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क्या फिर साथ आएंगे लालू-नीतीश, एनडीए विवाद के बीच मौके की तलाश में RJD

क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव (RJD President Lalu Yadav) पाले में वापस आने की कोई संभावना है? ये सवाल दरअसल इसलिए, क्योंकि कई मुद्दों को लेकर हाल के दिनों में जेडीयू और बीजेपी में तनातनी (Dispute Between JDU and BJP) बढ़ गई है. एनडीए में जारी खटपट के बीच आरजेडी एक बार फिर सूबे में सरकार बनाने के मौके की तलाश में है. पढ़ें ये खास रिपोर्ट...

नीतीश और लालू के बीच गठबंधन
नीतीश और लालू के बीच गठबंधन
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Published : Jan 18, 2022, 6:22 PM IST

पटना: बिहार की सियासत इन दिनों पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है. हालत कुछ ऐसी है कि यूपी और पंजाब चुनाव से ज्यादा बिहार एनडीए में छिड़े विवाद की चर्चा हो रही है. एक तरफ जहरीली शराब से मौत के बाद बीजेपी ने जेडीयू पर निशाना साधा है तो वहीं दूसरी तरफ सम्राट अशोक प्रकरण में जेडीयू के निशाने पर सीधे-सीधे बीजेपी है. इन सबके बीच जब बीजेपी ने यूपी विधानसभा चुनाव में जेडीयू के साथ गठबंधन नहीं किया तो इसे लेकर भी जेडीयू में खासी नाराजगी है. जेडीयू और बीजेपी में तनातनी (Dispute Between JDU and BJP) नेताओं के बयान से लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट से भी साफ नजर आती है. इसको लेकर एक अन्य सहयोगी जीतनराम मांझी की पार्टी हम ने दोनों दलों को निशाने पर लिया है.

ये भी पढ़ें: ...तो क्या NDA से एग्जिट का बहाना ढूंढ रहे हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार?

दरअसल, विवाद की शुरुआत लेखक दया प्रकाश सिन्हा की ओर से सम्राट अशोक की औरंगजेब से तुलना के बाद हुई है. जेडीयू इस बयान के विरोध में उतर आया और बीजेपी से मांग कर दी कि लेखक से 'पद्मश्री' सम्मान वापस लिया जाए. इसके बाद तो बीजेपी भी जेडीयू के विरोध में उतर गई. प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने उपेंद्र कुशवाहा को सोशल मीडिया के जरिए जवाब दे दिया और इसमें पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी मैदान में कूद गए. उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत के यशस्वी सम्राट अशोक का बीजेपी सम्मान करती है.

वहीं, बीजेपी नेताओं के बयान को लेकर एक बार फिर जेडीयू ने पलटवार किया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और दया प्रकाश सिन्हा से पद्मश्री सम्मान वापस लेना चाहिए. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने लेखक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई लेकिन इसे जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आईवॉश करार दिया और कहा कि इससे कोई फायदा नहीं. इस मामले में तब रोचक मोड़ आ गया, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के गृह जिले नालंदा में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत हो गई.

जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर संजय जायसवाल ने सीधे-सीधे मुख्यमंत्री पर हमला बोला और कहा कि ऐसे कानून का क्या मतलब जब पुलिस और प्रशासन ही अवैध शराब के धंधे में लिप्त हों. इसी वजह से जहरीली शराब से लोगों की मौत हो रही है. शराब के मुद्दे को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच जो भिड़ंत शुरू हुई है, वह अबतक थम नहीं रही है. आखिरकार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने यहां तक ट्वीट कर दिया कि अगर जेडीयू नेताओं ने बोलना बंद नहीं किया तो नीतीश कुमार की कुर्सी भी जा सकती है.

इन तमाम विवादों से पहले जातीय जनगणना को लेकर भी बीजेपी और जेडीयू के अलग-अलग विचार भी खासे चर्चा में रहे थे. एक तरफ आरजेडी नीतीश कुमार से राज्य स्तर पर जातीय जनगणना के मामले पर आगे बढ़ने की मांग कर रहा है. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी ने इसे लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं. इन तमाम बयानबाजी के बीच राष्ट्रीय जनता दल ने पहले अपने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के जरिए नीतीश कुमार को ओपन ऑफर दिया और कहा कि अगर जातीय जनगणना पर नीतीश कुमार को कोई परेशानी होती है तो आरजेडी उनका साथ देने को तैयार है.

