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अपहरण के चंगुल में लड़कियां! 740 दिनों में 232 बेटियों का अपहरण, 72 का अबतक कोई सुराग नहीं - etv bharat

बिहार में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ी चिंता है. एक तरफ सीएम नीतीश कुमार सुशासन का दावा करते हैं, वहीं बिहार में अपहरण का ग्राफ बढ़ रहा है. पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता द्वारा दायर आरटीआई के अनुसार, खगड़िया जिले में 739 दिनों में 232 लड़कियां लापता हो गई हैं और 72 अभी भी लापता हैं. पढ़ें रिपोर्ट.

बिहार में बेटियां सुरक्षित नहीं
बिहार में बेटियां सुरक्षित नहीं
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Published : Apr 25, 2022, 9:07 PM IST

पटना: सीएम नीतीश कुमार बार-बार अपनी सरकार की यूएसपी सुशासन बताते हैं, लेकिन अगर आंकड़ों को देखें तो सुशासन की राग अलाप रहे बिहार में आधी आबादी सुरक्षित नहीं है. वह भी तब जब सूबे के मुखिया नीतीश कुमार खुद आधी आबादी को तवज्जो देते हैं. फिर भी बिहार में बेटियां सुरक्षित नहीं हैं. राज्य के सरकारी आंकड़े ही बिहार में सुशासन का आइना दिखा रहे हैं. आंकड़े ही सब कुछ कह रहे हैं. बिहार में पिछले 740 दिनों में 232 बेटियां गायब हुई हैं. इनमें कई का अपहरण किया गया (Case Of Girls Kidnapping Increased in Bihar) है, तो कई झांसे में आकर गायब हो गईं हैं. चिंताजनक बात यह है कि इन 232 बेटियों में से 72 का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है.

यह भी पढ़ें- आर्मी में जाने की चाहत रखने वाली दलित बेटी की दरिंदो ने फोड़ी आंख, 90 दिन बाद भी पुलिस के हाथ खाली

डीजीपी से मांगी थी जानकारीः आरटीआई के तहत यह सारी जानकारी पटना हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट मणि भूषण सिंह सेंगर द्वारा महिला सुरक्षा को लेकर दी गई एक आरटीआई में सामने आई है. उन्होंने बिहार के डीजीपी से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी कि 1 जनवरी 2020 से 10 जनवरी 2022 तक बिहार के सभी जिलों में कुल कितनी बालिग और नाबालिग लड़कियां गायब हुई या फिर उनका अपहरण हुआ. इनमें से कितनी बरामद हुई हैं और अभी इतनी गायब हैं. उन्होंने यह भी जानकारी मांगी थी कि वर्ष 2018 से 2021 राज्य के सभी जिलों में नाबालिग यौन उत्पीड़न कुल कितने मामले राज्य के किन-किन थानों में दर्ज हुए तथा कितने कांडों में आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र 11 जनवरी 2022 तक समर्पित किए गए.

कई बेटियों का सुराग तक नहींः एडवोकेट सेंगर ने बताया कि मुख्यालय में बेटियों की सुरक्षा की पोल ना खुले, इसलिए सूचना के लिए जिलों को पत्र भेज दिया था. इसी क्रम में खगड़िया से मिली सूचना से महिला सुरक्षा की पोल खुली है. खगड़िया जैसे छोटे जिले में 2020 में नाबालिग और बालिग बालिकाओं के अपहरण एवं गुमशुदगी के कुल 96 मामले दर्ज किए गए. इसमें 82 मामलों में तो बरामदगी हो गई है, लेकिन 14 बेटियां आज भी गायब हैं. पुलिस उनका कोई सुराग नहीं लगा पाई. इसी प्रकार खगड़िया पुलिस की जानकारी के मुताबिक वर्ष 2021 में खगड़िया जिले में 134 नाबालिग व बालिग बेटियों के अपहरण व गुमशुदगी के मामले दर्ज किए गए. इनमे से 57 मामलों में बेटियों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है. पुलिस अब तक केवल 77 बेटियों का ही सुराग लगा सकी है.

इस साल के शुरुआत में ही मामलाः पुलिस के आंकड़ों के अनुसार साल 2022 के जनवरी माह के 5 दिनों में दो नाबालिग लड़कियों का अपहरण हुआ. इसमें एक तो बरामद कर ली गई, जबकि एक का अभी तक कोई सुराग नहीं लगा है. खगड़िया पुलिस के आंकड़ों के अनुसार महिला अपराध की बढ़ती घटना के बाद भी यौन उत्पीड़न के मामले कम आ रहे हैं. जिले में 4 साल में नाबालिग यौन उत्पीड़न कुल 69 मामले दर्ज हुए. 2018 में 25, 2019 में 22, 2020 में 8 और 2021 में 14 मामले दर्ज हुए हैं. हालांकि पुलिस सूत्रों के अनुसार अशिक्षा और गरीबी के कारण पुलिस की जानकारी से पहले ही ऐसे मामलों पर पर्दा डाल दिया जाता है. एडवोकेट सेंगर बताते हैं, उन्होंने राज्य के सभी जिलों से ये सूचना मांगी थी लेकिन केवल एक जिले की ही जानकारी दी गई है. सभी जिलों की सूचना मिलने पर इन आंकड़ों में वृद्धि से इनकार नहीं किया जा सकता है.

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पटना: सीएम नीतीश कुमार बार-बार अपनी सरकार की यूएसपी सुशासन बताते हैं, लेकिन अगर आंकड़ों को देखें तो सुशासन की राग अलाप रहे बिहार में आधी आबादी सुरक्षित नहीं है. वह भी तब जब सूबे के मुखिया नीतीश कुमार खुद आधी आबादी को तवज्जो देते हैं. फिर भी बिहार में बेटियां सुरक्षित नहीं हैं. राज्य के सरकारी आंकड़े ही बिहार में सुशासन का आइना दिखा रहे हैं. आंकड़े ही सब कुछ कह रहे हैं. बिहार में पिछले 740 दिनों में 232 बेटियां गायब हुई हैं. इनमें कई का अपहरण किया गया (Case Of Girls Kidnapping Increased in Bihar) है, तो कई झांसे में आकर गायब हो गईं हैं. चिंताजनक बात यह है कि इन 232 बेटियों में से 72 का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है.

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डीजीपी से मांगी थी जानकारीः आरटीआई के तहत यह सारी जानकारी पटना हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट मणि भूषण सिंह सेंगर द्वारा महिला सुरक्षा को लेकर दी गई एक आरटीआई में सामने आई है. उन्होंने बिहार के डीजीपी से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी कि 1 जनवरी 2020 से 10 जनवरी 2022 तक बिहार के सभी जिलों में कुल कितनी बालिग और नाबालिग लड़कियां गायब हुई या फिर उनका अपहरण हुआ. इनमें से कितनी बरामद हुई हैं और अभी इतनी गायब हैं. उन्होंने यह भी जानकारी मांगी थी कि वर्ष 2018 से 2021 राज्य के सभी जिलों में नाबालिग यौन उत्पीड़न कुल कितने मामले राज्य के किन-किन थानों में दर्ज हुए तथा कितने कांडों में आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र 11 जनवरी 2022 तक समर्पित किए गए.

कई बेटियों का सुराग तक नहींः एडवोकेट सेंगर ने बताया कि मुख्यालय में बेटियों की सुरक्षा की पोल ना खुले, इसलिए सूचना के लिए जिलों को पत्र भेज दिया था. इसी क्रम में खगड़िया से मिली सूचना से महिला सुरक्षा की पोल खुली है. खगड़िया जैसे छोटे जिले में 2020 में नाबालिग और बालिग बालिकाओं के अपहरण एवं गुमशुदगी के कुल 96 मामले दर्ज किए गए. इसमें 82 मामलों में तो बरामदगी हो गई है, लेकिन 14 बेटियां आज भी गायब हैं. पुलिस उनका कोई सुराग नहीं लगा पाई. इसी प्रकार खगड़िया पुलिस की जानकारी के मुताबिक वर्ष 2021 में खगड़िया जिले में 134 नाबालिग व बालिग बेटियों के अपहरण व गुमशुदगी के मामले दर्ज किए गए. इनमे से 57 मामलों में बेटियों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है. पुलिस अब तक केवल 77 बेटियों का ही सुराग लगा सकी है.

इस साल के शुरुआत में ही मामलाः पुलिस के आंकड़ों के अनुसार साल 2022 के जनवरी माह के 5 दिनों में दो नाबालिग लड़कियों का अपहरण हुआ. इसमें एक तो बरामद कर ली गई, जबकि एक का अभी तक कोई सुराग नहीं लगा है. खगड़िया पुलिस के आंकड़ों के अनुसार महिला अपराध की बढ़ती घटना के बाद भी यौन उत्पीड़न के मामले कम आ रहे हैं. जिले में 4 साल में नाबालिग यौन उत्पीड़न कुल 69 मामले दर्ज हुए. 2018 में 25, 2019 में 22, 2020 में 8 और 2021 में 14 मामले दर्ज हुए हैं. हालांकि पुलिस सूत्रों के अनुसार अशिक्षा और गरीबी के कारण पुलिस की जानकारी से पहले ही ऐसे मामलों पर पर्दा डाल दिया जाता है. एडवोकेट सेंगर बताते हैं, उन्होंने राज्य के सभी जिलों से ये सूचना मांगी थी लेकिन केवल एक जिले की ही जानकारी दी गई है. सभी जिलों की सूचना मिलने पर इन आंकड़ों में वृद्धि से इनकार नहीं किया जा सकता है.

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