पटना: बिहार लोक सेवा आयोग (Bihar Public Service Commission) जल्द ही बिहार में हेड मास्टर और हेड टीचर की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी करने वाला है. शिक्षा विभाग ने 46,838 प्राथमिक और माध्यमिक उच्च शिक्षा माध्यमिक विद्यालयों में हेड मास्टर और हेड टीचर की नियुक्ति की प्रक्रिया को आगे बढ़ा दी है. सरकार का दावा है कि हेड टीचर और हेड मास्टर की नियुक्ति से सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.
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शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षक की नियुक्ति का प्रस्ताव समान प्रशासन विभाग के जरिए बिहार लोक सेवा आयोग को भेज दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, शिक्षा विभाग के दोनों निदेशालय ने अलग-अलग अधियाचना तैयार की है. प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने 40,538 प्रधान शिक्षक और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने 6,300 प्रधानाध्यापक के पदों की अधियाचना बिहार लोक सेवा आयोग को भेजी है.
जनवरी में बिहार लोक सेवा आयोग के द्वारा नियुक्तियां जारी करने की उम्मीद जताई जा रही है. इन दोनों पदों के लिए जारी शर्तों के मुताबिक लिखित परीक्षा के आधार पर प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक का चयन होगा. इसके लिए कोई इंटरव्यू नहीं होगा. प्रधानाध्यापक का पद प्रमंडल स्तर के संवर्ग का होगा, जबकि प्रधान शिक्षक का पद जिला स्तर के संवर्ग का होगा. प्रधान शिक्षक की नियुक्ति प्रक्रिया में प्रारंभिक विद्यालयों में कार्यरत नियोजित शिक्षकों को शामिल होने का मौका मिलेगा. जिन की सेवा अवधि न्यूनतम 8 साल की हो चुकी है.
प्रधानाध्यापक पद पर नियुक्ति में उन माध्यमिक शिक्षकों को सम्मिलित होने का मौका मिलेगा, जिन की सेवा कम से कम दस साल की हो चुकी है. प्रधानाध्यापक पद पर बहाली में राज्य के उच्च माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के साथ-साथ सीबीएसई, आईसीएसई और बिहार बोर्ड से स्थाई संबद्धता प्राप्त माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों को शामिल होने का भी मौका मिलेगा. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बताया कि बिहार लोक सेवा आयोग के जरिए हेड टीचर और हेड मास्टर की नियुक्ति होने से यह दोनों पद सीधे सरकार के नियंत्रण में होंगे और स्कूलों को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी.
बिहार के सरकारी स्कूलों की बात करें तो प्राथमिक और मध्य विद्यालय हो या फिर माध्यमिक उच्च माध्यमिक विद्यालय, बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जहां प्रधानाध्यापक के पद खाली पड़े हैं और प्रभारी प्राचार्य के भरोसे काम चल रहा है. प्रभारी प्राचार्य का जिम्मा ज्यादातर नियोजित शिक्षकों पर है. अब बीपीएससी के जरिए प्रधानाचार्य और प्रधान शिक्षक की नियुक्ति होने पर पढ़ाई की गुणवत्ता और स्कूल प्रशासन दुरुस्त होने की उम्मीद है.
इस बारे में बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री और सर्टिफिकेट लाओ नौकरी पाओ सिस्टम की शुरुआत करने वाले वृषण पटेल ने कहा कि हेड टीचर की नियुक्ति बीपीएससी से होगी तो जाहिर तौर पर अच्छी क्वालिटी के शिक्षक स्कूलों में आएंगे. उन्होंने कहा कि जब वे सर्टिफिकेट लाओ नौकरी पाओ की तर्ज पर स्थानीय लोगों को शिक्षक की नौकरी लेने का अवसर दिया तब उनकी सोच कुछ और थी, लेकिन इसके परिणाम अच्छे नहीं आए हैं.
पूर्व मंत्री वृषण पटेल ने कहा कि बिहार में आज स्कूल का सिस्टम पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है. पंचायत स्तर पर जो शिक्षक हैं वह पढ़ाते नहीं है. उन्होंने कहा कि स्कूल अखाड़ा बन चुका है. इसलिए जरूरी है कि अच्छे शिक्षकों की नियुक्ति हो और स्कूली सिस्टम को दुरुस्त किया जाए. उन्होंने कहा कि इसके लिए हेड टीचर और हेडमास्टर की नियुक्ति बीपीएससी के जरिए होगी तो सिस्टम सुधरेगा, क्योंकि पूरा प्रशासन और वित्तीय व्यवस्था सीधे सरकार के नियंत्रण में होगी.
इधर भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रोफेसर नवल किशोर यादव ने बताया कि सरकार चाहती है कि स्कूलों के प्रशासन का सीधा नियंत्रण उसके हाथ में रहे. फिलहाल पूरी व्यवस्था पंचायती राज के अधीन है. जिससे वित्तीय अनुशासन लागू करने में परेशानी हो रही है. उन्होंने बताया कि जब बीपीएससी के जरिए नियुक्ति होगी तो प्रधान शिक्षक और प्रधानाचार्य सीधे सरकार के अधीन काम करेंगे. जिससे न सिर्फ स्कूलों में प्रशासनिक व्यवस्था सुधरेगी बल्कि वित्तीय अनुशासन भी लागू हो सकेगा.
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