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गुजरात विधानसभा चुनाव में BJP के खिलाफ CM नीतीश उतार सकते हैं JDU के उम्मीदवार

Gujarat assembly elections को लेकर जदयू रणनीति बनानी शुरू कर दी है. हालांकि इस पर आखिरी फैसला 3 और 4 सितंबर को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ली जाएगी. पढ़ें पूरी खबर.

CM Nitish Kumar
CM Nitish Kumar
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Published : Aug 28, 2022, 7:46 PM IST

पटना: इस साल गुजरात में विधानसभा चुनाव (Gujarat assembly elections 2022) होना है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar ) एनडीए से बाहर निकलकर महागठबंधन के साथ बिहार में सरकार बना चुके हैं और अब गुजरात में भी दांव लगाने वाले हैं. 2017 विधानसभा चुनाव में जदयू ने 38 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 32 सीटों पर जदयू के उम्मीदवारों की जमानत नहीं बची थी. अधिकांश पर नीचे से जदयू के उम्मीदवार प्रथम आए थे.

ये भी पढ़ें-CBI के छापे पर एक जुट हुआ महागठबंधन, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साधा बीजेपी पर निशाना

गुजरात चुनाव पर जदयू की नजर: गुजरात चुनाव में सबसे अधिक छोटू भाई वसावा को 5055 वोट मिले थे. ऐसे गुजरात को लेकर पार्टी ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद गुजरात में पार्टी फिर किस्मत आजमा सकती है और नरेंद्र मोदी पर भी दबाव बना सकती है. पार्टी के अंदर इसको लेकर तैयारी भी शुरू है. ऐसे पार्टी कितने सीटों पर लड़ेगी इसका फैसला 3 और 4 सितंबर को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ली जाएगी.

पिछले चुनाव में मिली थी हार: इस साल गुजरात में चुनाव होना है. प्रधानमंत्री का गृह राज्य होने के कारण पूरे देश की गुजरात विधानसभा चुनाव पर नजर रहेगी. वहीं, जदयू की भी नजर गुजरात पर टिकी है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आफाक अहमद खान का कहना है कि गुजरात में जदयू के पहले विधायक रहे हैं, लेकिन अब उन्होंने अपना अलग दल बना लिया है. 2017 में जदयू को झटका शरद यादव गुट की अगुवाई वाले जदयू का बागी गुट से भी मिला. शरद गुट के नेता छोटू भाई वसावा सहित दो उम्मीदवारों को जीत मिली. छोटू भाई वसावा गुजरात जदयू के पिछले 10 सालों से अध्यक्ष थे, लेकिन चुनाव से ठीक पहले शरद गुट में चले गए. जिसका खामियाजा जदयू को उठाना पड़ा.

2012 में अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत जब्त: साल 2012 में भी जदयू ने 35 उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 34 के जमानत जप्त हो गई थी. 2017 में गुजरात में जदयू के अधिकांश उम्मीदवार नीचे से प्रथम आए थे. गुजरात में 2017 में जदयू के लड़े उम्मीदवारों की वोट देखें तो उसी से स्थिति स्पष्ट हो जाती है कि जदयू का क्या हाल था. दरियापुर विधानसभा से शेख मोहम्मद फारूक जदयू के उम्मीदवार थे. उन्हें सबसे कम 82 वोट मिले थे. इसी तरह वाकानेर में अहमद भाई मीरा जी को 234 वोट मिले थे. विसनगर में अनिता बेन पटेल को 183 वोट मिले. वागरा में राजेश भाई को 153 वोट मिली. निकोल में मोहमादीनुस मेमन को 103 वोट मिली. पाटन में नानजी भाई पटेल को 153 वोट मिला. व्यारा में रमेश भाई चौधरी को 411 वोट मिला था.

राष्ट्रीय पार्टी के लिए एक राज्य में जीत की जरूरत: गुजरात में 2017 में जदयू से बेहतर प्रदर्शन शिवसेना और सीपीआई जैसे दलों का रहा. ऐसे तो जदयू पहले भी कई राज्यों में चुनाव लड़ चुकी है और कमोबेश हर जगह जदयू उम्मीदवारों का जमानत जब्त होता रहा है. वैसे पार्टी कुछ राज्यों में बेहतर प्रदर्शन भी की है. जिसमें अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर शामिल है और दोनों जगह पार्टी को राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है. पार्टी की नजर अब राष्ट्रीय पार्टी बनने पर लगी है और इसके लिए कम से कम 1 राज्य में और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करना है.

