पटना: स्थापना के कई दशक बाद भी वाणिज्य महाविद्यालय के पास अपना भवन नहीं है. कॉलेज के 4 कमरों में 2200 छात्र-छात्राएं पढ़ने को मजबूर हैं. कॉलेज के प्राचार्य ने सीएम नीतीश कुमार से इस ओर ध्यान देने की मांग की है.
4 कमरों में पढ़ रहे 2200 छात्र
सूबे में कई सरकारें आयीं और चली गईं, लेकिन उच्च शिक्षा में कई कीर्तिमान स्थापित करने वाले पटना विश्वविद्यालय के वाणिज्य महाविद्यालय की बदहाली दूर नहीं हुई. बदहाली का आलम यह है कि यहां पढ़ने के लिए सिर्फ 4 कमरे हैं. जबकि छात्र-छात्राओं की संख्या 2200 है. इन्ही चार कमरों में बीकॉम, एमकॉम और बीबीए की पढ़ाई होती है.
सीएम से कायाकल्प के लिए गुहार
वाणिज्य महाविद्यालय के प्राचार्य चंद्रमा सिंह इस संबंध में ईटीवी भारत को जानकारी देते हुए कहते हैं कि 1975 में इसकी स्थापना हुई थी. उस समय इसे पटना कॉलेज के कैंपस में एक बिल्डिंग दिया गया था. लगभग पांच दशक होने वाले हैं. आज तक इसे स्थायी कैंपस नहीं मिला. सरकार ने आज तक कोई पहल नहीं की. उन्होंने ने सीएम से अपील करते हुए कहा कि सीएम साहब इस कॉलेज का कायाकल्प कीजिए. बिहार का सर्वोत्तम महाविद्यालय आपकी बाट जोह रहा है. वे कहते हैं कि यह कोई विभाग का मामला नहीं है. इसके भवन निर्माण के लिए कम से कम 25 करोड़ की आवश्यकता है. सीएम इस विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं. वे यहां के छात्रों का दर्द जरूर समझेंगे.
सीट बढ़ी, पर बैठने की जगह नहीं
प्राचार्य चंद्रमा सिंह कहते हैं कि यहां सिर्फ 4 नियमित शिक्षक हैं. छात्रों को दो शिफ्ट में पढ़ाया जा रहा है. बीकॉम में गेस्ट फैकेल्टी की बहाली नहीं हुई है. वहीं जाप छात्र नेता गौतम आनंद कहते हैं कि बीकॉम में वोकेशनल के तहत 400 सीटों की वृद्धि की गई. लेकिन यहां छात्रों को बैठने के लिए जगह नहीं है. छात्र शुल्क तो देते हैं, लेकिन सुविधा नहीं मिलती. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कॉलेज के छात्रों को जल्द से जल्द सारी सुविधाएं दी जाए.
एक साथ पढ़ते हैं 200 छात्र
गौरतलब है कि वाणिज्य महाविद्यालय में भवन के अलावे न तो पर्याप्त स्टाफ है और ना ही शिक्षक. इसी भवन में प्राचार्य का ऑफिस सहित पीजी के विभाग भी चलते हैं. वहीं वाणिज्य महाविद्यालय के छात्रों ने अपनी परेशानी बतायी. हर शिफ्ट में छात्र अपनी बारी का इंतजार करते हैं. हर सत्र के 400 छात्रों को दो सेक्शन में बांटकर पढ़ाया जाता है. एक बैच में 200 छात्र एक साथ पढ़ते हैं. अगर सभी छात्र क्लास में आ जाए तो बैठने की जगह नहीं बचती.