पटना: 12 दिसंबर जेल में रहने वाले कैदियों और जेल की सुरक्षा-व्यवस्था संभाल रहे पुलिस अधिकारियों के लिए खास है. इसी तारीख को 2012 में 88 साल बाद अंग्रेजों के जेल मैनुअल में बदलाव किया गया था. बदलाव हुए आठ साल हो गए. जेल के नियमों में अभी भी कुछ और बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है तभी जेल अपने दूसरे नाम सुधार गृह के रूप में सही भूमिका निभा पाएंगे.
अंग्रेजों ने जेल के नियम बेहद सख्त बनाए थे. तब उनका मकसद आजादी की जंग लड़ रहे स्वतंत्रता सेनानियों के मनोबल को तोड़ना था. इसके लिए जेल में उन्हें प्रताड़ित किया जाता ताकि वे आंदोलन की राह छोड़ दें. आजाद भारत में जेल को सुधार गृह के रूप में इस्तेमाल पर जोड़ दिया गया ताकि अपराध की सजा पा रहे कैदी सुधरें और जेल से बाहर निकलने पर समाज की मुख्य धारा में जुड़ सकें.
अंग्रेजों के कानून जेल की व्यवस्था में सुधार लाने में बाधक बन रहे थे, जिसके चलते 12 दिसंबर 2012 को इसमें बदलाव किया गया था. अब एक बार फिर से जेल कानून में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है.
जेल मैनुअल में बदलाव से कैदियों को मिली अधिक सुविधाएं
12 दिसंबर 2012 को किए गए जेल मैनुअल के बदलाव में कई ऐसे नियमों को हटा दिया गया था जिनकी उपयोगिता नहीं रह गई थी. नए जेल मैनुअल में कैदियों को अधिक से अधिक सुविधाएं मिले इसका प्रबंध किया गया ताकि कैदी जेल से निकलने के बाद समाज की मुख्यधारा से जुड़ जाएं और किसी तरह के आपराधिक घटनाओं को अंजाम न दें.