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काउंटर पर सीट FULL.. लेकिन अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए बन जाते हैं टिकट, जानिए दलालों का गणित

अगर आप टिकट काउंटर में टिकट के लिए लाइन में हैं या आईआरसीटीसी के वेबसाइट पर जाकर टिकट बुक कराना चाहते हैं तो हो सकता है कि टिकट नहीं मिले. ऐसा शायद इसलिए हो रहा होगा कि आपके टिकट की कालाबाजारी (Black Marketing Of Train Tickets In Patna) हो रही है. कैसे टिकट के लिए दलालों का खेल चलता है जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर..

Black Marketing Of Train Tickets In Patna
Black Marketing Of Train Tickets In Patna
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Published : Feb 16, 2022, 5:51 PM IST

Updated : Feb 16, 2022, 6:48 PM IST

पटना: होली का त्योहार नजदीक आ रहा है. ऐसे में टिकटों की मारामारी भी शुरू हो गई है. इसको लेकर पटना जंक्शन पर दलालों का कारोबार (Business of ticket brokers at Patna Junction) तेज हो गया है. त्योहारों में बाहर प्रदेशों में रहने वाले लोग पहले से ही टिकट कटाना शुरू कर देते हैं. ट्रेन के सफर में कंफर्म टिकट मिलना कई बार बेहद मुश्किल होता है. मजबूरन रेल यात्रियों को टिकट दलाल का दरवाजा खटखटाना पड़ता है. लेकिन सवाल यह है कि, पैसे लेकर टिकट दिलाने वाले दलाल आखिर कहां से और कैसे कंफर्म टिकट दिलाते हैं. इसकी पड़ताल ईटीवी भारत ( ETV Bharat Bihar ) की टीम ने की है.

पढ़ें- अब टिकट दलालों की खैर नहीं.. पूर्व मध्य रेल के स्टेशनों पर 20 नवंबर से 1 दिसंबर तक चलेगा अभियान

IRCTC के साइट को किया जाता है हैक: सबसे पहले टिकट दलाल रेल यात्रियों के बीच में खड़े होकर काउंटर से टिकट लेते हैं और कई टिकट दलाल सॉफ्टवेयर के माध्यम से आईआरसीटीसी के साइट को हैक कर टिकट काट लेते हैं. उन टिकट को रेल यात्रियों से दोगुने दाम में भी बेचने का काम करते हैं. इस सवाल को लेकर हमने साइबर एक्सपर्ट से बात की. हालांकि इसके पहले ये बताना जरूरी है कि, टिकट दलाल ना केवल आरक्षी टिकट काउंटर पर गोल माल करते है बल्कि प्रतिबंधित साइट का भी इस्तेमाल टिकट बुक करने के लिए करते हैं.

पढ़ें- पर्सनल यूजर आईडी से बनाता था डुप्लीकेट रेल टिकट, आरपीएफ ने छापा मार किया गिरफ्तार

प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर की मदद से टिकट : दलाल शहर के किसी जगह बैठ कम्प्यूटर नेट के जरिए प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर (Restricted Software For Ticket Booking) की मदद से आईआरसीटीसी के माध्यम से काउंटर से पहले ही टिकट निकाल लेते हैं. जिसका खमियाजा रेल यात्रियों को भुगतना पड़ता है. कई दिन तक चक्कर लगाने के बाद भी यात्री को काउंटर से लम्बी दूरी के ट्रेनों में तत्काल टिकट नहीं मिलता है. इससे यात्रियों को मजबूरी में दलालों के पास जाना पड़ता है.और यात्रियो से मनमाना पैसा दलाल वसूलने का काम करते है. यात्रियों का फर्जी आईकार्ड भी बना लेते हैं.

वोल्टास और रियल मैंगो जैसे अवैध सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल: रेलवे सुरक्षा बल (Railway Protection Force RPF) ने इस अवैध सॉफ्टवेयर 'रियल मैंगो' (Real Mango) का हाल ही में पता लगाकर इसे नाकाम था. आरपीएफ की फील्ड इकाई ने 9 अगस्त, 2020 को अवैध सॉफ्टवेयर के संचालन का पता लगाया था. पहले भी आरपीएफ ने दिसंबर 2019 से मार्च 2020 के बीच एएनएमएस, रेड मिर्ची, ब्लैक टीएस, टिक-टॉक, आई-बॉल, रेड बुल और मैक जैसे कई अवैध सॉफ्टवेयरों का पता लगाया था.