हालांकि जेडीयू ने आरजेडी के इस ऑफर को ठुकरा दिया लेकिन जब सम्राट अशोक विवाद और जहरीली शराब को लेकर बीजेपी और जेडीयू में तनातनी बढ़ी, तब आरजेडी ने एक बार फिर से नीतीश को साथ आने का ऑफर दे दिया है. इसे सियासी हलकों में आपदा में अवसर तलाशने की बात कही जा रही है. इसके साथ ही सूबे के सियासी गलियारों से लेकर आमजन में इस बात को लेकर चर्चा तेज होने लगी है कि क्या वाकई एक बार फिर नीतीश और लालू के बीच गठबंधन (Alliance Between Nitish and Lalu) हो सकता है.

राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि हम बिहार की जनता की भलाई के लिए मजबूत पार्टी होने की वजह से सिर्फ मूकदर्शक बने नहीं रह सकते. अगर दोनों दलों के मतभेद की वजह से ऐसी परिस्थिति बनती है तो हम तैयार हैं. उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी और एक मजबूत विपक्ष की भूमिका के मद्देनजर हमारी बिहार के सियासी हालात पर पल-पल नजर है. इस बात में तो कोई संदेह नहीं कि बीजेपी के नेता बार-बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अपमान कर रहे हैं.

"अगर दोनों दलों के मतभेद की वजह से ऐसी परिस्थिति बनती है तो हम तैयार हैं. उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी और एक मजबूत विपक्ष की भूमिका के मद्देनजर हमारी बिहार के सियासी हालात पर पल-पल नजर है. इस बात में तो कोई संदेह नहीं कि बीजेपी के नेता बार-बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अपमान कर रहे हैं'- मृत्युंजय तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, आरजेडी

ये भी पढ़ें: ये भी पढ़ें: BJP को JDU विधायक की दो टूक- 'साथ छोड़ना है तो छोड़ दीजिए, कौन कह रहा है रहने के लिए'

वहीं, बिहार की सियासत को बेहद करीब से जानने और समझने वाले डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि अगर आरजेडी बार-बार नीतीश कुमार को ऑफर दे रहा है और यह कह रहा है कि बिहार के सियासी हालात पर हमारी पैनी नजर है तो जाहिर तौर पर उसे मौके की तलाश है. उन्होंने कहा कि आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से जेडीयू को और बीजेपी को इस बात का एहसास भी दिला रहा है. एक तरह से वह जेडीयू को उकसा रहा है कि वह बीजेपी से अलग हो जाए लेकिन ऐसा कुछ होता हुआ नहीं दिखता, क्योंकि बीजेपी और जेडीयू के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है.

"अगर आरजेडी बार-बार नीतीश कुमार को ऑफर दे रहा है और यह कह रहा है कि बिहार के सियासी हालात पर हमारी पैनी नजर है तो जाहिर तौर पर उसे मौके की तलाश है. आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से जेडीयू को और बीजेपी को इस बात का एहसास भी दिला रहा है. एक तरह से वह जेडीयू को उकसा रहा है कि वह बीजेपी से अलग हो जाए लेकिन ऐसा कुछ होता हुआ नहीं दिखता, क्योंकि बीजेपी और जेडीयू के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है"- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

ये भी पढ़ें: जदयू से टकराव के बीच बीजेपी सांसद की मांग- नीतीश की परवाह किए बगैर चिराग को NDA में वापस लायें

हालांकि इस मामले में जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि बीजेपी और जेडीयू के बीच वैचारिक मतभेद जरूर हैं, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता लेकिन सरकार के कार्यक्रम और नीतीश कुमार की कार्यशैली को लेकर कहीं कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस दिन यह परेशानी होगी और नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सवाल उठाए जाएंगे, तब ऐसा सवाल उठ सकता है. जेडीयू नेता ने कहा कि आरजेडी के साथ तो किसी भी हाल में जाने का सवाल ही नहीं उठता, इसलिए राजनेता यह भ्रम पालना छोड़ दें.

