ETV Bharat / state

पटना: मसौढ़ी में होली के दूसरे दिन बुढ़वा होली और झुमटा का आयोजन

मसौढ़ी के कोरियावां गढ़ गांव में सैकडों साल से बुढ़वा होली मनाई जाती है और राम जानकी की झांकी निकाली जाती है. सबसे बड़ी खासियत यह है कि गांव के दामाद को राम बनाया जाता है और गांव की ही लड़की सीता बनती है.

author img

By

Published : Mar 30, 2021, 5:08 PM IST

HOLI 20201
HOLI 20201

पटना: देशभर में रंगों का त्योहार होली को मनाने की अलग-अलग परंपरा रही है. ऐसे में पटना के ग्रामीण इलाकों में होली के दूसरे दिन बुढ़वा होली की अनोखी परंपरा है. वहीं, गांव-गांव में झुमटा का आयोजन किया जाता है.

होली के दूसरे दिन यानी बसिअउरा के दिन बुढ़वा होली और गांव में झुमटा की झांकी निकाली जाती है. जहां पर सीता राम और लक्ष्मण के रूप में झांकी निकाली जाती है. बुढ़वा होली की खासियत यह है कि यह होली के दूसरे दिन भी लोग पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं. किसी भी मायने में इसकी छठा होली से कम नहीं होती है.

इस दिन भी लोग पूरे उत्साह के माहौल में एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते हैं और झुमटा निकालते हैं. साथ ही होली गाने वाले गांव और शहर के मार्ग पर होली गीत गाते हुए अपनी खुशी का इजहार करते हैं. बुढ़वा होली पर लोग पूरे दिन रंग और गुलाल के आगोश में डूबे रहते हैं.

ये भी पढ़ें: बिहार में हुआ दर्दनाक हादसा, आग लगने से जिंदा जले 6 बच्चे

बुढ़वा होली कब और कैसे इसकी शुरुआत हुई, इसके बारे में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है, लेकिन ज्यादातर लोग बुढ़वा होली के बारे में बताते हैं कि जमींदारी के समय में मगध के एक जमींदार होली के दिन बीमार पड़ गए थे, जमींदार जब दूसरे दिन स्वस्थ हुए तो उनके दरबारियों ने होली फिकी रहने की चर्चा की, जिसके बाद जमींदार ने दूसरे दिन होली खेलने की घोषणा कर दी, इसके बाद से मगध की धरती पर बुढ़वा होली मनाने की परंपरा शुरू हो गई.

पटना: देशभर में रंगों का त्योहार होली को मनाने की अलग-अलग परंपरा रही है. ऐसे में पटना के ग्रामीण इलाकों में होली के दूसरे दिन बुढ़वा होली की अनोखी परंपरा है. वहीं, गांव-गांव में झुमटा का आयोजन किया जाता है.

होली के दूसरे दिन यानी बसिअउरा के दिन बुढ़वा होली और गांव में झुमटा की झांकी निकाली जाती है. जहां पर सीता राम और लक्ष्मण के रूप में झांकी निकाली जाती है. बुढ़वा होली की खासियत यह है कि यह होली के दूसरे दिन भी लोग पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं. किसी भी मायने में इसकी छठा होली से कम नहीं होती है.

इस दिन भी लोग पूरे उत्साह के माहौल में एक दूसरे को रंग गुलाल लगाते हैं और झुमटा निकालते हैं. साथ ही होली गाने वाले गांव और शहर के मार्ग पर होली गीत गाते हुए अपनी खुशी का इजहार करते हैं. बुढ़वा होली पर लोग पूरे दिन रंग और गुलाल के आगोश में डूबे रहते हैं.

ये भी पढ़ें: बिहार में हुआ दर्दनाक हादसा, आग लगने से जिंदा जले 6 बच्चे

बुढ़वा होली कब और कैसे इसकी शुरुआत हुई, इसके बारे में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है, लेकिन ज्यादातर लोग बुढ़वा होली के बारे में बताते हैं कि जमींदारी के समय में मगध के एक जमींदार होली के दिन बीमार पड़ गए थे, जमींदार जब दूसरे दिन स्वस्थ हुए तो उनके दरबारियों ने होली फिकी रहने की चर्चा की, जिसके बाद जमींदार ने दूसरे दिन होली खेलने की घोषणा कर दी, इसके बाद से मगध की धरती पर बुढ़वा होली मनाने की परंपरा शुरू हो गई.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.