पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले कार्यकाल से ही एक के बाद एक धार्मिक स्थलों को नया रूप देने में लगे हैं. वाराणसी से खुद सांसद हैं और काशी विश्वनाथ मंदिर को नया स्वरूप दिया गया है. इसी तरह केदारनाथ धाम का भी विकास किया गया है. अयोध्या में विशाल राम मंदिर का निर्माण हो रहा है. अगले साल मंदिर का उद्घाटन भी हो जाएगा. अयोध्या का कायाकल्प किया जा रहा है. विपक्ष की ओर से नरेंद्र मोदी पर वोट बैंक के तहत काम करने का आरोप लगता रहा है, लेकिन अब बिहार में नीतीश कुमार भी नरेंद्र मोदी की राह पर चल पड़े हैं.
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सिमरिया धाम को विकसित करने का फैसला: 18 साल में पहली बार सिमरिया धाम को विकसित करने की योजना पर काम शुरू हुआ है. इससे पहले गयाजी में भी पिंडदानियों के लिए रबर डैम का निर्माण किया गया. सिमरिया धाम को हरिद्वार की हर की पौड़ी की तरह बनाया जा रहा है. साथ ही जानकी धाम को भी विकसित करने पर फैसला हुआ है. नीतीश कुमार के बदले रूप पर बीजेपी तंज कस रही है, तो वही जदयू मुख्यमंत्री का बचाव कर रही है.
2024 लोकसभा चुनाव पर नजर: वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि सबकी नजर 2024 लोकसभा चुनाव पर है. प्रधानमंत्री ने जिस प्रकार से धार्मिक स्थलों के विकास के लिए काम किया है, राजनीतिक दलों के नेताओं को लग रहा है एक बड़ा वोट बैंक उससे प्रभावित है और जो पैमाना प्रधानमंत्री ने सेट किया है. उसी पर अब नीतीश कुमार भी चलने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है कि मुख्यमंत्री काम पर विश्वास करते हैं, मार्केटिंग पर नहीं. सभी धर्मों के लिए मुख्यमंत्री काम करते रहे हैं.
"सबकी नजर 2024 लोकसभा चुनाव पर है. प्रधानमंत्री ने जिस प्रकार से धार्मिक स्थलों के विकास के लिए काम किया है, राजनीतिक दलों के नेताओं को लग रहा है एक बड़ा वोट बैंक उससे प्रभावित है और जो पैमाना प्रधानमंत्री ने सेट किया है. उसी पर अब नीतीश कुमार भी चलने की कोशिश कर रहे हैं" - रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
मोदी की सनातनियों के बीच अलग पहचान: बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है कि प्रधानमंत्री ने देश के पुरातन धार्मिक स्थलों को जो भारत का प्रभुत्व स्थापित करता रहा है. उसका पुनरुत्थान किया है. जिसका व्यापक जनमानस पर असर पड़ा है. काफी प्रशंसा हो रही है. उसको देखकर नीतीश कुमार की भी इच्छाशक्ति जगी है जो स्वागत योग्य है लेकिन मकसद साफ है, उन्हें जनता का डर सता रहा है. ऐसे तो नीतीश कुमार सभी धार्मिक कार्यक्रमों में शिरकत करते रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री ने धार्मिक स्थलों को लेकर जिस प्रकार से पूरे देश में काम किया है और सनातनियों के बीच एक अलग पहचान बनाई है.
"प्रधानमंत्री ने देश के पुरातन धार्मिक स्थलों को जो भारत का प्रभुत्व स्थापित करता रहा है. उसका पुनरुत्थान किया है. जिसका व्यापक जनमानस पर असर पड़ा है. काफी प्रशंसा हो रही है. उसको देखकर नीतीश कुमार की भी इच्छाशक्ति जगी है जो स्वागत योग्य है लेकिन मकसद साफ है, उन्हें जनता का डर सता रहा है" - विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी
नीतीश कुमार का भी बदला है रुख:अब नीतीश कुमार का भी रुख बदला है और उसका उदाहरण सिमरिया घाट धाम है. इस पर सवा सौ करोड़ की राशि खर्च होने वाली है. सिमरिया धाम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां 1 महीने कल्पवास मेला लगता है और यहां इस साल अर्ध कुंभ भी लगना है और 2029 में महाकुंभ भी. अब नीतीश कुमार के बदले रूप का 2024 चुनाव में कितना लाभ मिलेगा. यह तो देखने वाली बात है फिलहाल चर्चा जरूर होने लगी है.
"मुख्यमंत्री काम पर विश्वास करते हैं, मार्केटिंग पर नहीं. सभी धर्मों के लिए मुख्यमंत्री काम करते रहे हैं" -अभिषेक झा, प्रवक्ता, जदयू