पटना: इन दिनों कोरोना वायरस ने पूरे विश्व के लोगों का जीना दूभर कर दिया है. इस वायरस के फैलते संक्रमण को रोकने के लिए पीएम मोदी ने पूरे देश में एहतियात के तौर पर लॉकडाउन जारी करने का आदेश दिया. देशभर में लगभग यातायात के सभी साधन एक साथ ठप हो गए. ऐसे में दिल्ली समेत कई अन्य बड़े शहरों में काम कर रहे बिहारी मजदूर मजबूरी और जल्द से जल्द सुरक्षित अपने-अपने घर पहुंचने के लिए पैदल ही रास्ता नाप रहे है.
इन हालातों के बीच यूपी सरकार ने इन मजदूरों को वापस घर भेजने के लिए कई विशेष बसों का इंतजाम किया है. बिहारी मजदूरों को इन बसों में भरकर वापस बिहार भेजा जा रहा है. इस मामले पर सीएम नीतीश ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि पूरे देश में वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए एहतियात के तौर पर लॉकडाउन किया गया है. इन हालातों में दूसरे राज्यों में रह रहे प्रवासी मजदूरों को किसी भी हालात में वापस भेजना उचित नहीं है. ऐसे में लॉकडाउन नियम का पालन भी नहीं हो पा रहा है.
'कोरोना से निपटने के लिए जारी किया गया था लॉक डाउन'
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक सीएम नीतीश ने कहा कि विशेष बसों से बिहारी मजदूरों को वापस भेजना एक गलत कदम है. सीएम ने कहा कि कोरोना वायरस एक ऐसे महामारी है. जिससे निपटने के लिए आज पूरा देश एक साथ मजबूती से खड़ा है. विशेष बसों से मजदूरों को वापस भेजने से लॉकडाउन का उल्लंघन होगा. नीतीश कुमार ने कहा कि लॉक डाउन में जो जहां है. जिस स्थिति में है. वहीं पर रहने के लिए लागू किया गया था. लेकिन बसों से मजदूरों को वापस भेजने से लॉक डाउन का कोई मतलब ही नहीं रहा जाता है.
'राहत कैंप लगाकर बेसहारों को दिया जाए सहारा'
सीएम नीतीश ने विशेष बसों से लोगों को वापस भेजने को एक गलत कदम ठहराते हुए कहा कि बेसहारों के लिए बिहार में विशेष राहत कैंप चलाया जा रहा है. मजदूरों और अन्य लोगों को वापस भेजने से बेहतर उन्हें राहत पहुंचाने में होता. इसके लिए सरकार राहत कैंप लगाकर लॉक डाउन तक उनके रहने और भोजन समेत मेडिकल का इंतजाम करती तो बेहतर रहता.
गौरतलब है कि दिल्ली और कई अन्य प्रदेशों से जल्दी घर पहुंचने की चाहत में कई मजदूर पैदल ही दिल्ली से बिहार का रास्ता नाप रहे हैं. ऐसे में यूपी की सरकार ने पैदल घर जा रहे मजदूरों और अन्य राहगीरों के लिए 200 से भी अधिक विशेष बसों का इंतजाम किया है. ये सभी बस नोएडा से हर 2-2 घंटे पर खुलेगी.