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पटनाः बेमौसम बरसात से ईंट कारोबारियों को लाखों का नुकसान, सरकार से बीमा योजना चालू करने की मांग - बारिश से ईंट नष्ट

ईंट व्यापारियों ने प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार से बीमा की मांग की है. ताकि ईंट व्यापारियों को भी राहत और मुआवजा मिल सके.

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Published : Dec 15, 2019, 12:02 PM IST

पटनाः पिछले दिनों हुए बेमौसम बरसात से जिले के बाढ़ में पकने के लिए तैयार लाखों की ईंट नष्ट हो गई. जिससे ईंट भट्ठा मालिक सकते में आ गए हैं. भट्ठे पर बारिश का पानी जमा होने से 15 दिनों तक वहां कोई काम नहीं होगा. जिससे भट्ठे पर मजदूरी कर परिवार चलाने वाले मजदूरों का रोजगार भी प्रभावित हो रहा है.

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बारिश से नष्ट हो गई लाखों की ईंट

बारिश से लाखों का नुकसान
ईंट मालिकों ने बताया कि ईंट को पकाने के लिए तैयार कर रखा गया था. अचानक बारिश हुई और सारी ईंट गलकर नष्ट हो गयी. भट्ठे पर भी पानी जम गया है. पानी पूरी तरह सूखने में 15 दिनों का समय लगेगा. तब तक कोई काम नहीं हो सकेगा. इससे लाखों का नुकसान तो हुआ ही है. साथ ही समय पर लोगों का ऑर्डर भी पूरा नहीं हो सकेगा.

बेमौसम बरसात से ईंट व्यवसाइयों को नुकसान

ये भी पढ़ेंः नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : जागरूकता फैलाने के लिए इंजीनियर उठा रहा कचरा

मजदूरों के रोजगार पर संकट
शंकर ब्रिक्स के मालिक राणा सिंह चौहान ने कहा कि प्रत्येक चिमनी भट्ठे पर लगभग 500 लोग काम करते हैं. प्राकृतिक आपदाओं में हमारा भारी नुकसान हो जाता है. इससे यहां काम करने वाले मजदूरों के रोजगार पर भी असर पड़ता है. उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार से बीमा की मांग की है. ताकि ईंट व्यापारियों को भी राहत और मुआवजा मिल सके. वहीं ईंट भट्ठे पर ट्रैक्टर चलाने वाले सोनू ने बताया कि जबतक भट्ठा पर काम शुरू नहीं हो जाता है, हमलोगों के पास कोई काम नहीं है. बता दें कि ऐसे ही सैकड़ों मजदूर हैं जिनकी रोजी रोटी ईंट भट्ठे से ही चलती है.

पटनाः पिछले दिनों हुए बेमौसम बरसात से जिले के बाढ़ में पकने के लिए तैयार लाखों की ईंट नष्ट हो गई. जिससे ईंट भट्ठा मालिक सकते में आ गए हैं. भट्ठे पर बारिश का पानी जमा होने से 15 दिनों तक वहां कोई काम नहीं होगा. जिससे भट्ठे पर मजदूरी कर परिवार चलाने वाले मजदूरों का रोजगार भी प्रभावित हो रहा है.

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बारिश से नष्ट हो गई लाखों की ईंट

बारिश से लाखों का नुकसान
ईंट मालिकों ने बताया कि ईंट को पकाने के लिए तैयार कर रखा गया था. अचानक बारिश हुई और सारी ईंट गलकर नष्ट हो गयी. भट्ठे पर भी पानी जम गया है. पानी पूरी तरह सूखने में 15 दिनों का समय लगेगा. तब तक कोई काम नहीं हो सकेगा. इससे लाखों का नुकसान तो हुआ ही है. साथ ही समय पर लोगों का ऑर्डर भी पूरा नहीं हो सकेगा.

