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'INDIA' में एकजुटता की कोशिश.. BIHAR महागठबंधन में नाराजगी से खटपट! जानिए इसके पीछे की असल वजह

बिहार में महागठबंधन की सरकार चल रही है. लेकिन जितने दल हैं उतनी नाराजगी सामने आ रही है. सबकी अपनी तकलीफ और नाराजगी की वजह है. नीतीश कुमार देश में विपक्षी को एकजुट करने में लगे हैं, वहीं प्रदेश में महागठबंधन के घटक दल ही नीतीश से नाराज चल रहे हैं.सभी की कुछ न कुछ दिक्कत परेशानी है. चाहे ट्रांसफर पोस्टिंग का केस हो या फिर कटिहार गोलीकांड, हर दल अपनी अलग राय रखता है, इसी का नतीजा है कि मांझी छिटक गए? पढ़ें पूरी खबर-

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Published : Jul 28, 2023, 9:10 PM IST

पटना : पिछले साल बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी थी, उसके बाद से महागठबंधन के अंदर कई मुद्दों पर विरोधाभास देखने को मिलता रहा है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसलों पर महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी, दूसरे सहयोगी कांग्रेस और वामपंथी दल भी अपनी नाराजगी जताते रहे हैं. जीतन राम मांझी तो महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल हो चुके हैं. हाल में 5 बड़े कारण हैं जो एक तरफ नीतीश कुमार के विपक्षी एकजुटता की कोशिश का बिहार में महागठबंधन के घटक दल ही हवा निकाल रहे हैं.

ये भी पढ़ें- Bihar Politics : महागठबंधन में बढ़ी दूरी तो डैमेज कंट्रोल में जुटे नीतीश? जानिए क्या कहते हैं जानकार?


महागठबंधन में बड़ा फैक्टर है 'नाराजगी' : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस की मांग के बावजूद मंत्रिमंडल विस्तार नहीं कर पा रहे हैं. कांग्रेस खेमे में इसको लेकर नाराजगी है, जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने जब इस्तीफा दिया था, तब तत्काल नीतीश कुमार ने जदयू के रत्नेश सदा को उनके स्थान पर मंत्री बना दिया था. लंबे समय से मंत्रिमंडल में कांग्रेस और आरजेडी कोटे से मंत्री बनाए जाने की चर्चा हुई थी. लेकिन बनाया नहीं गया. उस समय यह कहा गया कि पटना में विपक्षी दलों की बैठक के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा. लेकिन विपक्षी दलों की पटना के बाद बेंगलुरु में भी बैठक हो गई, कांग्रेस के मंसूबे अभी तक पूरे नहीं हुये हैं.

बिहार मंत्रिमंडल विस्तार न होने से कांग्रेस नाराज : कांग्रेस की ओर से 2 मंत्री पद मांगा जा रहा है. इसी पर सहमति नहीं बन पा रही है. तेजस्वी यादव एक मंत्री पद देने के लिए तैयार हैं और इसके कारण नीतीश कुमार मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं कर पा रहे हैं. लेकिन कांग्रेसियों की नाराजगी नीतीश कुमार से ही है, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह भी कहते रहे हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार नीतीश कुमार का क्षेत्राधिकार है, इसलिए फैसला उन्हीं को लेना है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद समीर सिंह का कहना है कि फैसला तो मुख्यमंत्री को ही करना है. जब तक मुख्यमंत्री फैसला नहीं लेंगे मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होगा.

ईटीवी भारत GFX.
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आरजेडी की अपनी नाराजगी : वहीं अधिकारियों की मनमानी को लेकर आरजेडी खेमे से लगातार नीतीश कुमार पर आरोप लगते रहे हैं. महागठबंधन की सरकार बनने के बाद कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने इसी कारण इस्तीफा दिया था. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर भी इसी कारण से नाराज बैठे हैं. पिछले कई दिनों से शिक्षा विभाग भी नहीं जा रहे हैं. आरजेडी खेमे के कई मंत्री अधिकारियों को लेकर नाराजगी भले ही खुलकर नहीं बता रहे हैं, इसमें लालू प्रसाद यादव के बड़े सुपुत्र तेज प्रताप यादव का भी नाम है. आरजेडी विधायक विजय मंडल का कहना है कि आपके माध्यम से मुख्यमंत्री से कहेंगे कि अधिकारियों पर अंकुश लगाएं. संविधान में जो अधिकार मंत्रियों को दिया गया है उसे करने दिया जाए.


वामपंथी शिक्षक नियमावली पर लाल : शिक्षक बहाली में नियमावली को लेकर वामपंथी दलों में नाराजगी है. नियोजित शिक्षकों को सरकारी शिक्षक बनाने की उनकी मांग भी पूरी नहीं हो रही है शिक्षकों पर जो करवाई हो रही है उसको लेकर भी वामपंथी दल अपनी नाराजगी जताते रहे हैं. माले के विधायक अजीत कुशवाहा का कहना है कि जनता के मुद्दे पर हम लोग सरकार के फैसले का विरोध करे रहे हैं, क्योंकि जनता ने हम लोगों को चुनकर भेजा है.



