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BPSC Teacher Joining Letter : 2 नवंबर को गांधी मैदान में लगेगा बेरोजगारों का महाकुंभ, शक्ति प्रदर्शन पर सियासी संग्राम

बिहार में बेरोजगारी चुनावी मुद्दा बन चुका है. रोजगार देना अब सरकार के लिए विवशता हो गई है. युवाओं को आकर्षित करने के लिए नियुक्ति पत्र बांटे जा रहे हैं. ऐतिहासिक गांधी मैदान एक बार फिर गवाह बनने जा रहा है. एक तरह से महागठबंधन शक्ति प्रदर्शन की तैयारी में जुटा है.

नियुक्ति पत्र के बहाने शक्ति प्रदर्शन की सियासत
नियुक्ति पत्र के बहाने शक्ति प्रदर्शन की सियासत
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 21, 2023, 10:32 PM IST

नियुक्ति पत्र के बहाने शक्ति प्रदर्शन की सियासत

पटना : लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राजनीतिक दलों ने जोर आजमाइश शुरू कर दिया है. युवाओं को अपने पक्ष में लाने के लिए नियुक्ति पत्र बांटे जा रहे हैं. महागठबंधन और एनडीए दोनों ओर से कैंप लगाकर युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए जा रहे हैं. आगामी 2 नवंबर को महागठबंधन के द्वारा शक्ति प्रदर्शन की तैयारी है. गांधी मैदान में लोगों को नियुक्ति पत्र बांटे जाने हैं. जिसमें 1.20 लाख से अधिक अभ्यर्थियों को बुलाने की तैयारी है.

ये भी पढ़ें- 'गांधी मैदान में BPSC शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपने दीजिए, पता चल जाएगा बिहार के कितने लड़कों को नौकरी दी'

रोजगार के मुद्दे पर होंगे आगामी चुनाव : आपको बता दें कि 2015 के विधानसभा चुनाव में रोजगार चुनावी मुद्दा बना था. तेजस्वी यादव ने पहली कैबिनेट में 10 लाख सरकारी नौकरी देने का वादा किया था. बाद में नीतीश कुमार ने इसे बढ़ाकर 20 लाख युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से भी 19 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया गया था. बिहार में युवाओं की आबादी अच्छी खासी है. अखिल भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण 2016-17 से यह जानकारी सामने आई थी कि बिहार में 18 वर्ष से 23 वर्ष के बीच युवाओं की जनसंख्या करीब एक करोड़ 14 लाख है.


2 नवंबर को बेरोजगारों का महाकुंभ : मिल रही जानकारी के मुताबिक 2 नवंबर को बिहार सरकार मेगा इवेंट आयोजित करने जा रही है. गांधी मैदान में 1.20 लाख से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र बांटे जाने की योजना है. मौके पर मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री समेत बिहार सरकार के तमाम कैबिनेट मंत्री मौजूद रहेंगे. इसे मेगा इवेंट के रूप में महागठबंधन के नेता शक्ति प्रदर्शन करने की कोशिश भी करेंगे.


पहले भी गांधी मैदान बन चुका है गवाह : आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर ने 1977-78 चिकित्सकों और इंजीनियरों को गांधी मैदान में नियुक्ति पत्र वितरित किया था. उसके बाद साल 2006 में सरकार में आने के बाद नीतीश कुमार ने भी शिक्षकों को गांधी मैदान में नियुक्ति पत्र बांटने का काम किया था. जदयू नेता और बिहार सरकार के वित्त मंत्री विजय चौधरी ने कहा है कि महागठबंधन की सरकार ने युवाओं से रोजगार देने का वादा किया था. हम लोग अपने वादे को पूरा कर रहे हैं. हर विभाग से वैकेंसी निकली जा रही है. अगर सरकार नौकरी दे रही है तो उसे जनता भी देख रही है.

ये भी पढ़ें- Bihar Politics: 'बिहार विधान सभा सचिवालय में हो रही नियुक्ति में भ्रष्टाचार की जांच करायें राज्यपाल'- विजय सिन्हा


'नौकरी के नाम पर हुआ घोटाला' : भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा है कि ''नौकरी के नाम पर बड़ा घोटाला है. लाखों लोगों को नौकरी देने का वादा किया गया है. लेकिन असलियत में 25000 लोगों को भी नौकरी मिलने की संभावना नहीं है.'' राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि आगामी चुनाव रोजगार के मुद्दे पर होंगे. इसकी बानगी पिछले चुनाव में देखने को मिली थी.

