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Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा, महिषासुर का किया था वध

आज चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा हो रही है. भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने वाला दिन आज के दिन को माना जाता है. इस दिन मां के भक्त व्रत भी रखते हैं. मां के इस रूप की सच्चे मन से पूजा करने से सारे रोग दूर होते हैं, शत्रुओं से भय नहीं होता और लंबी आयु का वरदान मिलता है.

Chaitra Navratri 2023
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Published : Mar 23, 2023, 11:57 PM IST

पटना: मां के चंद्रघंटा स्वरूप की नवरात्रि 2023 के तीसरे दिन पूजा की जाती है. देवी के मस्तिष्क पर घंटे के आकार का आधा चंद्र सुशोभित है इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. नवरात्रि के तीसरे दिन को भय से मुक्ति और अपार साहस देने वाला माना जाता है. इस दिन कैसे और किस मुहूर्त में करें जानें..

पढ़ें- Chaitra Navratri 2023: पटना के ऐतिहासिक मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ में चैत्र नवरात्र पर उमड़ी भक्तों की भीड़

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा: मां का चंद्रघंटा रूप शक्ति का प्रतीक है. मां शेर पर सवार हैं और उनके दसों हाथ में अस्त्र-शस्त्र हैं. मां के मस्तिष्क पर चंद्रमा विराजमान है जो उनके स्वरुप को अलौकिक बनाता है. इनकी पूजा करन से आध्यात्मिक शक्त, मन पर नियंत्रण और आत्मविश्वास प्राप्त होता है. मां चंद्रघंटा की सच्चे मन से पूजा करने से सारे पाप मिट जाते हैं और मनोवांचित फल की प्राप्ति होती है.

दैत्यों के संहार के लिए मां दुर्गा ने लिया था ये रूप: बुधवार 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. दूसरे दिन मां शैलपुत्री की पूजा की गई वहीं तीसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधाना की गई. नवरात्रि के चौथे दिन आज मां चंद्रघंटा की पूजा हो रही है. मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा ने चंद्रघंटा का रूप धारण कर दैत्यों के आतंक को खत्म किया था.

पौराणिक कथा: कथाओं के मुताबिक महिषासुर का आतंक काफी बढ़ गया था. देवताओं से उसने युद्ध करना शुरू कर दिया था. महिषासुर को इंद्रदेव का सिंहासन चाहिए था और स्वर्ग लोक पर राज करना चाहता था. देवता त्राहिमाम करने लगे और ब्रह्मा विष्णु और महेश से प्रार्थना करने लगे. तीनों देवों ने जब बाकि देवताओं की समस्या सुनी और उनके मुख से क्रोध में एक ऊर्जा निकली. उसी ऊर्जा से देवी प्रकट हुई. ये देवी मां चंद्रघंटा है. देवी को भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र देव ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज, तलवार और सिंह दिया था. मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की थी.

ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा: मां चंद्रघंटा को सफेल फूल पसंद हैं. साथ ही दूध से बने मिष्टान का मां को भोग लगाना चाहिए. फूल, चंदन, सिंदूर, रोली मां चंद्रघंटा को अर्पित करना अति शुभ होता है. 108 बार माता का पाठ करने से सारी इच्छाएं भक्तों की पूरी होती है.

पटना: मां के चंद्रघंटा स्वरूप की नवरात्रि 2023 के तीसरे दिन पूजा की जाती है. देवी के मस्तिष्क पर घंटे के आकार का आधा चंद्र सुशोभित है इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. नवरात्रि के तीसरे दिन को भय से मुक्ति और अपार साहस देने वाला माना जाता है. इस दिन कैसे और किस मुहूर्त में करें जानें..

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चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा: मां का चंद्रघंटा रूप शक्ति का प्रतीक है. मां शेर पर सवार हैं और उनके दसों हाथ में अस्त्र-शस्त्र हैं. मां के मस्तिष्क पर चंद्रमा विराजमान है जो उनके स्वरुप को अलौकिक बनाता है. इनकी पूजा करन से आध्यात्मिक शक्त, मन पर नियंत्रण और आत्मविश्वास प्राप्त होता है. मां चंद्रघंटा की सच्चे मन से पूजा करने से सारे पाप मिट जाते हैं और मनोवांचित फल की प्राप्ति होती है.

दैत्यों के संहार के लिए मां दुर्गा ने लिया था ये रूप: बुधवार 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. दूसरे दिन मां शैलपुत्री की पूजा की गई वहीं तीसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधाना की गई. नवरात्रि के चौथे दिन आज मां चंद्रघंटा की पूजा हो रही है. मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा ने चंद्रघंटा का रूप धारण कर दैत्यों के आतंक को खत्म किया था.

पौराणिक कथा: कथाओं के मुताबिक महिषासुर का आतंक काफी बढ़ गया था. देवताओं से उसने युद्ध करना शुरू कर दिया था. महिषासुर को इंद्रदेव का सिंहासन चाहिए था और स्वर्ग लोक पर राज करना चाहता था. देवता त्राहिमाम करने लगे और ब्रह्मा विष्णु और महेश से प्रार्थना करने लगे. तीनों देवों ने जब बाकि देवताओं की समस्या सुनी और उनके मुख से क्रोध में एक ऊर्जा निकली. उसी ऊर्जा से देवी प्रकट हुई. ये देवी मां चंद्रघंटा है. देवी को भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र देव ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज, तलवार और सिंह दिया था. मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की थी.

ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा: मां चंद्रघंटा को सफेल फूल पसंद हैं. साथ ही दूध से बने मिष्टान का मां को भोग लगाना चाहिए. फूल, चंदन, सिंदूर, रोली मां चंद्रघंटा को अर्पित करना अति शुभ होता है. 108 बार माता का पाठ करने से सारी इच्छाएं भक्तों की पूरी होती है.

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