तेजस्वी को मनपसंद अफसर न मिलने से परेशान : ऐसे तो डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी अपने मनपसंद अधिकारियों को अपने विभाग में नहीं रखवा पा रहे हैं. नीतीश कुमार के चहेते अधिकारियों से ही उनका विभाग चल रहा है, इसको लेकर भी अंदर खाने कई तरह की चर्चा है. ऐसे में जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना है कि सरकार की सभी चीजों पर नजर है. महागठबंधन के घटक दल के नेता नीतीश कुमार पर आस्था रखते हैं. कुछ लोग तो बोलेंगे ही लेकिन उनकी बातों पर हम लोग ध्यान नहीं देते हैं. सभी दलों के अधिकृत लोग सरकार के साथ है.



मंत्री ट्रांसफर पोस्टिंग रद्द होने से नाराज : ट्रांसफर पोस्टिंग रद्द किए जाने का मामला भी आरजेडी को पच नहीं रहा है. तेजस्वी यादव के नजदीकी मंत्री आलोक मेहता के विभाग राजस्व एवं भूमि सुधार में 30 जून को किए गए सभी तबादलों को एक झटके में नीतीश कुमार ने रद्द कर दिया. भले ही आरजेडी की तरफ से अभी तक इसके विरोध में कुछ भी नहीं बोला गया है, लेकिन नीतीश कुमार के इस फैसले से आरजेडी खेमा नाराज जरूर है.

गोलीकांड पर भी कांग्रेस और वामदल तुनके : इसके साथ हाल में कटिहार में हुए गोलीकांड पर महागठबंधन के घटक दल सरकार की मुसीबतें बढ़ा रहे हैं. कांग्रेस और वामपंथी दलों ने तो खुलकर इस मामले में सरकार की कार्रवाई का विरोध किया है. आरजेडी भी कह रही है कि गोली चलाना सही नहीं था. कुल मिलाकर देखें तो सरकार के बड़े फैसलों और बड़ी घटनाओं में पुलिसिया कार्रवाई पर नीतीश कुमार को अपने सहयोगियों का साथ नहीं मिल पा रहा है.


निगम बोर्ड से नीतीश लगा रहे नाराजगी पर मलहम : हालांकि नीतीश कुमार ने हाल ही में कुछ बोर्ड निगम का गठन कर अपने सहयोगियों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है. उससे पहले नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव से मिलकर तेजस्वी यादव की नाराजगी को भी दूर करने की कोशिश की. लेकिन महागठबंधन के घटक दल नीतीश कुमार के फैसलों पर जिस प्रकार से लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं, नीतीश कुमार की परेशानी बढ़ाने वाली है. एक तरफ विपक्षी दलों की बैठक के जहां नीतीश कुमार सूत्रधार हैं, वहीं बिहार में अपने सहयोगियों को एक साथ लेकर चलने की बड़ी चुनौती उनके सामने है.

पटना : पिछले साल बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी थी, उसके बाद से महागठबंधन के अंदर कई मुद्दों पर विरोधाभास देखने को मिलता रहा है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसलों पर महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी, दूसरे सहयोगी कांग्रेस और वामपंथी दल भी अपनी नाराजगी जताते रहे हैं. जीतन राम मांझी तो महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल हो चुके हैं. हाल में 5 बड़े कारण हैं जो एक तरफ नीतीश कुमार के विपक्षी एकजुटता की कोशिश का बिहार में महागठबंधन के घटक दल ही हवा निकाल रहे हैं.

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महागठबंधन में बड़ा फैक्टर है 'नाराजगी' : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस की मांग के बावजूद मंत्रिमंडल विस्तार नहीं कर पा रहे हैं. कांग्रेस खेमे में इसको लेकर नाराजगी है, जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने जब इस्तीफा दिया था, तब तत्काल नीतीश कुमार ने जदयू के रत्नेश सदा को उनके स्थान पर मंत्री बना दिया था. लंबे समय से मंत्रिमंडल में कांग्रेस और आरजेडी कोटे से मंत्री बनाए जाने की चर्चा हुई थी. लेकिन बनाया नहीं गया. उस समय यह कहा गया कि पटना में विपक्षी दलों की बैठक के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा. लेकिन विपक्षी दलों की पटना के बाद बेंगलुरु में भी बैठक हो गई, कांग्रेस के मंसूबे अभी तक पूरे नहीं हुये हैं.

