पटना: बिहार में चुनावी साल है और कांग्रेस नेता राहुल गांधी 5 फरवरी को बिहार आ रहे हैं. पटना में मरहूम नेता जगलाल चौधरी की 130वीं जयंती समारोह में राहुल गांधी शामिल होंगे. यह उनका 18 दिनों में दूसरा बिहार दौरा होगा. इस दौरान वे 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर भी चर्चा करेंगे. स्वर्गीय जगलाल चौधरी की जयंती के बहाने राहुल गांधी बिहार में दलितों को कांग्रेस को साधने का प्रयास करेंगे.
जगलाल चौधरी के बहाने दलित वोट पर नजर: कांग्रेस पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. कांग्रेस दलित और पिछड़े वर्ग के वोटरों को लुभाने पर जोर दे रही है. पिछले दिनों पटना में राहुल गांधी के नेतृत्व में संविधान सुरक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इस सम्मेलन में राज्य भर से दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग के लोग शामिल हुए थे. यह सम्मेलन भी कांग्रेस की चुनावी रणनीति का एक हिस्सा था. अब पार्टी दलित नेता जगलाल चौधरी की जयंती पर बड़ा आयोजन कर रही है. इससे साफ है कि कांग्रेस दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश में है.
बिहार कैबिनेट के पहले दलित मंत्री: वर्ष 1937 में श्रीकृष्ण सिंह बिहार के मुख्यमंत्री बने और उनके नेतृत्व में अनुग्रह नारायण सिंह, सैयद महमूद और जगलाल चौधरी मंत्रिमंडल में शामिल हुए. जगलाल चौधरी पहले दलित थे जिनको कैबिनेट मंत्री बनाया गया. जगलाल चौधरी ने 20 जुलाई 1937 को आबकारी और लोक स्वास्थ्य विभाग के कैबिनेट मंत्री बनाया गया.
शराबबंदी लाने वाले पहले व्यक्ति: बिहार में शराबबंदी की कोशिश करने वाले जगलाल चौधरी पहले व्यक्ति थे. उन्होंने 20 जुलाई 1937 को आबकारी और लोक स्वास्थ्य मंत्री का पद संभाला. उनका कार्यकाल छोटा था, लेकिन महत्वपूर्ण फैसलों से भरा रहा. वर्ष 1938 को उन्होंने पांच जिला सारण, मुजफ्फरपुर, हजारीबाग, धनबाद और रांची में शराबबंदी लागू कर दी. जगलाल चौधरी संयुक्त बिहार में शराबबंदी लाने वाले पहले व्यक्ति थे. यह एक बड़ा कदम था. उनके इस कदम को लोग आज भी याद करते हैं.
दलित परिवार में जन्म: जगलाल चौधरी का जन्म 5 फरवरी 1895 को सारण के गरखा प्रखंड के मीटेपुर गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम मुसन चौधरी और माता का नाम तेतरी देवी था. जगलाल चौधरी दलित समुदाय में शामिल पासी जाति से आते थे. जिनका पारंपरिक पेशा ताड़ी का व्यापार करना था. उनके पिता मुसन चौधरी अशिक्षित थे और ताड़ी बेचने का काम करते थे, लेकिन उन्होंने अपने पुत्र को शिक्षा के लिए हमेशा प्रेरित किया. यही कारण है कि दलित समुदाय से आने के बाद भी वह हमेशा शिक्षा के प्रति जागरूक हुए.
जगलाल चौधरी की प्रारंभिक शिक्षा: जगलाल चौधरी की शुरुआती शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई. वर्ष 1903 में उनका नामांकन छपरा जिला स्कूल में करवाया गया. वे 17 वर्ष की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए. वर्ष 1914 में पटना कॉलेज पटना से आईएससी की परीक्षा पास करने के उपरांत उन्होंने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया.
मेडिकल की पढ़ाई छोड़ स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े: वे एक स्वतंत्रता सेनानी और दलित चिंतक थे. महात्मा गांधी से प्रेरित होकर उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए. इस दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा. वे बिहार कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रहे और बिहार सरकार में मंत्री भी बने. 9 मई 1975 को उनका निधन हो गया. कांग्रेस उनके योगदान को याद करते हुए उनकी जयंती पर कार्यक्रम आयोजित कर रही है.
