्यों में जीएसटी कलेक्शन बढ़ा है. यदि कारणों की पड़ताल करें तो बिहार में उसका सबसे बड़ा कारण बेरोजगारी का दर बढ़ना है. बिहार में अभी जुलाई में 18.8% बेरोजगारी दर पहुंच गया है जबकि जनवरी से अप्रैल तक यह 17.6% के आसपास रही है. अन्य कारणों में महंगाई एक बड़ा कारण है लोग कम खरीदना चाहते हैं. इसके अलावा कृषि और रियल एस्टेट का असर भी जीएसटी कलेक्शन पर पड़ा है, बिहार में माइक्रो इंटरप्राइजेज में कमी आना भी जीएसटी कलेक्शन पर असर डाल रहा है.
राज्य | 2021 जुलाई का GST कलेक्शन | 2022 जुलाई का GST कलेक्शन |
बिहार | 1281 करोड़ रुपए | 1264 करोड़ रुपए |
उत्तर प्रदेश | 2011 करोड़ रुपए | 7014 करोड़ रुपए |
झारखंड | 2056 करोड़ रुपए | 2514 करोड़ रुपए |
पश्चिम बंगाल | 3463 करोड़ रुपए | 4641 करोड़ रुपए |
इसी तरह अप्रैल में भी देखें तो पिछले साल बिहार का जीएसटी संग्रह 1508 करोड़ था. लेकिन इस साल अप्रैल में यह घटकर 1471 करोड़ हो गया था. मई-जून में सुधार जरूर हुआ लेकिन जुलाई में पिछले साल के मुकाबले जीएसटी कलेक्शन घट गया. यह स्थिति तब है जब देश में जीएसटी कलेक्शन पिछले साल के मुकाबले लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है.
जनसंख्या के अनुपात में टैक्स का संग्रह नहीं: बिहार की आबादी 12 करोड़ से अधिक है. जनसंख्या घनत्व पूरे देश में सबसे अधिक है. फिर भी टैक्स का संग्रह उस अनुपात में नहीं हो रहा है. छोटे-छोटे राज्य जीएसटी संग्रह में बिहार के आसपास ही दिखते हैं. महाराष्ट्र, गुजरात और अन्य विकसित राज्यों की तुलना तो बिहार से की ही नहीं जा सकती है. पहले से ही वैसे राज्य राजस्व संग्रह में बिहार से काफी आगे हैं और लगातार जीएसटी संग्रह इन राज्यों का बढ़ रहा है. देश का भी जीएसटी संग्रह पिछले साल की तुलना में बढ़ रहा है. लेकिन बिहार का जीएसटी संग्रह घटना अर्थशास्त्रियों को भी चिंतित कर रहा है. इसलिये सरकार को इस मामले में गंभीरता से लेने का सुझाव दे रहे हैं. क्योंकि इन सबका असर बिहार में चल रहे विकास योजना पड़ पड़ेगा.