''युवाओं को संदेश देने के लिए दोनों गठबंधन की ओर से नियुक्ति पत्र बांटे जा रहे हैं. महागठबंधन की ओर से एक लाख से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र देने की तैयारी है. लेकिन इसमें हुए गड़बड़ झाले को भी समझने की जरूरत है. 30 से 35% नियुक्ति नियोजित शिक्षकों की की जा रही है. देखना होगा कि जनता इसे किस रूप में लेती है.''- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक


नियुक्ति पत्र के बहाने शक्ति प्रदर्शन की सियासत

पटना : लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राजनीतिक दलों ने जोर आजमाइश शुरू कर दिया है. युवाओं को अपने पक्ष में लाने के लिए नियुक्ति पत्र बांटे जा रहे हैं. महागठबंधन और एनडीए दोनों ओर से कैंप लगाकर युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए जा रहे हैं. आगामी 2 नवंबर को महागठबंधन के द्वारा शक्ति प्रदर्शन की तैयारी है. गांधी मैदान में लोगों को नियुक्ति पत्र बांटे जाने हैं. जिसमें 1.20 लाख से अधिक अभ्यर्थियों को बुलाने की तैयारी है.

ये भी पढ़ें- 'गांधी मैदान में BPSC शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपने दीजिए, पता चल जाएगा बिहार के कितने लड़कों को नौकरी दी'

रोजगार के मुद्दे पर होंगे आगामी चुनाव : आपको बता दें कि 2015 के विधानसभा चुनाव में रोजगार चुनावी मुद्दा बना था. तेजस्वी यादव ने पहली कैबिनेट में 10 लाख सरकारी नौकरी देने का वादा किया था. बाद में नीतीश कुमार ने इसे बढ़ाकर 20 लाख युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से भी 19 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया गया था. बिहार में युवाओं की आबादी अच्छी खासी है. अखिल भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण 2016-17 से यह जानकारी सामने आई थी कि बिहार में 18 वर्ष से 23 वर्ष के बीच युवाओं की जनसंख्या करीब एक करोड़ 14 लाख है.


2 नवंबर को बेरोजगारों का महाकुंभ : मिल रही जानकारी के मुताबिक 2 नवंबर को बिहार सरकार मेगा इवेंट आयोजित करने जा रही है. गांधी मैदान में 1.20 लाख से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र बांटे जाने की योजना है. मौके पर मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री समेत बिहार सरकार के तमाम कैबिनेट मंत्री मौजूद रहेंगे. इसे मेगा इवेंट के रूप में महागठबंधन के नेता शक्ति प्रदर्शन करने की कोशिश भी करेंगे.


पहले भी गांधी मैदान बन चुका है गवाह : आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर ने 1977-78 चिकित्सकों और इंजीनियरों को गांधी मैदान में नियुक्ति पत्र वितरित किया था. उसके बाद साल 2006 में सरकार में आने के बाद नीतीश कुमार ने भी शिक्षकों को गांधी मैदान में नियुक्ति पत्र बांटने का काम किया था. जदयू नेता और बिहार सरकार के वित्त मंत्री विजय चौधरी ने कहा है कि महागठबंधन की सरकार ने युवाओं से रोजगार देने का वादा किया था. हम लोग अपने वादे को पूरा कर रहे हैं. हर विभाग से वैकेंसी निकली जा रही है. अगर सरकार नौकरी दे रही है तो उसे जनता भी देख रही है.

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'नौकरी के नाम पर हुआ घोटाला' : भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा है कि ''नौकरी के नाम पर बड़ा घोटाला है. लाखों लोगों को नौकरी देने का वादा किया गया है. लेकिन असलियत में 25000 लोगों को भी नौकरी मिलने की संभावना नहीं है.'' राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि आगामी चुनाव रोजगार के मुद्दे पर होंगे. इसकी बानगी पिछले चुनाव में देखने को मिली थी.

''युवाओं को संदेश देने के लिए दोनों गठबंधन की ओर से नियुक्ति पत्र बांटे जा रहे हैं. महागठबंधन की ओर से एक लाख से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र देने की तैयारी है. लेकिन इसमें हुए गड़बड़ झाले को भी समझने की जरूरत है. 30 से 35% नियुक्ति नियोजित शिक्षकों की की जा रही है. देखना होगा कि जनता इसे किस रूप में लेती है.''- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक


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