बिहार के गांधी थे जगलाल चौधरी: 11 अगस्त 1942 को इनके बड़े पुत्र इंद्रदेव चौधरी सचिवालय पर झंडा फहराने के आंदोलन में शामिल रहें. जिसके बाद अंग्रेजों के निशाने पर आ गए और वे भूमिगत हो गए थे. अंग्रेजों ने उनको सारण जिले में गिरफ्तार करने के दौरान गोली मार दी थी. 11 दिनों तक जिंदगी से संघर्ष करते हुए वे शहीद हो गए. जब इनका शव 40 वर्षों की सजा काट रहें स्व.जगलाल चौधरी के पास लाया गया तो इन्होंने कहा कि मेरा बेटा धन्य हो गया जो देश के काम आया. इसका जीवन भारत मां के काम आ गया. स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चौधरी को "बिहार के गांधी" की उपाधि मिली थी.
कल 5 फरवरी 2025 को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित स्वतंत्रता सेनानी स्व. जगलाल चौधरी जयंती समारोह। जिसके मुख्य अतिथि नेता विपक्ष श्री राहुल गांधी जी हैं, उसकी तैयारियों का जायजा AICC प्रभारी सचिव श्री @SushilPasiINC जी एवम् जनाब @UPkaAlam जी ने लिया। pic.twitter.com/YCqAJggn59
— Bihar Congress (@INCBihar) February 4, 2025
5 बार बने विधायक: जगलाल चौधरी आजादी के बाद 1952 के आम चुनाव में गरखा (सारण) सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उसके बाद 1957, 1962, 1967, 1969 के विधानसभा चुनाव में वह विधायक चुने गए. जगलाल चौधरी का निधन 9 मई 1975 को हो गया.
कांग्रेस का दलित पॉलिटिक्स: राहुल गांधी के पटना आगमन पर कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौर का का कहना है कि बिहार के महान स्वतंत्रता सेनानी जो बिहार के पहले दलित कैबिनेट मंत्री थे. जगलाल चौधरी की जयंती समारोह में भाग लेने के लिए राहुल गांधी पटना आ रहे हैं. राहुल गांधी हमेशा से शोषित वंचित पिछड़ा वर्ग के लिए उनके हक में आवाज उठाते रहे हैं. स्वर्गीय श्री कृष्णा सिंह के पहले मंत्रिमंडल में जगलाल चौधरी पहले दलित मंत्री बने थे. दलित परिवार से रहने के बावजूद उन्होंने अपने कार्यकाल में बिहार के कुछ जिलों में शराबबंदी शुरू की थी.
5 फरवरी को स्वतंत्रता सेनानी बिहार के गॉंधी स्वर्गीय जगलाल चौधरी जी के जयंति समारोह को लेकर बिहार प्रदेश कांग्रेस AICC प्रभारी सचिव श्री @SushilPasiINC जी का संदेश। pic.twitter.com/xQpPro75he
— Bihar Congress (@INCBihar) February 4, 2025
"राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी समाज के उन समाज के लोगों को जो पिछड़े, दलित, वंचित और समाज के अंतिम पायदान पर हैं. राहुल गांधी के बिहार दौरे से यदि सबसे ज्यादा कोई परेशान है तो वह बीजेपी के नेता हैं. राहुल गांधी मजबूत होंगे तो गठबंधन मजबूत होगा सहयोगी दल मजबूत होगा."- राजेश राठौर,कांग्रेस प्रवक्ता
गजनी की भूमिका में राहुल: बीजेपी ने राहुल गांधी के बिहार दौरे पर निशाना साधा है. बीजेपी प्रवक्ता कुंतल कृष्ण का कहना है कि राहुल गांधी भारत की राजनीति के गजनी हो गए हैं. जिस तरीके से गजनी फिल्म में अभिनेता को कुछ-कुछ बातें याद आती रहती थी उसी तरीके से राहुल गांधी को भी समय-समय पर कुछ-कुछ चीज याद आने लगती है. कांग्रेस को आज तक स्वर्गीय जगलाल चौधरी की याद नहीं आई. अब अचानक से उनको जगलाल चौधरी याद आने लगे हैं.
