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मसौढ़ी में मनायी गई बुढ़वा होली, फगुआ पर झूमते गाते नजर आये लोग - etv bharat news

पटना से सटे मसौढ़ी में पुरानी मान्यता के अनुसार होली के दूसरे दिन बसिऔरा मनाने का रिवाज है. परंपरा के अनुसार रविवार को लोगों ने बसिऔरा मनाकर होली (Holi celebrated in Masaurhi) खेली. जिसे बुढ़वा होली के नाम से भी जाना जाता है.

Budhawa Holi celebrated in Masaudhi
मसौढ़ी में मनायी गयी बुढ़वा होली
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Published : Mar 20, 2022, 4:54 PM IST

पटना (मसौढ़ी): राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी में पौराणिक परंपरा के अनुसार होली के दूसरे दिन बसिऔरा मनाने (Basiaura celebrated in Masaurhi) का रिवाज है. इस दिन लोग झुमटा निकालकर पूरे गांव में भ्रमण करते हुए जमकर होली खेलते हैं और फगुआ गाते हैं. जिसे बुढ़वा होली (Budhawa Holi celebrated in Masaurhi) के नाम से भी जाना जाता है. मसौढ़ी के कई गांवों में रविवार को बुढ़वा होली मनायी गई. जिसमें लोगों ने होली खेली और फगुआ पर नाचते गाते नजर आये.

ये भी पढ़ें- होली में नशेड़ियों को जो मिला वो गटक लिया.. बिहार में जहरीली शराब से अब तक 15 की मौत!

बता दें कि होली की अगली सुबह पौराणिक परंपरा के अनुसार बसिऔरा मनाये जाने और झुमटा निकालने का रिवाज है. इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं भी हैं. बुजुर्गों का कहना है कि पुराने जमाने में एक जमीदार जो पूरे गांव के संरक्षक कहे जाते थे, उनकी तबीयत अचानक खराब हो गयी. जिससे लोग होली के दिन होली नहीं खेल पाये. इसके बाद अगले दिन धूमधाम से होली मनायी गयी. तभी से यह परंपरा चली आ रही है और पूरे गांव में नाचते गाते हुए लोग नट-नटिन बनकर होली का उत्सव मनाते हैं.


ये भी पढ़ें- लालू की गैरमौजूदगी में तेजप्रताप ने खेली 'कुर्ता फाड़' होली, दोस्तों के बीच पकड़ा माइक और गाने लगे फगुआ...

झुमटा में नट-नटिन बनकर लोग झूमते गाते हुए पूरे गांव में घूमते हैं और घर-घर जाकर बसिऔरा मांगते हैं. जिसमें पुआ, पूरी, पैसे या दान दक्षिणा के रूप में उन्हें दिया जाता है. पूरे गांव में मस्ती का माहौल रहता है. बसिऔरा मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. जो कि मसौढ़ी के विभिन्न गांवों में देखी जा सकती है.

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पटना (मसौढ़ी): राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी में पौराणिक परंपरा के अनुसार होली के दूसरे दिन बसिऔरा मनाने (Basiaura celebrated in Masaurhi) का रिवाज है. इस दिन लोग झुमटा निकालकर पूरे गांव में भ्रमण करते हुए जमकर होली खेलते हैं और फगुआ गाते हैं. जिसे बुढ़वा होली (Budhawa Holi celebrated in Masaurhi) के नाम से भी जाना जाता है. मसौढ़ी के कई गांवों में रविवार को बुढ़वा होली मनायी गई. जिसमें लोगों ने होली खेली और फगुआ पर नाचते गाते नजर आये.

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बता दें कि होली की अगली सुबह पौराणिक परंपरा के अनुसार बसिऔरा मनाये जाने और झुमटा निकालने का रिवाज है. इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं भी हैं. बुजुर्गों का कहना है कि पुराने जमाने में एक जमीदार जो पूरे गांव के संरक्षक कहे जाते थे, उनकी तबीयत अचानक खराब हो गयी. जिससे लोग होली के दिन होली नहीं खेल पाये. इसके बाद अगले दिन धूमधाम से होली मनायी गयी. तभी से यह परंपरा चली आ रही है और पूरे गांव में नाचते गाते हुए लोग नट-नटिन बनकर होली का उत्सव मनाते हैं.


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झुमटा में नट-नटिन बनकर लोग झूमते गाते हुए पूरे गांव में घूमते हैं और घर-घर जाकर बसिऔरा मांगते हैं. जिसमें पुआ, पूरी, पैसे या दान दक्षिणा के रूप में उन्हें दिया जाता है. पूरे गांव में मस्ती का माहौल रहता है. बसिऔरा मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. जो कि मसौढ़ी के विभिन्न गांवों में देखी जा सकती है.

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