पटना: चारा घोटाले के दौरान डोरंडा कोषागार (Doranda treasury case) से 139.35 करोड़ रुपये के गबन (139.5 crore Doranda treasury embezzlement case) मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू यादव को 5 साल की सजा और 60 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ये आज का मामला नहीं है और ना ही ये कोई पहला या अंतिम मामला है.
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इसमें क्या कहना है, यह तो उसी समय का आरोप है, जब वो खुद मुख्यमंत्री थे. उन्हें इसके बाद मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा और अपनी जगह अपनी श्रीमती को सीएम बना दिया. नीतीश कुमार ने कहा कि तब केस करने वाले लोगों में से कई लोग आज उन्हीं के साथ हैं. केस करने वाले लोग तब मेरे पास भी आए थे, तो हमने कहा था कि यह सब काम मेरा नहीं है, आपको करना है कीजिए. केस करने के बाद जांच हुई, ट्रायल हुई और फिर सजा हो रही है.
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सीएम नीतीश ने कहा कि इसमें हम क्या कह सकते हैं. इस मामले में ना तो हमने केस किया था और ना ही इसमें शामिल थे. हालांकि उन्होंने साथ में ये भी कहा कि अब सजा हो गई है तो उनको अधिकार है कि वो हाईकोर्ट जाकर इसके खिलाफ अपील करें.
गौरतलब है कि रांची में सीबीआई के विशेष जज एसके शशि ने डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी माामले में लालू यादव को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है.
डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी: डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के इस मामले में पशुओं को फर्जी रूप से स्कूटर पर ढोने की कहानी है. यह उस वक्त का देश का पहला मामला माना गया, जब बाइक और स्कूटर पर पशुओं को ढोया गया हो. यह पूरा मामला 1990-92 के बीच का है. इस मामले में अब लालू को 5 साल की सजा सुनाई गई है. साथ ही 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.
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इस मामले में सीबीआई ने कुल 170 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था जबकि 148 आरोपियों के खिलाफ 26 सितंबर 2005 में आरोप तय किए गए थे. चारा घोटाले के चार विभिन्न मामलों में चौदह वर्ष तक की सजा पा चुके लालू प्रसाद यादव समेत 99 लोगों के खिलाफ अदालत ने सभी पक्षकारों की बहस सुनने के बाद 29 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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