सॉफ्टवेयर की विशेषताएं: सॉफ्टवेयर V3 और V2 कैप्चा को बाइपास करता है. कैप्चा का पूरा नाम Completely Automated Public Turing test to tell Computers and Humans Apart है. कैप्चा यह निर्धारित करता है कि उपयोगकर्ता वास्तविक है या स्पैम रोबोट है. यह एक मोबाइल ऐप की मदद से बैंक जनित वन-टाइम पासवर्ड (OTP) को सिंक्रोनाइज़ यानी एक साथ एक से अधिक एप पर OTP को भेजता है और इसे स्वचालित प्रक्रिया से प्रयोग करने के लायक बनाता है. सॉफ्टवेयर खुद ही यात्री विवरण और भुगतान विवरण को फॉर्म में भर देता है. सॉफ्टवेयर 'भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम’ (Indian Railway Catering & Tourism Corporation IRCTC) की आईडी के माध्यम से IRCTC वेबसाइट पर लॉग इन करता है. इस अवैध सॉफ्टवेयर को फाइव लेयर के जरिए बेचा जा रहा था, जिसमें सिस्टम एडमिन और उनकी टीम, मावेंस, सुपर सेलर्स, सेलर्स और एजेंट्स आदि शामिल हैं.

पढ़ें- फेस्टिव सीजन के बाद हवाई सफर हुआ महंगा, यात्री दोगुना किराया देने को मजबूर

क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट: ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान साइबर एक्सपर्ट अभिनव कुमार (Cyber Expert On Restricted Software For Ticket Booking) ने बताया कि, प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर के सहारे टिकट दलाल यात्रियों के हक पर डाका डालते हैं. टिकट दलाल आईआरसीटी के समांतर सॉफ्टवेयर बनाकर टिकट काटने का काम करते हैं. पलक झपकते ही एक साथ कई टिकट निकाल लेते हैं और रेलवे के काउंटर पर कतार में खड़े यात्रियों को निराश लौटना पड़ता है. लाख कोशिश के बाद भी टिकट दलालों का यह कारोबार फल फूल रहा है.साइबर एक्सपर्ट का मानना है कि, आईआरसीटीसी साइट में जो लू फॉल्स हैं, उसको ठीक किया जाए तो इन टिकट दलालों के खेल पर अंकुश लगाया जा सकता है.

"सिस्टम तत्काल टिकटों की बुकिंग शुरू होते ही रेलवे के सिस्टम को हैक कर लेता है. ब्लैक टीएस , रियल मैंगो जैसे दर्जन भर अवैध सॉफ्टवेयर इंटरनेट के प्लेटफार्म पर उपलब्ध हैं, जिसका प्रयोग टिकट दलाल करते हैं. सॉफ्टवेयर की चाल रेलवे के सॉफ्टवेयर से कई गुना फास्ट होती है. टिकट दलाल इतने शातिर होते हैं कि टिकट बुक होने से पहले ही यात्री का नाम, उम्र और अन्य विवरण भरकर तैयार रखते हैं. रेलवे काउंटर पर जब तक क्लर्क एक टिकट बुक करता है, तब तक दलालों का नेटवर्क अपने सिस्टम से कई टिकट बुक कर लेता है."- अभिनव कुमार, साइबर एक्सपर्ट

पढ़ें- अब टिकट दलालों की खैर नहीं.. पूर्व मध्य रेल के स्टेशनों पर 20 नवंबर से 1 दिसंबर तक चलेगा अभियान

वहीं इस मामले को लेकर हमने आरपीएफ पदाधिकारी योगेंद्र कुमार यादव से बात की. उन्होंने कहा कि, टिकट दलालों के विरुद्ध शहर और रेलवे टिकट काउंटर पर अभियान चलाया जाता है. विगत कुछ महीनों में टिकट दलाल को उनके सॉफ्टवेयर कंप्यूटर ,टिकट और नगद पैसों के साथ पकड़ा भी गया है.

"बीते साल आरपीएफ टीम ने अवैध कारोबार में लिप्त करीब एक दर्जन लोगों को पकड़ा था और उनके पास से लाखों रुपए ई टिकट, लैपटॉप बरामद किया गया था. फेस्टिवल सीजन में जिस तरह से दलाल अपनी सक्रियता दिखाते हैं, उससे कहीं ज्यादा सक्रिय आरपीएफ की टीम रहती है. इन लोगों के विरुद्ध अभियान चलाया जा रहा है टीम भी गठित की गई है."- योगेंद्र कुमार यादव, आरपीएफ एसआई

पढ़ें- ऑनलाइन रेल टिकट बुक करने वालों के लिए बड़ी खबर, अगले सात दिनों तक 6-6 घंटे बाधित रहेगी सेवा

आपको बता दें कि, टिकट दलालों की धरपकड़ के लिए रेलवे पुलिस प्रशासन लगातार लगी है, कानूनी कार्रवाई की जाती है. पर यह करवाई रेलवे सुरक्षा बल द्वारा की जाती है. दलालों को रेलवे कोर्ट में पेश किया जाता है. वहां जुर्माना देकर टिकट दलाल आसानी से बच निकलते हैं. यही वजह है कि, इस तरह के कामों को करने के लिए टिकट दलालों में डर नहीं रहता है और टिकट दलाली वर्षों से फल फूल रहा है. इस पर आजतक पूरी तरह से अंकुश नहीं लग पाया है.