"बीजेपी और जेडीयू के बीच वैचारिक मतभेद जरूर हैं, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता लेकिन सरकार के कार्यक्रम और नीतीश कुमार की कार्यशैली को लेकर कहीं कोई परेशानी नहीं है. जिस दिन यह परेशानी होगी और नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सवाल उठाए जाएंगे, तब ऐसा सवाल उठ सकता है. वैसे भी आरजेडी के साथ तो किसी भी हाल में जाने का सवाल ही नहीं उठता, इसलिए राजनेता यह भ्रम पालना छोड़ दें"- नीरज कुमार, प्रवक्ता, जेडीयू

वहीं, बिहार बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने आरजेडी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए कहा कि उन्हें महागठबंधन के भीतर झांकना चाहिए. महागठबंधन के अस्तिव पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले उपेंद्र कुशवाहा, फिर जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी साथ छोड़ गए. अब कांग्रेस के साथ नुरा-कुश्ती चल रही है. ऐसे में आरजेडी को उस पर ध्यान देना चाहिए. बिहार में जिसका महागठबंधन ध्वस्त हो गया हो, वह हैदराबाद में केसीआर से टिप्स लेने जाते हैं. ऐसे राजनीति नहीं चलती है.

"आरजेडी के लोगों को महागठबंधन के भीतर झांकना चाहिए. महागठबंधन है भी या नहीं, पता नहीं क्योंकि पहले उपेंद्र कुशवाहा, फिर जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी साथ छोड़ गए. अब कांग्रेस के साथ नुरा-कुश्ती चल रही है. ऐसे में आरजेडी को उस पर ध्यान देना चाहिए. बिहार में जिसका महागठबंधन ध्वस्त हो गया हो, वह हैदराबाद में केसीआर से टिप्स लेने जाते हैं. ऐसे राजनीति नहीं चलती है"- निखिल आनंद, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

ये भी पढ़ें: बिहार NDA में चल रहे वाकयुद्ध पर RJD का तंज, कहा- 'अपमानित हो रहे हैं नीतीश, आ जाएं हमारे साथ'

आपको याद दिलाएं कि साल 2013 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को केवल दो सीटों पर ही जीत मिली. इसके बाद 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश और लालू के बीच गठबंधन हुआ. दोनों नेताओं के गठबंधन को बिहार की जनता ने खूब पसंद किया, लेकिन ये दोस्ती ज्यादा दिन चल नहीं सकी. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नीतीश ने आरजेडी से नाता तोड़ लिया और एक बार फिर से एनडीए में लौट गए.

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पटना: बिहार की सियासत इन दिनों पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है. हालत कुछ ऐसी है कि यूपी और पंजाब चुनाव से ज्यादा बिहार एनडीए में छिड़े विवाद की चर्चा हो रही है. एक तरफ जहरीली शराब से मौत के बाद बीजेपी ने जेडीयू पर निशाना साधा है तो वहीं दूसरी तरफ सम्राट अशोक प्रकरण में जेडीयू के निशाने पर सीधे-सीधे बीजेपी है. इन सबके बीच जब बीजेपी ने यूपी विधानसभा चुनाव में जेडीयू के साथ गठबंधन नहीं किया तो इसे लेकर भी जेडीयू में खासी नाराजगी है. जेडीयू और बीजेपी में तनातनी (Dispute Between JDU and BJP) नेताओं के बयान से लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट से भी साफ नजर आती है. इसको लेकर एक अन्य सहयोगी जीतनराम मांझी की पार्टी हम ने दोनों दलों को निशाने पर लिया है.

ये भी पढ़ें: ...तो क्या NDA से एग्जिट का बहाना ढूंढ रहे हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार?

