पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर क्षेत्र में विकास होने की दावा करते हैं लेकिन शिक्षा क्षेत्र आज भी विकास की कमी जोह रहा है. ग्रामीण क्षेत्र के कई सरकारी विद्यालय आज भी जर्जर स्थिति में हैं. ऐसा ही नजारा राजधानी पटना से सटे मनेर प्रखंड मुख्यालय का है, जहां मनेर प्रखंड मुख्यालय स्थित राजकीय मध्य विद्यालय का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है. स्कूल के शिक्षक बच्चे को खुले मैदान में पढ़ाने को मजबूर हैं. यहां तक कि अधिकारियों से शिकायत के बावजूद भी अब तक भवन का निर्माण नहीं हो सका है. वैसे बिहार में कोरोना के कारण पिछले 1 साल से बंद विद्यालयों को शर्तों के साथ खोल तो दिया गया लेकिन विद्यालय का हाल अभी भी बेहाल है.
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सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई जा रही धज्जियां
राजकीय मध्य विद्यालय मनेर में कक्षा 1 से लेकर आठवीं तक के छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं. विद्यालय भवन जर्जर होने के कारण बच्चे खुले मैदान में पेड़ के नीचे पढ़ाई कर रहे हैं. पहली कक्षा से लेकर पांचवी तक के बच्चे एक साथ बैठे हैं और शिक्षिकाएं बिना मास्क लगाए बच्चों के साथ बैठी कक्षा का संचालन कर रही हैं. कुछ बच्चों के चेहरे पर मास्क है तो कुछ के चेहरे से मास्क गायब है. सोशल डिस्टेंसिंग की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं.
पानी तक की सुविधा नहीं
कारण पूछे जाने पर विद्यालय की शिक्षिका साइना प्रवीण बताती हैं कि स्कूल की हालत काफी जर्जर है. बच्चे को कुछ ना हो इसलिए स्कूल के बाहर खुले मैदान में पढ़ाने का काम करती हूं. यहां तक कि स्कूल में न पानी की सुविधा है और ना ही शौचालय की. शिकायत के बावजूद भी अधिकारी व्यवस्था नहीं कर पाते हैं. वहीं उन्होंने स्थानीय अधिकारी के साथ-साथ सारा ठीकरा सरकार पर फोड़ रही है.
अभिभावकों को बनी रहती है चिंता
इस विद्यालय को देखने से प्रतीत होता है कि कई साल से रंग रोगन भी नहीं किया गया है. इस जर्जर हालत से एक सवाल उठता है कि प्रत्येक साल विद्यालय विकास की राशि विद्यालय रखरखाव तथा स्वच्छता के लिए सरकार जो राशि भेजती है उसका होता क्या है. विद्यालय में एकमात्र हैंडपंप है और वह भी खराब पड़ा है. शौचालय भी केवल शिक्षक और शिक्षिका ही इस्तेमाल करती हैं. अभिभावकों को विद्यालय की व्यवस्था और प्रबंधन की लापरवाही के कारण बच्चों को लेकर चिंता बनी रहती है.
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मजबूरी में खुले में पढ़ाते हैं शिक्षक
प्रधानाध्यापक सभासरण कृष्ण ने बताया कि वे वाकई चिंताजनक हैं. उनकी बातों में विद्यालय का कु-प्रबंधन उजागर होता है. उन्होंने कहा कि विद्यालय की समस्या को लेकर लगातार प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के साथ-साथ प्रखंड विकास पदाधिकारी को भी शिकायत कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद भी कोई भी शिकायत पर सरकार या अधिकारी अमल नहीं कर पाए हैं. मजबूरी में बच्चों को खुले आसमान के नीचे पढ़ाया करते हैं.