पूर्वोत्तर के कई राज्यों में मजबूत है जदयू: जदयू नागालैंड में अपनी तैयारी जोर शोर से शुरू कर दी है लेकिन अब बिहार में जिस प्रकार से समीकरण बदला है और 2024 मिशन पर नीतीश कुमार काम कर रहे हैं. उसके कारण जदयू गुजरात में भी दबाव की रणनीति के तहत कई सीटों पर उम्मीदवार उतार सकता है. वहीं, इसकी भी संभावना बन रही है कि विपक्षी दल को अपना समर्थन दे सकती है. नीतीश कुमार ने पार्टी नेताओं को तैयारी करने का निर्देश दिए हैं. 3 और 4 सितंबर को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक पटना में होने जा रही है. जिसमें चुनाव को लेकर मुहर लगेगी. क्योंकि बैठक में गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष सहित सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष शामिल होंगे. जहां इस साल और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा की जाएगी.

"जिन राज्यों में पार्टी को संभावना दिखती है और वहां के लोगों का सपोर्ट दिखता है. साथ ही स्थानीय यूनिट से राय ली जाती है और उसके बाद फैसला लिया जाता है. अभी गुजरात यूनिट से बात करने के बाद ही इस पर फैसला होगा. गुजरात यूनिट का जो प्रस्ताव आएगा, पार्टी उस पर विचार करेगी."- उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू संसदीय बोर्ड

"हम लोगों ने पहले ही तय कर लिया है पूरे देश में चुनाव लड़ेंगे. गुजरात में भी चुनाव पार्टी लड़ेगी. राष्ट्रीय स्तर पर अरुणाचल प्रदेश में और मणिपुर में हम लोग का प्रदर्शन शानदार रहा है और 3 सितंबर और 4 सितंबर को पार्टी की होने वाली बैठक में उन सब पर चर्चा होगी और रणनीति तैयार होगी."- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जदयू

"जदयू के लोग पहले भी गुजरात में चुनाव लड़ चुके हैं. उम्मीदवार का जमानत जब्त हो गया. फिर लड़के देख लें, केवल पीएम मैटेरियल कहने से तो नहीं होगा. जनता तय करेगी ना और जनता नरेंद्र मोदी के काम पर वोट कर रही है."- अजफर शमशी, प्रवक्ता बीजेपी

पटेल समुदाय पर नीतीश की नजर: गुजरात के 183 विधानसभा सीटों की बात करें तो राज्य की 6 करोड़ से अधिक आबादी में 52 फीसदी से अधिक मतदाता पिछड़ा वर्ग की 146 जातियों की है और 16 फीसदी पाटीदार समुदाय और 7 फीसदी दलित आबादी से है. 16 प्रतिशत क्षत्रिय, 11 प्रतिशत आदिवासी और 9 प्रतिशत मुस्लिम है. ब्राह्मण, बनिया कायस्त पूरे प्रदेश में 5 प्रतिशत के करीब है. नीतीश कुमार की नजर 16 प्रतिशत पटेल समुदाय पर और 9 फीसदी मुस्लिम समुदाय पर है. पार्टी बीजेपी से नाराज वैसे उम्मीदवारों को भी तरजीह देने की रणनीति तैयार कर रही है, जो गुजरात में जीत दिला सके. गुजरात में 2017 में नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार नहीं किया था, लेकिन 2022 चुनाव में नीतीश अपनी पूरी टीम के साथ चुनाव प्रचार कर सकते हैं.

जदयू का लक्ष्य 2024: बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद जदयू 2024 मिशन की लगातार बात कर रही है. ऐसे में जदयू का पहला लक्ष्य इस साल गुजरात चुनाव हो सकता है. हालांकि पार्टी के तरफ से अभी तक पत्ते नहीं खोले गए हैं. संभवत 3 सितंबर और 4 सितंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की होने वाली बैठक में चर्चा होगी और उसके बाद रणनीति तैयार होगी, तब जाकर कुछ स्थिति स्पष्ट हो पाएगा. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए नीतीश कुमार कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं. यह पार्टी के अंदर भी चर्चा हो रही है.

