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नवरात्रि का आठवां दिन आज, मां महागौरी की पूजा से होती हैं सभी बाधाएं दूर

श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

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Published : Apr 12, 2019, 8:31 AM IST

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पटना: देशभर में नवरात्रि की धूम है. आज नवरात्र का 8 वां दिन है. इसे महाअष्टमी भी कहते हैं. इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इन नौ दिनों में माता की पूजा अर्चना करने से सुख, शांति, यश, वैभव और मान-सम्मान हासिल होता है.

अष्टमी का महत्व
अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा होती है. सुंदर, अति गौर वर्ण होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है. महागौरी की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्‍ति होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है. वहीं मान्यता है कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा को विशेष भोग भी लगाया जाना चाहिए. अगर ये भोग मां दुर्गा को नहीं लगे तो नवरात्र का पर्व अधूरा माना जाता है.

नवरात्रि में कलश यात्रा निकालते श्रद्धालु
कन्या पूजन का फलअष्टमी के दिन कन्याओं को भोजन करवाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन 10 साल के कम उम्र की कन्याओं के पूजन और उन्हें भोजन कराने से शुभ फल मिलता है. ये कन्याएं मां दुर्गा का प्रतिनिधि मानी जाती हैं. आमतौर पर कन्याभोज में नौ कन्याओं को भोजन कराया जाता है लेकिन 5, 7 और 11 की संख्या भी शुभ मानी जाती है. घर बुलाकर पहले उनके पैर पूजे जाते हैं, फिर उन्हें भोजन कराकर पसंदीदा तोहफे दिए जाते हैं और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है.क्या है महागौरी की पूजा विधि?सबसे पहले महागौरी की प्रतिमा चौकी पर रखकर गंगाजल से शुद्धिकण करें. फिर चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्ठी के घड़े में पानी भरकर और उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें. इसके बाद व्रत का संकल्प लें और पूरी श्रद्धा के साथ महागौरी की पूजा करें.इस मंत्र का करें जापश्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

पटना: देशभर में नवरात्रि की धूम है. आज नवरात्र का 8 वां दिन है. इसे महाअष्टमी भी कहते हैं. इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इन नौ दिनों में माता की पूजा अर्चना करने से सुख, शांति, यश, वैभव और मान-सम्मान हासिल होता है.

अष्टमी का महत्व
अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा होती है. सुंदर, अति गौर वर्ण होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है. महागौरी की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्‍ति होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है. वहीं मान्यता है कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा को विशेष भोग भी लगाया जाना चाहिए. अगर ये भोग मां दुर्गा को नहीं लगे तो नवरात्र का पर्व अधूरा माना जाता है.

नवरात्रि में कलश यात्रा निकालते श्रद्धालु
कन्या पूजन का फलअष्टमी के दिन कन्याओं को भोजन करवाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन 10 साल के कम उम्र की कन्याओं के पूजन और उन्हें भोजन कराने से शुभ फल मिलता है. ये कन्याएं मां दुर्गा का प्रतिनिधि मानी जाती हैं. आमतौर पर कन्याभोज में नौ कन्याओं को भोजन कराया जाता है लेकिन 5, 7 और 11 की संख्या भी शुभ मानी जाती है. घर बुलाकर पहले उनके पैर पूजे जाते हैं, फिर उन्हें भोजन कराकर पसंदीदा तोहफे दिए जाते हैं और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है.क्या है महागौरी की पूजा विधि?सबसे पहले महागौरी की प्रतिमा चौकी पर रखकर गंगाजल से शुद्धिकण करें. फिर चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्ठी के घड़े में पानी भरकर और उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें. इसके बाद व्रत का संकल्प लें और पूरी श्रद्धा के साथ महागौरी की पूजा करें.इस मंत्र का करें जापश्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
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पटना: देशभर में नवरात्रि की धूम है. आज नवरात्र का 8 वां दिन है. इसे महाअष्टमी भी कहते हैं. इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इन नौ दिनों में माता की पूजा अर्चना करने से सुख, शांति, यश, वैभव और मान-सम्मान हासिल होता है.

अष्टमी का महत्व

अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा होती है. सुंदर, अति गौर वर्ण होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है. महागौरी की आराधना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं, समस्त पापों का नाश होता है, सुख-सौभाग्य की प्राप्‍ति होती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है. वहीं मान्यता है कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा को विशेष भोग भी लगाया जाना चाहिए. अगर ये भोग मां दुर्गा को नहीं लगे तो नवरात्र का पर्व अधूरा माना जाता है.

कन्या पूजन का फल

अष्टमी के दिन कन्याओं को भोजन करवाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन 10 साल के कम उम्र की कन्याओं के पूजन और उन्हें भोजन कराने से शुभ फल मिलता है. ये कन्याएं मां दुर्गा का प्रतिनिधि मानी जाती हैं. आमतौर पर कन्याभोज में नौ कन्याओं को भोजन कराया जाता है लेकिन 5, 7 और 11 की संख्या भी शुभ मानी जाती है. घर बुलाकर पहले उनके पैर पूजे जाते हैं, फिर उन्हें भोजन कराकर पसंदीदा तोहफे दिए जाते हैं और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है.

क्या है महागौरी की पूजा विधि?

सबसे पहले महागौरी की प्रतिमा चौकी पर रखकर गंगाजल से शुद्धिकण करें. फिर चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्ठी के घड़े में पानी भरकर और उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें. इसके बाद व्रत का संकल्प लें और पूरी श्रद्धा के साथ महागौरी की पूजा करें.

इस मंत्र का करें जाप

श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥


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