बेमौसम बरसात से ईंट व्यवसाइयों को नुकसान

ये भी पढ़ेंः नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : जागरूकता फैलाने के लिए इंजीनियर उठा रहा कचरा

मजदूरों के रोजगार पर संकट
शंकर ब्रिक्स के मालिक राणा सिंह चौहान ने कहा कि प्रत्येक चिमनी भट्ठे पर लगभग 500 लोग काम करते हैं. प्राकृतिक आपदाओं में हमारा भारी नुकसान हो जाता है. इससे यहां काम करने वाले मजदूरों के रोजगार पर भी असर पड़ता है. उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार से बीमा की मांग की है. ताकि ईंट व्यापारियों को भी राहत और मुआवजा मिल सके. वहीं ईंट भट्ठे पर ट्रैक्टर चलाने वाले सोनू ने बताया कि जबतक भट्ठा पर काम शुरू नहीं हो जाता है, हमलोगों के पास कोई काम नहीं है. बता दें कि ऐसे ही सैकड़ों मजदूर हैं जिनकी रोजी रोटी ईंट भट्ठे से ही चलती है.

Intro:Body:"गुहार"

बाढ़ के ईट चिमनी- भट्टा मालिकों ने लगाई सरकार से गुहार! फसल बीमा योजना की तरह ईंट बीमा योजना भी चलाए सरकार!

2 दिनों के बेमौसम बरसात से हुई तैयार ईंटों की बर्बादी ने ईट-भट्ठा मालिकों और वहां कार्यरत मजदूरों को आंठ- आंठ आंसू बहाने पर मजबूर कर दिया है! ईटों की बर्बादी देख कलेजा मुंह को आ जाता है! लाखों- लाख पकने के लिए तैयार ईंटें बरसात के कारण तहस-नहस हो कर जमींदोज हो चुका है! बिहार के हर चिमनी भट्ठा पर लाखों-रुपए की बर्बादी का आकलन किया जा रहा है! हजारों ट्रैक्टर जहां के तहां खड़े हैं, वहीं लाखों मजदूरों को 15 दिनों के लिए रोजी-रोटी की आफत आ गई है! सारे के सारे हिट फिर से बनाने पड़ेंगे! इस तरह के प्राकृतिक प्रकोप की डंडे से आहट बाढ़ के गौरक्षणी स्थित"शंकर ब्रिक्स"के मालिक सह जदयू कार्यकर्ता राणा सिंह चौहान ने सरकार से मांग की है कि अन्य 'बीमा योजनाओं' की तरह सरकार को 'कच्चे ईंट बीमा' योजना भी चलाना चाहिए! ताकि प्राकृतिक आपदा में चिमनी भट्ठा मालिकों को भी राहत और मुआवजा मिल सके! क्योंकि चिमनी-ईट-भट्ठा का काम भी एक उद्योग से कम नहीं है! प्रत्येक चिमनी भट्ठा- मालिक कम से कम 500 लोगों का रोजी- रोटी चलाता है! इस तरह की प्राकृतिक प्रकोप के बाद हम लोग तो बर्बाद होते ही हैं, 10- 15 दिनों के लिए मजदूरों के सामने भी रोजी-रोटी की आफत आ जाती है!
बाइट---राणा सिंह चौहान ('शंकर ब्रिक्स' के मालिक)

वही ट्रैक्टर पर बैठे मोबाइल गेम में व्यस्त ट्रेक्टर ड्राइवर सोनू का कहना है कि--अब 15 दिनों के लिए बरसात के वजह से हम लोगों के पास कोई काम नहीं है! घर का भोजन भी चलाना मुश्किल हो रहा है!
बाइट--सोनू (ट्रेक्टर ड्राइवर)
इस तरह के बेमौसम बरसात ईंट-चिमनी-भट्ठा मालिकों और वहां कार्यरत मजदूरों के लिए सचमुच में प्राकृतिक आपदा से कम नहीं है! जिस पर सरकार को गौर फरमाने की जरूरत है!Conclusion:
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