पटना : बिहार के जेलों में बढ़ते दबाव को देखते हुए राज्य भर में 13 नए जेलों के निर्माण का फैसला बिहार सरकार ने लिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ये जेलें राजगीर, मडोरा, रजौली, कहलगांव, गोपालगंज, चकिया, निर्मली, नरकटियागंज, सिवान, पकड़ी दयाल, सिमरी बख्तियारपुर और महनार में बनेगी. इन जेलों की क्षमता एक हजार कैदियों की होगी. राज्य सरकार ने 15 केंद्रीय, मंडल और अनुमंडलीय जेलों के अंदर 33 भवनों का निर्माण करने का भी फैसला किया है, जिनमें 9819 कैदियों को रखा जाएगा. ये नए भवन भभुआ, अरवल, जमुई, पालीगंज और औरंगाबाद में बनाने का निर्णय लिया गया है.
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क्षमता से 20 हजार से अधिक कैदी बंद: गौरतलब है कि बिहार के जेलों में कैदियों को ठूंस कर रखा जा रहा है. राज्य के सभी 8 केंद्रीय जेलों में क्षमता से कई गुना बंदी रखे गए हैं. इसके अलावा जिले में 59 जेलें सभी जिलों में हैं जिसमें कैदियों की संख्या क्षमता 46 हजार 669 है. जबकि इन जेलों में 66 हजार 307 कैदी बंद हैं. बेऊर जेल में 234 फीसदी कैदी ज्यादा रखे गए हैं. आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 20 हजार से अधिक कैदी प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद हैं. ये आंकड़े 31 दिसंबर 2021 तक के हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसके लिए शराबबंदी को जिम्मेदार ठहराकर सरकार को फटकार लगाई थी.
''बिहार के जेल ओवर बर्डेन हैं. बिहार में बंदी अधिकार आंदोलन इस दिशा में जोर शोर से आवाज उठा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस ऑर्डर को पास करते समय ये ध्यान रखा है कि स्टेट में कितने कैदी ओवर संख्या में रखे गए हैं. और जेल के सिस्टम पर कितना दबाव पड़ा है? हम अगर मुकदमों की संख्या कम नहीं कर सकते, कैदियों की संख्या कम नहीं कर सकते तो कम से कम जेलों में मानव मूल्यों के आधार पर कैदियों को मूलभूत सुविधाएं तो दे सकते हैं.''- शांतनु कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट