पटना: आज 25 मार्च 2023 को चैत्र नवरात्रि में माता कूष्मांडा की पूजा हो रही है. कहा जाता है कि एक समय पूरी दुनिया में अंधकार छा गया था तब माता कूष्मांडा ने अपनी निश्चल मुस्कान से ब्रहांड की रचना की इसलिए इन्हें सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना गया है. माता कूष्मांडा की सच्चे दिल से पूजा अर्चना करने से रोग,दोष और हर तरह के भय से मुक्ति मिलती है.
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चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन: कूष्मांडा माता अगर किसी पर प्रसन्न हो जाए तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. उसे अष्ट सिद्धियां मिल जाती है. ऐसे में मां की पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्रों का भक्त खास ध्यान रखते हैं. माता कूष्मांडा की आराधना में लीन होने से पहले कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखें. स्नान के बाद हरे रंग का वस्त्र धारण करें. कुम्हड़े की बलि दीजिए और मां कूष्मांडा को अर्पित कर दीजिए. कुम्हड़ा वो फल होता है जिससे मीठा पेठा बनाया जाता है. माता को सुहाग की निशानी मेहेंदी, चंदन, हरी चूड़ियां चढ़ाना अति लाभकारी होता है.
मां कूष्मांडा की हो रही पूजा: कूष्मांडा माता को भोग में मालपुआ अति प्रिय होता है. इसलिए मालपुआ का भोग लगाना भी शुभकारी होता है. अगर आपके घर में कोई लंबे समय से बीमार है और नीम हाकीम से हार चुके हैं तो मां कूष्मांडा के मंत्र जिसे बीज मंत्र कहते हैं, का जाप करें. 108 बार जाप करना चाहिए. माता की कथाएं भी सुननी चाहिए.
ऐसे करें मां को प्रसन्न: आचार्यों के मुताबिक माता कूष्मांडा की उपासना से कुंडली में बुध ग्रह से संबंधित दोष दूर हो जाते हैं. मां कूष्मांडा की पूजा के दिन बुध के अशुभ प्रभाव के व्यक्ति के उम्र के हिसाब से माता के चरणों में इलाइची अर्पित करनी चाहिए. इलाइची हरी होनी चाहिए. इस दौरान ॐ बुं बुधाय नमः मंच का उच्चारण करना चाहिए. दूसरे दिन माता के चरणों में चढ़ाए गए इलाइची को इकट्ठा कर एक हरे कपड़े में बांध लें और सुरक्षित रख लें. इससे स्वास्थ्य लाभ के साथ ही वाणी और बुद्धि में भी तेज आता है.