ये भी पढ़ें- शब्दों की मर्यादा लांघ रहे बिहार के नेता, आने वाले दिनों में क्या बच पाएगी राजनीतिक शुचिता

पटना: इस साल गुजरात में विधानसभा चुनाव (Gujarat assembly elections 2022) होना है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar ) एनडीए से बाहर निकलकर महागठबंधन के साथ बिहार में सरकार बना चुके हैं और अब गुजरात में भी दांव लगाने वाले हैं. 2017 विधानसभा चुनाव में जदयू ने 38 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 32 सीटों पर जदयू के उम्मीदवारों की जमानत नहीं बची थी. अधिकांश पर नीचे से जदयू के उम्मीदवार प्रथम आए थे.

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गुजरात चुनाव पर जदयू की नजर: गुजरात चुनाव में सबसे अधिक छोटू भाई वसावा को 5055 वोट मिले थे. ऐसे गुजरात को लेकर पार्टी ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद गुजरात में पार्टी फिर किस्मत आजमा सकती है और नरेंद्र मोदी पर भी दबाव बना सकती है. पार्टी के अंदर इसको लेकर तैयारी भी शुरू है. ऐसे पार्टी कितने सीटों पर लड़ेगी इसका फैसला 3 और 4 सितंबर को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ली जाएगी.

पिछले चुनाव में मिली थी हार: इस साल गुजरात में चुनाव होना है. प्रधानमंत्री का गृह राज्य होने के कारण पूरे देश की गुजरात विधानसभा चुनाव पर नजर रहेगी. वहीं, जदयू की भी नजर गुजरात पर टिकी है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आफाक अहमद खान का कहना है कि गुजरात में जदयू के पहले विधायक रहे हैं, लेकिन अब उन्होंने अपना अलग दल बना लिया है. 2017 में जदयू को झटका शरद यादव गुट की अगुवाई वाले जदयू का बागी गुट से भी मिला. शरद गुट के नेता छोटू भाई वसावा सहित दो उम्मीदवारों को जीत मिली. छोटू भाई वसावा गुजरात जदयू के पिछले 10 सालों से अध्यक्ष थे, लेकिन चुनाव से ठीक पहले शरद गुट में चले गए. जिसका खामियाजा जदयू को उठाना पड़ा.

2012 में अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत जब्त: साल 2012 में भी जदयू ने 35 उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 34 के जमानत जप्त हो गई थी. 2017 में गुजरात में जदयू के अधिकांश उम्मीदवार नीचे से प्रथम आए थे. गुजरात में 2017 में जदयू के लड़े उम्मीदवारों की वोट देखें तो उसी से स्थिति स्पष्ट हो जाती है कि जदयू का क्या हाल था. दरियापुर विधानसभा से शेख मोहम्मद फारूक जदयू के उम्मीदवार थे. उन्हें सबसे कम 82 वोट मिले थे. इसी तरह वाकानेर में अहमद भाई मीरा जी को 234 वोट मिले थे. विसनगर में अनिता बेन पटेल को 183 वोट मिले. वागरा में राजेश भाई को 153 वोट मिली. निकोल में मोहमादीनुस मेमन को 103 वोट मिली. पाटन में नानजी भाई पटेल को 153 वोट मिला. व्यारा में रमेश भाई चौधरी को 411 वोट मिला था.

राष्ट्रीय पार्टी के लिए एक राज्य में जीत की जरूरत: गुजरात में 2017 में जदयू से बेहतर प्रदर्शन शिवसेना और सीपीआई जैसे दलों का रहा. ऐसे तो जदयू पहले भी कई राज्यों में चुनाव लड़ चुकी है और कमोबेश हर जगह जदयू उम्मीदवारों का जमानत जब्त होता रहा है. वैसे पार्टी कुछ राज्यों में बेहतर प्रदर्शन भी की है. जिसमें अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर शामिल है और दोनों जगह पार्टी को राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है. पार्टी की नजर अब राष्ट्रीय पार्टी बनने पर लगी है और इसके लिए कम से कम 1 राज्य में और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करना है.