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पटना: होली का त्योहार नजदीक आ रहा है. ऐसे में टिकटों की मारामारी भी शुरू हो गई है. इसको लेकर पटना जंक्शन पर दलालों का कारोबार (Business of ticket brokers at Patna Junction) तेज हो गया है. त्योहारों में बाहर प्रदेशों में रहने वाले लोग पहले से ही टिकट कटाना शुरू कर देते हैं. ट्रेन के सफर में कंफर्म टिकट मिलना कई बार बेहद मुश्किल होता है. मजबूरन रेल यात्रियों को टिकट दलाल का दरवाजा खटखटाना पड़ता है. लेकिन सवाल यह है कि, पैसे लेकर टिकट दिलाने वाले दलाल आखिर कहां से और कैसे कंफर्म टिकट दिलाते हैं. इसकी पड़ताल ईटीवी भारत ( ETV Bharat Bihar ) की टीम ने की है.

पढ़ें- अब टिकट दलालों की खैर नहीं.. पूर्व मध्य रेल के स्टेशनों पर 20 नवंबर से 1 दिसंबर तक चलेगा अभियान

IRCTC के साइट को किया जाता है हैक: सबसे पहले टिकट दलाल रेल यात्रियों के बीच में खड़े होकर काउंटर से टिकट लेते हैं और कई टिकट दलाल सॉफ्टवेयर के माध्यम से आईआरसीटीसी के साइट को हैक कर टिकट काट लेते हैं. उन टिकट को रेल यात्रियों से दोगुने दाम में भी बेचने का काम करते हैं. इस सवाल को लेकर हमने साइबर एक्सपर्ट से बात की. हालांकि इसके पहले ये बताना जरूरी है कि, टिकट दलाल ना केवल आरक्षी टिकट काउंटर पर गोल माल करते है बल्कि प्रतिबंधित साइट का भी इस्तेमाल टिकट बुक करने के लिए करते हैं.

पढ़ें- पर्सनल यूजर आईडी से बनाता था डुप्लीकेट रेल टिकट, आरपीएफ ने छापा मार किया गिरफ्तार

प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर की मदद से टिकट : दलाल शहर के किसी जगह बैठ कम्प्यूटर नेट के जरिए प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर (Restricted Software For Ticket Booking) की मदद से आईआरसीटीसी के माध्यम से काउंटर से पहले ही टिकट निकाल लेते हैं. जिसका खमियाजा रेल यात्रियों को भुगतना पड़ता है. कई दिन तक चक्कर लगाने के बाद भी यात्री को काउंटर से लम्बी दूरी के ट्रेनों में तत्काल टिकट नहीं मिलता है. इससे यात्रियों को मजबूरी में दलालों के पास जाना पड़ता है.और यात्रियो से मनमाना पैसा दलाल वसूलने का काम करते है. यात्रियों का फर्जी आईकार्ड भी बना लेते हैं.

वोल्टास और रियल मैंगो जैसे अवैध सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल: रेलवे सुरक्षा बल (Railway Protection Force RPF) ने इस अवैध सॉफ्टवेयर 'रियल मैंगो' (Real Mango) का हाल ही में पता लगाकर इसे नाकाम था. आरपीएफ की फील्ड इकाई ने 9 अगस्त, 2020 को अवैध सॉफ्टवेयर के संचालन का पता लगाया था. पहले भी आरपीएफ ने दिसंबर 2019 से मार्च 2020 के बीच एएनएमएस, रेड मिर्ची, ब्लैक टीएस, टिक-टॉक, आई-बॉल, रेड बुल और मैक जैसे कई अवैध सॉफ्टवेयरों का पता लगाया था.