दरअसल, विवाद की शुरुआत लेखक दया प्रकाश सिन्हा की ओर से सम्राट अशोक की औरंगजेब से तुलना के बाद हुई है. जेडीयू इस बयान के विरोध में उतर आया और बीजेपी से मांग कर दी कि लेखक से 'पद्मश्री' सम्मान वापस लिया जाए. इसके बाद तो बीजेपी भी जेडीयू के विरोध में उतर गई. प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने उपेंद्र कुशवाहा को सोशल मीडिया के जरिए जवाब दे दिया और इसमें पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी मैदान में कूद गए. उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत के यशस्वी सम्राट अशोक का बीजेपी सम्मान करती है.

वहीं, बीजेपी नेताओं के बयान को लेकर एक बार फिर जेडीयू ने पलटवार किया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और दया प्रकाश सिन्हा से पद्मश्री सम्मान वापस लेना चाहिए. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने लेखक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई लेकिन इसे जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आईवॉश करार दिया और कहा कि इससे कोई फायदा नहीं. इस मामले में तब रोचक मोड़ आ गया, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के गृह जिले नालंदा में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत हो गई.

जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर संजय जायसवाल ने सीधे-सीधे मुख्यमंत्री पर हमला बोला और कहा कि ऐसे कानून का क्या मतलब जब पुलिस और प्रशासन ही अवैध शराब के धंधे में लिप्त हों. इसी वजह से जहरीली शराब से लोगों की मौत हो रही है. शराब के मुद्दे को लेकर बीजेपी और जेडीयू के बीच जो भिड़ंत शुरू हुई है, वह अबतक थम नहीं रही है. आखिरकार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने यहां तक ट्वीट कर दिया कि अगर जेडीयू नेताओं ने बोलना बंद नहीं किया तो नीतीश कुमार की कुर्सी भी जा सकती है.

इन तमाम विवादों से पहले जातीय जनगणना को लेकर भी बीजेपी और जेडीयू के अलग-अलग विचार भी खासे चर्चा में रहे थे. एक तरफ आरजेडी नीतीश कुमार से राज्य स्तर पर जातीय जनगणना के मामले पर आगे बढ़ने की मांग कर रहा है. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी ने इसे लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं. इन तमाम बयानबाजी के बीच राष्ट्रीय जनता दल ने पहले अपने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के जरिए नीतीश कुमार को ओपन ऑफर दिया और कहा कि अगर जातीय जनगणना पर नीतीश कुमार को कोई परेशानी होती है तो आरजेडी उनका साथ देने को तैयार है.

हालांकि जेडीयू ने आरजेडी के इस ऑफर को ठुकरा दिया लेकिन जब सम्राट अशोक विवाद और जहरीली शराब को लेकर बीजेपी और जेडीयू में तनातनी बढ़ी, तब आरजेडी ने एक बार फिर से नीतीश को साथ आने का ऑफर दे दिया है. इसे सियासी हलकों में आपदा में अवसर तलाशने की बात कही जा रही है. इसके साथ ही सूबे के सियासी गलियारों से लेकर आमजन में इस बात को लेकर चर्चा तेज होने लगी है कि क्या वाकई एक बार फिर नीतीश और लालू के बीच गठबंधन (Alliance Between Nitish and Lalu) हो सकता है.

राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि हम बिहार की जनता की भलाई के लिए मजबूत पार्टी होने की वजह से सिर्फ मूकदर्शक बने नहीं रह सकते. अगर दोनों दलों के मतभेद की वजह से ऐसी परिस्थिति बनती है तो हम तैयार हैं. उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी और एक मजबूत विपक्ष की भूमिका के मद्देनजर हमारी बिहार के सियासी हालात पर पल-पल नजर है. इस बात में तो कोई संदेह नहीं कि बीजेपी के नेता बार-बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अपमान कर रहे हैं.

