पटनाः बिहार की राजधानी पटना में किसान समागम का आयोजन किया गया है, इस कार्यक्रम में सीएम नीतीश कुमार 4 हजार 700 किसानों के से संवाद करेंगे. यह संवाद चौथे कृषि रोड मैप को अंतिम रूप देने के लिए किया जा रहा है, इन किसानों में बाहर से कृषि सीख कर आए भी कुछ लोग हैं, जो अपनी राय और सुझाव कार्यक्रम में रख रहे हैं. इसी बीच एक किसान जो कोरोना में बिहार लौटे और यहां कृषि शुरूआत की वो प्रोग्राम में अपनी बातें रख रहे थे. अपने संबोधन के दौरान किसान ने कई बार कुछ अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग किया, जिसके बाद काफी देर से उनकी बात सुन रहे सीएम नीतीश कुमार भड़क गए और उनकी अच्छी खासी क्लास लगा दी.
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किसानों के बीच अंग्रेजी बोलने पर भड़के नीतीश : सीएम ने कहा कि दुनिया में एक ही भाषा अंग्रेजी नहीं है, जिसने हमारे देश पर राज किया उसकी भाषा को क्यों बोलते हैं अपनी भाषा है हिंदी अपने लोग हैं इसी भाषा में बोलिए. इससे पहले एक अन्य किसान ने अपने संबोधन में बिजली मुफ्त के जगह बिजली फ्री देने की बात कही तो फ्री शब्द पर सीएम भड़क गए और बोले कि मुफ्त बोलिए, सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने भी अंग्रेजी मीडियम में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है लेकिन देश में जहां भी जाते हैं वहां के स्थानीय भाषा को सीखने की कोशिश करते हैं और बिहार में जहां भी जाते हैं, लोगों की जो भाषा है हिंदी उसी में संवाद करते हैं.
"एक बात हम जरा कहना चाहते हैं, ये क्या है. ये बिहार है ना जी... आप लोग खाली इंगलिश बोले जा रहे हैं. ये हो क्या गया है आप लोग को... आप बिहार में किसानों को कृषि के बारे में सुझाव दे रहे हैं. आम आदमी क्या समझेगा, हम देख रहे हैं बहुत देर से. भारत ना है जी...बिहार में हैं अपनी भाषा हिंदी बोलिये. जो बोल रहें है, वो तो ठीक है. लेकिन ई बीच-बीच में ईंगलिश बोले जा रहे हैं. खेती करते हैं ना... तो खेती की बात आम बोल चाल की भाषा में ना बताईयेगा. हम देख रहे हैं ई जब से रोरोना आया है, लोग मोबाइल पर क्या - क्या सीख ले रहें हैं. अपनी पुरानी भाषा को भूलते जा रहे हैं और नई- नई चिजें बोल रहे हैं. इसलिए जरा बोलिये ठीक से"- नीतीश कुमार, सीएम बिहार
सीएम ने मंच पर बैठे-बैठे लगाई फटकार: इस दौरान सीएम नीतीश ने अधिकारियों को भी फटकार लगाई और कहा कि यह क्या हो रहा है. भाषण में हिंदी अंग्रेजी मिक्स किया जा रहा है, अंग्रेजी बोलना है तो अंग्रेजी बोले हिंदी बोलना है तो हिंदी बोलें दोनों को मिक्स ना करें, जो चीजें मौलिक है उसे मौलिक रखें. दरअसल सरकार की कोशिश है कि आने वाले समय में किसान और किसान को इतना मजबूत किया जाए कि हर भारतीय की थाली में बिहार के व्यंजन पहुंच सकें. वर्ष 2008 से अब तक प्रथम, द्वितीय और तृतीय कृषि रोड मैप के माध्यम से इस दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं और अब चौथे रोड मैप की तैयारी है.