सॉफ्टवेयर की विशेषताएं: सॉफ्टवेयर V3 और V2 कैप्चा को बाइपास करता है. कैप्चा का पूरा नाम Completely Automated Public Turing test to tell Computers and Humans Apart है. कैप्चा यह निर्धारित करता है कि उपयोगकर्ता वास्तविक है या स्पैम रोबोट है. यह एक मोबाइल ऐप की मदद से बैंक जनित वन-टाइम पासवर्ड (OTP) को सिंक्रोनाइज़ यानी एक साथ एक से अधिक एप पर OTP को भेजता है और इसे स्वचालित प्रक्रिया से प्रयोग करने के लायक बनाता है. सॉफ्टवेयर खुद ही यात्री विवरण और भुगतान विवरण को फॉर्म में भर देता है. सॉफ्टवेयर 'भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम’ (Indian Railway Catering & Tourism Corporation IRCTC) की आईडी के माध्यम से IRCTC वेबसाइट पर लॉग इन करता है. इस अवैध सॉफ्टवेयर को फाइव लेयर के जरिए बेचा जा रहा था, जिसमें सिस्टम एडमिन और उनकी टीम, मावेंस, सुपर सेलर्स, सेलर्स और एजेंट्स आदि शामिल हैं.

पढ़ें- फेस्टिव सीजन के बाद हवाई सफर हुआ महंगा, यात्री दोगुना किराया देने को मजबूर

क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट: ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान साइबर एक्सपर्ट अभिनव कुमार (Cyber Expert On Restricted Software For Ticket Booking) ने बताया कि, प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर के सहारे टिकट दलाल यात्रियों के हक पर डाका डालते हैं. टिकट दलाल आईआरसीटी के समांतर सॉफ्टवेयर बनाकर टिकट काटने का काम करते हैं. पलक झपकते ही एक साथ कई टिकट निकाल लेते हैं और रेलवे के काउंटर पर कतार में खड़े यात्रियों को निराश लौटना पड़ता है. लाख कोशिश के बाद भी टिकट दलालों का यह कारोबार फल फूल रहा है.साइबर एक्सपर्ट का मानना है कि, आईआरसीटीसी साइट में जो लू फॉल्स हैं, उसको ठीक किया जाए तो इन टिकट दलालों के खेल पर अंकुश लगाया जा सकता है.

"सिस्टम तत्काल टिकटों की बुकिंग शुरू होते ही रेलवे के सिस्टम को हैक कर लेता है. ब्लैक टीएस , रियल मैंगो जैसे दर्जन भर अवैध सॉफ्टवेयर इंटरनेट के प्लेटफार्म पर उपलब्ध हैं, जिसका प्रयोग टिकट दलाल करते हैं. सॉफ्टवेयर की चाल रेलवे के सॉफ्टवेयर से कई गुना फास्ट होती है. टिकट दलाल इतने शातिर होते हैं कि टिकट बुक होने से पहले ही यात्री का नाम, उम्र और अन्य विवरण भरकर तैयार रखते हैं. रेलवे काउंटर पर जब तक क्लर्क एक टिकट बुक करता है, तब तक दलालों का नेटवर्क अपने सिस्टम से कई टिकट बुक कर लेता है."- अभिनव कुमार, साइबर एक्सपर्ट

पढ़ें- अब टिकट दलालों की खैर नहीं.. पूर्व मध्य रेल के स्टेशनों पर 20 नवंबर से 1 दिसंबर तक चलेगा अभियान

वहीं इस मामले को लेकर हमने आरपीएफ पदाधिकारी योगेंद्र कुमार यादव से बात की. उन्होंने कहा कि, टिकट दलालों के विरुद्ध शहर और रेलवे टिकट काउंटर पर अभियान चलाया जाता है. विगत कुछ महीनों में टिकट दलाल को उनके सॉफ्टवेयर कंप्यूटर ,टिकट और नगद पैसों के साथ पकड़ा भी गया है.

"बीते साल आरपीएफ टीम ने अवैध कारोबार में लिप्त करीब एक दर्जन लोगों को पकड़ा था और उनके पास से लाखों रुपए ई टिकट, लैपटॉप बरामद किया गया था. फेस्टिवल सीजन में जिस तरह से दलाल अपनी सक्रियता दिखाते हैं, उससे कहीं ज्यादा सक्रिय आरपीएफ की टीम रहती है. इन लोगों के विरुद्ध अभियान चलाया जा रहा है टीम भी गठित की गई है."- योगेंद्र कुमार यादव, आरपीएफ एसआई

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आपको बता दें कि, टिकट दलालों की धरपकड़ के लिए रेलवे पुलिस प्रशासन लगातार लगी है, कानूनी कार्रवाई की जाती है. पर यह करवाई रेलवे सुरक्षा बल द्वारा की जाती है. दलालों को रेलवे कोर्ट में पेश किया जाता है. वहां जुर्माना देकर टिकट दलाल आसानी से बच निकलते हैं. यही वजह है कि, इस तरह के कामों को करने के लिए टिकट दलालों में डर नहीं रहता है और टिकट दलाली वर्षों से फल फूल रहा है. इस पर आजतक पूरी तरह से अंकुश नहीं लग पाया है.

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Last Updated : Feb 16, 2022, 6:48 PM IST
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