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Chhath Puja 2022: छठ पूजा में बांस की टोकरी और सूप के इस्तेमाल की परंपरा, जानिये क्या है इसका महत्व

लोक आस्था का महापर्व का शुक्रवार से शुरू हो रहा है. टोकरी और सूप का प्रयोग छठ पर्व में सूर्य पूजा के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. मसौढ़ी बाजार में बांस से बनी टोकरी का बाजार सज गया है. छठ पर्व करने वाले श्रद्धालु टोकरी और सूप खरीद रहे हैं. यहां हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि आखिर बांस की टोकरी और सूप (Importance of Sup and Daura in Chhath Puja) का छठ पूजा में क्या महत्व है.

छठ पूजा
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Published : Oct 27, 2022, 5:35 PM IST

पटनाः लोक आस्था का महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाए खाए से कल शुक्रवार से शुरू हो रहा है. छठ पूजा (Chhath Puja 2022) में बांस से बनी टोकरी और सूप का विशेष महत्व है. बांस को आध्यात्मिक दृष्टि से भी शुद्ध माना गया है. छठ पूजा में बांस से बनी सूप में पूजन सामग्री रखकर अ‌र्घ्य देने का विधान है. वहीं टोकरी में पूजा के सामान रख कर छठ के घाट ले जाया जाता है. ऐसे में मसौढ़ी बाजार में सूप और टोकरी का बाजार सज गया है. खरीदारों की भीड़ उमड़ रही है.

इसे भी पढ़ेंः पटना में मिट्टी के चूल्हों का सज गया बाजार, आम की लकड़ी, दउरा और सूप के बढ़े दाम

क्या है मान्यताः छठ पर्व में सूप और टोकरी का बहुत ही महात्म (Importance of Sup and Daura in Chhath Puja) माना गया है. सूर्य पूजा के लिए अर्घ्य देने के लिए सूप और फलों को रखने के लिए टोकरी का प्रयोग किया जाता है. बांस से बनी टोकरी और सूप को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा बांस के बारे में यह भी कहा जाता है कि बांस मिट्टी और पानी के सहयोग से आसानी से काफी बड़ा होता है. बांस काे वंशवाद वृद्धि करने का भी प्रतीक माना जाता है. सुख समृद्धि और संतान सुख को लेकर सूर्यपूजा में बांस से बनी टोकरी और सूप का प्रयोग किया जाता है.

इसे भी पढ़ेंः छठ पूजा पर महंगाई का असर: बांस की सूपली और दउरा की जगह पीतल के सामान खरीद रहे हैं लोग

बांस से बनी टोकरी का बाजार सज गयाः श्री राम जानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर के मुख्य पुजारी गोपाल पांडे ने कहा कि विष्णु पुराण समेत अन्य पुराणों में बांस काे शुद्धता का प्रतीक माना गया है. बांस से बनी टोकरी शुभ होता है. उसका पूजा पाठ में प्रयोग किया जाता है. टोकरी और सूप का प्रयोग छठ पर्व में सूर्य पूजा के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है ऐसे में मसौढ़ी बाजार में टोकरी का बाजार सज गया है. छठ पर्व करने वाले श्रद्धालु बाजारों में टोकरी और सूप खरीद रहे हैं.



"विष्णु पुराण समेत अन्य पुराणों में बांस को शुद्धता का प्रतीक माना गया है. बांस काे वंशवाद वृद्धि करने का भी प्रतीक माना जाता है. सुख समृद्धि और संतान सुख को लेकर सूर्यपूजा में बांस से बनी टोकरी और सूप का प्रयोग किया जाता है"-गोपाल पांडे, पुजारी, श्री राम जानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर

पटनाः लोक आस्था का महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाए खाए से कल शुक्रवार से शुरू हो रहा है. छठ पूजा (Chhath Puja 2022) में बांस से बनी टोकरी और सूप का विशेष महत्व है. बांस को आध्यात्मिक दृष्टि से भी शुद्ध माना गया है. छठ पूजा में बांस से बनी सूप में पूजन सामग्री रखकर अ‌र्घ्य देने का विधान है. वहीं टोकरी में पूजा के सामान रख कर छठ के घाट ले जाया जाता है. ऐसे में मसौढ़ी बाजार में सूप और टोकरी का बाजार सज गया है. खरीदारों की भीड़ उमड़ रही है.

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क्या है मान्यताः छठ पर्व में सूप और टोकरी का बहुत ही महात्म (Importance of Sup and Daura in Chhath Puja) माना गया है. सूर्य पूजा के लिए अर्घ्य देने के लिए सूप और फलों को रखने के लिए टोकरी का प्रयोग किया जाता है. बांस से बनी टोकरी और सूप को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा बांस के बारे में यह भी कहा जाता है कि बांस मिट्टी और पानी के सहयोग से आसानी से काफी बड़ा होता है. बांस काे वंशवाद वृद्धि करने का भी प्रतीक माना जाता है. सुख समृद्धि और संतान सुख को लेकर सूर्यपूजा में बांस से बनी टोकरी और सूप का प्रयोग किया जाता है.

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बांस से बनी टोकरी का बाजार सज गयाः श्री राम जानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर के मुख्य पुजारी गोपाल पांडे ने कहा कि विष्णु पुराण समेत अन्य पुराणों में बांस काे शुद्धता का प्रतीक माना गया है. बांस से बनी टोकरी शुभ होता है. उसका पूजा पाठ में प्रयोग किया जाता है. टोकरी और सूप का प्रयोग छठ पर्व में सूर्य पूजा के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है ऐसे में मसौढ़ी बाजार में टोकरी का बाजार सज गया है. छठ पर्व करने वाले श्रद्धालु बाजारों में टोकरी और सूप खरीद रहे हैं.



"विष्णु पुराण समेत अन्य पुराणों में बांस को शुद्धता का प्रतीक माना गया है. बांस काे वंशवाद वृद्धि करने का भी प्रतीक माना जाता है. सुख समृद्धि और संतान सुख को लेकर सूर्यपूजा में बांस से बनी टोकरी और सूप का प्रयोग किया जाता है"-गोपाल पांडे, पुजारी, श्री राम जानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर

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