"अगर दोनों दलों के मतभेद की वजह से ऐसी परिस्थिति बनती है तो हम तैयार हैं. उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी और एक मजबूत विपक्ष की भूमिका के मद्देनजर हमारी बिहार के सियासी हालात पर पल-पल नजर है. इस बात में तो कोई संदेह नहीं कि बीजेपी के नेता बार-बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अपमान कर रहे हैं'- मृत्युंजय तिवारी, प्रदेश प्रवक्ता, आरजेडी

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वहीं, बिहार की सियासत को बेहद करीब से जानने और समझने वाले डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि अगर आरजेडी बार-बार नीतीश कुमार को ऑफर दे रहा है और यह कह रहा है कि बिहार के सियासी हालात पर हमारी पैनी नजर है तो जाहिर तौर पर उसे मौके की तलाश है. उन्होंने कहा कि आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से जेडीयू को और बीजेपी को इस बात का एहसास भी दिला रहा है. एक तरह से वह जेडीयू को उकसा रहा है कि वह बीजेपी से अलग हो जाए लेकिन ऐसा कुछ होता हुआ नहीं दिखता, क्योंकि बीजेपी और जेडीयू के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है.

"अगर आरजेडी बार-बार नीतीश कुमार को ऑफर दे रहा है और यह कह रहा है कि बिहार के सियासी हालात पर हमारी पैनी नजर है तो जाहिर तौर पर उसे मौके की तलाश है. आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से जेडीयू को और बीजेपी को इस बात का एहसास भी दिला रहा है. एक तरह से वह जेडीयू को उकसा रहा है कि वह बीजेपी से अलग हो जाए लेकिन ऐसा कुछ होता हुआ नहीं दिखता, क्योंकि बीजेपी और जेडीयू के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है"- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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हालांकि इस मामले में जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि बीजेपी और जेडीयू के बीच वैचारिक मतभेद जरूर हैं, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता लेकिन सरकार के कार्यक्रम और नीतीश कुमार की कार्यशैली को लेकर कहीं कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस दिन यह परेशानी होगी और नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सवाल उठाए जाएंगे, तब ऐसा सवाल उठ सकता है. जेडीयू नेता ने कहा कि आरजेडी के साथ तो किसी भी हाल में जाने का सवाल ही नहीं उठता, इसलिए राजनेता यह भ्रम पालना छोड़ दें.

"बीजेपी और जेडीयू के बीच वैचारिक मतभेद जरूर हैं, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता लेकिन सरकार के कार्यक्रम और नीतीश कुमार की कार्यशैली को लेकर कहीं कोई परेशानी नहीं है. जिस दिन यह परेशानी होगी और नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सवाल उठाए जाएंगे, तब ऐसा सवाल उठ सकता है. वैसे भी आरजेडी के साथ तो किसी भी हाल में जाने का सवाल ही नहीं उठता, इसलिए राजनेता यह भ्रम पालना छोड़ दें"- नीरज कुमार, प्रवक्ता, जेडीयू

वहीं, बिहार बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने आरजेडी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए कहा कि उन्हें महागठबंधन के भीतर झांकना चाहिए. महागठबंधन के अस्तिव पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले उपेंद्र कुशवाहा, फिर जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी साथ छोड़ गए. अब कांग्रेस के साथ नुरा-कुश्ती चल रही है. ऐसे में आरजेडी को उस पर ध्यान देना चाहिए. बिहार में जिसका महागठबंधन ध्वस्त हो गया हो, वह हैदराबाद में केसीआर से टिप्स लेने जाते हैं. ऐसे राजनीति नहीं चलती है.

"आरजेडी के लोगों को महागठबंधन के भीतर झांकना चाहिए. महागठबंधन है भी या नहीं, पता नहीं क्योंकि पहले उपेंद्र कुशवाहा, फिर जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी साथ छोड़ गए. अब कांग्रेस के साथ नुरा-कुश्ती चल रही है. ऐसे में आरजेडी को उस पर ध्यान देना चाहिए. बिहार में जिसका महागठबंधन ध्वस्त हो गया हो, वह हैदराबाद में केसीआर से टिप्स लेने जाते हैं. ऐसे राजनीति नहीं चलती है"- निखिल आनंद, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

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आपको याद दिलाएं कि साल 2013 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को केवल दो सीटों पर ही जीत मिली. इसके बाद 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश और लालू के बीच गठबंधन हुआ. दोनों नेताओं के गठबंधन को बिहार की जनता ने खूब पसंद किया, लेकिन ये दोस्ती ज्यादा दिन चल नहीं सकी. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नीतीश ने आरजेडी से नाता तोड़ लिया और एक बार फिर से एनडीए में लौट गए.

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