बिहार मंत्रिमंडल विस्तार न होने से कांग्रेस नाराज : कांग्रेस की ओर से 2 मंत्री पद मांगा जा रहा है. इसी पर सहमति नहीं बन पा रही है. तेजस्वी यादव एक मंत्री पद देने के लिए तैयार हैं और इसके कारण नीतीश कुमार मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं कर पा रहे हैं. लेकिन कांग्रेसियों की नाराजगी नीतीश कुमार से ही है, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह भी कहते रहे हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार नीतीश कुमार का क्षेत्राधिकार है, इसलिए फैसला उन्हीं को लेना है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद समीर सिंह का कहना है कि फैसला तो मुख्यमंत्री को ही करना है. जब तक मुख्यमंत्री फैसला नहीं लेंगे मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होगा.

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आरजेडी की अपनी नाराजगी : वहीं अधिकारियों की मनमानी को लेकर आरजेडी खेमे से लगातार नीतीश कुमार पर आरोप लगते रहे हैं. महागठबंधन की सरकार बनने के बाद कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने इसी कारण इस्तीफा दिया था. शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर भी इसी कारण से नाराज बैठे हैं. पिछले कई दिनों से शिक्षा विभाग भी नहीं जा रहे हैं. आरजेडी खेमे के कई मंत्री अधिकारियों को लेकर नाराजगी भले ही खुलकर नहीं बता रहे हैं, इसमें लालू प्रसाद यादव के बड़े सुपुत्र तेज प्रताप यादव का भी नाम है. आरजेडी विधायक विजय मंडल का कहना है कि आपके माध्यम से मुख्यमंत्री से कहेंगे कि अधिकारियों पर अंकुश लगाएं. संविधान में जो अधिकार मंत्रियों को दिया गया है उसे करने दिया जाए.


वामपंथी शिक्षक नियमावली पर लाल : शिक्षक बहाली में नियमावली को लेकर वामपंथी दलों में नाराजगी है. नियोजित शिक्षकों को सरकारी शिक्षक बनाने की उनकी मांग भी पूरी नहीं हो रही है शिक्षकों पर जो करवाई हो रही है उसको लेकर भी वामपंथी दल अपनी नाराजगी जताते रहे हैं. माले के विधायक अजीत कुशवाहा का कहना है कि जनता के मुद्दे पर हम लोग सरकार के फैसले का विरोध करे रहे हैं, क्योंकि जनता ने हम लोगों को चुनकर भेजा है.



तेजस्वी को मनपसंद अफसर न मिलने से परेशान : ऐसे तो डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी अपने मनपसंद अधिकारियों को अपने विभाग में नहीं रखवा पा रहे हैं. नीतीश कुमार के चहेते अधिकारियों से ही उनका विभाग चल रहा है, इसको लेकर भी अंदर खाने कई तरह की चर्चा है. ऐसे में जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना है कि सरकार की सभी चीजों पर नजर है. महागठबंधन के घटक दल के नेता नीतीश कुमार पर आस्था रखते हैं. कुछ लोग तो बोलेंगे ही लेकिन उनकी बातों पर हम लोग ध्यान नहीं देते हैं. सभी दलों के अधिकृत लोग सरकार के साथ है.



मंत्री ट्रांसफर पोस्टिंग रद्द होने से नाराज : ट्रांसफर पोस्टिंग रद्द किए जाने का मामला भी आरजेडी को पच नहीं रहा है. तेजस्वी यादव के नजदीकी मंत्री आलोक मेहता के विभाग राजस्व एवं भूमि सुधार में 30 जून को किए गए सभी तबादलों को एक झटके में नीतीश कुमार ने रद्द कर दिया. भले ही आरजेडी की तरफ से अभी तक इसके विरोध में कुछ भी नहीं बोला गया है, लेकिन नीतीश कुमार के इस फैसले से आरजेडी खेमा नाराज जरूर है.

गोलीकांड पर भी कांग्रेस और वामदल तुनके : इसके साथ हाल में कटिहार में हुए गोलीकांड पर महागठबंधन के घटक दल सरकार की मुसीबतें बढ़ा रहे हैं. कांग्रेस और वामपंथी दलों ने तो खुलकर इस मामले में सरकार की कार्रवाई का विरोध किया है. आरजेडी भी कह रही है कि गोली चलाना सही नहीं था. कुल मिलाकर देखें तो सरकार के बड़े फैसलों और बड़ी घटनाओं में पुलिसिया कार्रवाई पर नीतीश कुमार को अपने सहयोगियों का साथ नहीं मिल पा रहा है.


निगम बोर्ड से नीतीश लगा रहे नाराजगी पर मलहम : हालांकि नीतीश कुमार ने हाल ही में कुछ बोर्ड निगम का गठन कर अपने सहयोगियों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है. उससे पहले नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव से मिलकर तेजस्वी यादव की नाराजगी को भी दूर करने की कोशिश की. लेकिन महागठबंधन के घटक दल नीतीश कुमार के फैसलों पर जिस प्रकार से लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं, नीतीश कुमार की परेशानी बढ़ाने वाली है. एक तरफ विपक्षी दलों की बैठक के जहां नीतीश कुमार सूत्रधार हैं, वहीं बिहार में अपने सहयोगियों को एक साथ लेकर चलने की बड़ी चुनौती उनके सामने है.

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