"राहुल गांधी जितनी बार भी बिहार आएंगे उससे उनके सहयोगी दल दबाव में रहेंगे खासकर राष्ट्रीय जनता दल. राहुल गांधी का ट्रैक रिकार्ड रहा है कि जिस जगह जाते हैं वहां पर उनकी पार्टी और उनके सहयोगी दल जाति संख्या में हर का सामना करते हैं. यही कारण है कि राहुल गांधी के बिहार दौरे से उनके सहयोगी दल दबाव में है." -कुंतल कृष्ण, प्रवक्ता बीजेपी
राहुल के दौरे से गठबंधन मजबूत: बीजेपी द्वारा राहुल गांधी के बिहार दौरे पर उठाए गए सवाल पर राजद ने बचाव किया है. राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि राहुल गांधी के पटना आने से महागठबंधन को मजबूती मिलेगी. महागठबंधन का संकल्प है कि पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों एवं अल्पसंख्यकों को हक एवं सम्मान मिले. इसी सोच के तहत राहुल गांधी तेजस्वी यादव एवं लालू प्रसाद यादव काम कर रहे हैं.
"राहुल गांधी के बिहार दौरे पर आने से महागठबंधन के संकल्प और तेजस्वी यादव की सोच को और मजबूती मिलेगी. एनडीए के नेता क्या बोलते हैं यह उनका निजी विचार हो सकता है. लेकिन राहुल गांधी तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पूरी मजबूती के साथ दलित पिछड़ाओं एवं अति पिछड़ों को सम्मान देने के प्रति नजरिया साफ और स्पष्ट है." -एजाज अहमद, प्रवक्ता आरजेडी
दलितों का कोई सच्चा हमदर्द कांग्रेस पार्टी: स्व जगलाल चौधरी की जयंती में शामिल होने के लिए पहली बार कांग्रेस का कोई इतना बड़ा नेता बिहार पहुंच रहा है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषण डॉ संजय कुमार का कहना है कि जगलाल चौधरी की जयंती में शामिल होकर राहुल गांधी दलितों के बीच एक संदेश देना चाहते हैं. जगलाल चौधरी बिहार में दलित समुदाय के बड़े नेता थे. श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में वह दलितों के बीच यह मैसेज देंगे कि बिहार की राजनीति में यदि दलितों का कोई सच्चा हमदर्द है तो वह कांग्रेस पार्टी है.
कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन: राजनीति में अपने गठबंधन के साथियों को भी अपनी ताकत दिखाया जाता है. जमीन को लेकर कांग्रेस पर सवाल उठाते रहे हैं कि सामाजिक समीकरण के हिसाब से एवं जातीय आधार पर बिहार में जो समाज बंटा हुआ है उसमें लालू प्रसाद यादव की जमीन ज्यादा मजबूत है. यही कारण है कि राहुल गांधी या बताना चाहते हैं कि अल्पसंख्यकों के साथ-साथ दलित समुदाय भी उनके साथ जुड़ रहा है.
लालू यादव से की थी मुलाकात: दरअसल, दलित राजनीति के बहाने राहुल गांधी अपने सहयोगी दल राजद और लालू प्रसाद को भी यह एहसास दिलाने का प्रयास करेंगे की बिहार की राजनीति में कांग्रेस का कितना प्रभाव है.18 जनवरी को पटना के बापू सभागार में सिविल सोसाइटी द्वारा आयोजित संविधान बचाओ सम्मेलन में शामिल होने के लिए राहुल गांधी पटना आए हुए थे. सदाकत आश्रम में उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया था. इसके बाद बीपीएससी अभ्यर्थियों से मुलाकात की और दिल्ली वापस लौटने से पहले उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से उनके सरकारी आवास पर जाकर मुलाकात की थी.
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