पूर्वोत्तर के कई राज्यों में मजबूत है जदयू: जदयू नागालैंड में अपनी तैयारी जोर शोर से शुरू कर दी है लेकिन अब बिहार में जिस प्रकार से समीकरण बदला है और 2024 मिशन पर नीतीश कुमार काम कर रहे हैं. उसके कारण जदयू गुजरात में भी दबाव की रणनीति के तहत कई सीटों पर उम्मीदवार उतार सकता है. वहीं, इसकी भी संभावना बन रही है कि विपक्षी दल को अपना समर्थन दे सकती है. नीतीश कुमार ने पार्टी नेताओं को तैयारी करने का निर्देश दिए हैं. 3 और 4 सितंबर को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक पटना में होने जा रही है. जिसमें चुनाव को लेकर मुहर लगेगी. क्योंकि बैठक में गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष सहित सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष शामिल होंगे. जहां इस साल और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा की जाएगी.

"जिन राज्यों में पार्टी को संभावना दिखती है और वहां के लोगों का सपोर्ट दिखता है. साथ ही स्थानीय यूनिट से राय ली जाती है और उसके बाद फैसला लिया जाता है. अभी गुजरात यूनिट से बात करने के बाद ही इस पर फैसला होगा. गुजरात यूनिट का जो प्रस्ताव आएगा, पार्टी उस पर विचार करेगी."- उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू संसदीय बोर्ड

"हम लोगों ने पहले ही तय कर लिया है पूरे देश में चुनाव लड़ेंगे. गुजरात में भी चुनाव पार्टी लड़ेगी. राष्ट्रीय स्तर पर अरुणाचल प्रदेश में और मणिपुर में हम लोग का प्रदर्शन शानदार रहा है और 3 सितंबर और 4 सितंबर को पार्टी की होने वाली बैठक में उन सब पर चर्चा होगी और रणनीति तैयार होगी."- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जदयू

"जदयू के लोग पहले भी गुजरात में चुनाव लड़ चुके हैं. उम्मीदवार का जमानत जब्त हो गया. फिर लड़के देख लें, केवल पीएम मैटेरियल कहने से तो नहीं होगा. जनता तय करेगी ना और जनता नरेंद्र मोदी के काम पर वोट कर रही है."- अजफर शमशी, प्रवक्ता बीजेपी

पटेल समुदाय पर नीतीश की नजर: गुजरात के 183 विधानसभा सीटों की बात करें तो राज्य की 6 करोड़ से अधिक आबादी में 52 फीसदी से अधिक मतदाता पिछड़ा वर्ग की 146 जातियों की है और 16 फीसदी पाटीदार समुदाय और 7 फीसदी दलित आबादी से है. 16 प्रतिशत क्षत्रिय, 11 प्रतिशत आदिवासी और 9 प्रतिशत मुस्लिम है. ब्राह्मण, बनिया कायस्त पूरे प्रदेश में 5 प्रतिशत के करीब है. नीतीश कुमार की नजर 16 प्रतिशत पटेल समुदाय पर और 9 फीसदी मुस्लिम समुदाय पर है. पार्टी बीजेपी से नाराज वैसे उम्मीदवारों को भी तरजीह देने की रणनीति तैयार कर रही है, जो गुजरात में जीत दिला सके. गुजरात में 2017 में नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार नहीं किया था, लेकिन 2022 चुनाव में नीतीश अपनी पूरी टीम के साथ चुनाव प्रचार कर सकते हैं.

जदयू का लक्ष्य 2024: बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद जदयू 2024 मिशन की लगातार बात कर रही है. ऐसे में जदयू का पहला लक्ष्य इस साल गुजरात चुनाव हो सकता है. हालांकि पार्टी के तरफ से अभी तक पत्ते नहीं खोले गए हैं. संभवत 3 सितंबर और 4 सितंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की होने वाली बैठक में चर्चा होगी और उसके बाद रणनीति तैयार होगी, तब जाकर कुछ स्थिति स्पष्ट हो पाएगा. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए नीतीश कुमार कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं. यह पार्टी के अंदर भी चर्चा हो रही है.

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