पटनाः बिहार में इन दिनों बिजली की किल्लत पर चर्चा दोबारा शुरू हो गई है. बीते दिनों तेजस्वी यादव ने बिहार में ज्यादा महगें दर पर बिजली मुहैया कराने और कांटी व बरौनी बिजली घर को बंद किए जाने पर सवाल उठाया था. इस सिलसिले में आज जनता दरबार के बाद नीतीश कुमार ने पत्रकारों से इस मसले पर बात की. जिसमें सीएम नीतीश ने भी माना कि उत्पादन पर असर पड़ा है कुछ ना कुछ समस्या जरूर है.
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सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बिजली की किल्लत को देखते हुए हमने पूरी रिपोर्ट विभाग से ली है. अब जितनी जरूरत है 5600 यूनिट के आसपास बिजली की उसे खरीद कर पूरा किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा बिहार को अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए अधिक कीमत पर बिजली खरीदनी पड़ रही है.
ये केवल बिहार की बात नहीं है. पूरे देश की यही स्थिति है. कांटी और बरौनी को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार ने उसे शुरू करने में काफी प्रयास किया. लेकिन उसे शुरू नहीं किया जा सका. ऐसे हम लोगों ने एनटीपीसी को हैंड ओवर कर दिया था.
'कांटी बिजली घर में काफी महंगा बिजली उत्पादन हो रहा है. बिहार में हम लोगों की पूरी कोशिश है कि जितनी मांग है उसे पूरा किया जाए. जो जानकारी मुझे अधिकारियों ने दी है उसके अनुसार लगभग आपूर्ति की जा रही है. बाहर से बिजली काफी महंगे दर पर मिल रही है. लेकिन जनता को आपूर्ति तो करना ही है. इसलिए दूसरी जगह से बिजली की आपूर्ति कराई जा रही है'- नीतीश कुमार, सीएम
बता दें कि बिहार की दो बिजली इकाइयों कांटी और बरौनी थर्मल प्लांट से प्रदेश को 330 मेगावाट बिजली की सप्लाई होती थी. बिहार ने कांटी से बिजली लेना बंद कर दिया है और NTPC बरौनी की यूनिट को भी बंद करेगा. बिहार सरकार को अब महंगे दर पर बिजली की खरीद करनी पड़ रही है. जिससे लोगों को महंगे दर पर बिजली उपलब्ध हो रही है.
दरअसल 2005 में जब नीतीश कुमार सत्ता में आए तो उस समय बिजली की समस्या काफी अधिक थी. उनके प्रयास से ही बिहार में बिजली में काफी सुधार आए. गांव-गांव तक बिजली पहुंची. कई बिजली घरों की शुरूआत हुई और कईयों में सुधार किया गया.
उसमें एक है कांटी बिजली घर है, जिसकी शुरूआत 1985 में हुई थी. 2005 में जब नीतीश सत्ता में आए तो उन्होंने कांटी बिजली घर की मरम्मत के लिए थर्मल पावर को आर्थिक मदद दी थी. 2013 में कांटी की पहली यूनिट शुरू हुई इसके अगले साल ही दूसरी यूनिट पर भी बिजली का उत्पादन शुरू होने लगा. तब से कांटी बिजली घर से बिहार को 220 मेगावाट बिजली की सप्लाई होने लगी. लेकिन अब इसे बंद करना पड़ रहा है.
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एनटीपीसी के अधिकारियों ने बताया कि पुरानी इकाई होने के चलते बिजली उत्पादन में कोयला अधिक लग रहा था. इसके साथ ही बिजली की उत्पादन लागत भी बढ़ती जा रही थी. और तो और इन प्लांट से प्रदूषण भी ज्यादा फैल रहा था. यही वजह है कि इन दोनों इकाइयों को बंद करने का फैसला किया गया है.
वहीं, NTPC बरौनी की यूनिट को भी बंद करेगा. बरौनी में 110 मेगावाट की दो इकाइयों का मॉर्डनाइजेशन किया जाना है. इसमें 581 करोड़ रुपए खर्च होंगे. यहां बिजली का उत्पादन साल 2015 के बाद से शुरू है. इसके बंद होने के पीछे इस यूनिट से महंगी दरों में सप्लाई की बात बताई जा रही है. हालांकि कोयला की कमी भी इन थर्मल पावर के बंद होने की बड़ी वजह हो सकते हैं.
दो बिजली घरों से जो 330 मेगावाट बिजली की सप्लाई होती थी. वह लगभग बंद हो चुकी है. यही वजह है कि बिहार को अब मंहगें दर पर दूसरी जगह से बिजली खरीदनी पड़ रही है. इस बात को सीएम नीतीश कुमार ने भी स्वीकार किया है.
सूबे को लंबे अरसे से बिजली देने वाले 2 यूनिट NTPC बंद करने की ओर कदम बढ़ा चुका है. कांटी और बरौनी प्लांट बंद करने से बिहार में बिजली की समस्या और भी ज्यादा गहरा जाएगी. इसे लेकर बीते दिनों नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर बिहार सरकार और केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है.
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उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि "बिहार में बिजली दर देश में सबसे अधिक होने के बावजूद सरकार की नाकामियों के चलते आगामी दिनों में बिजली संकट गहराएगा. डबल इंजन सरकार कांटी और बरौनी के बिजली घर भी बंद कर रही है. डबल इंजन सरकार से बिहार को ट्रिपल नुकसान हो रहा है और हर क्षेत्र में ट्रबल ही ट्रबल."
इस पूरे मामले पर आज नीतीश कुमार ने पत्रकारों के पूछे गए सवाल पर इस बात को माना है कि बिजली का संकट तो है लेकिन बिहार की जरूरत को पूरा करने के लिए अधिक कीमत पर बिजली खरीदनी पड़ रही है, वो तो करना ही पड़ेगा. यह परेशानी सिर्फ बिहार की नहीं है.