पटना: पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान को बिहार सरकार द्वारा ब्लैक फंगस के उपचार के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में नामित किया गया है. यहां पहले से ही डेडिकेटेड कोरोना अस्पताल भी चलाया जा रहा है. अब राज्य सरकार ने इसी अस्पताल में कोरोना मरीज के अलावे म्यूकोर्मिकोसिस ब्लैक फंगस के इलाज के लिए भी उत्कृष्टता केंद्र रूप में नामित किया है. आपको बता दें कि ब्लैक फंगस बीमारी के मरीज का पहले से यहां इलाज चल रहा है. अब इस केंद्र पर विशेष सुविधा भी उपलब्ध होगी.
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285 बेड ऑक्सीजन सुविधा से लैस
फिलहाल आईजीआईएमएस में कोरोना मरीजों के लिए 75 बेड पर आईसीयू की सुविधा भी उपलब्ध है. इसके अलावे 285 बेड ऑक्सीजन सुविधा के लैस है. लगातार कोरोना के गंभीर मरीज का यहां इलाज हो रहा है. आज से सरकार ने इसे कोरोना के अलावे ब्लैक फंगस के रोगियों के बिशेष उपचार के लिए भी नामित किया है इसकी जानकारी संस्थान के अधीक्षक मनीष मंडल ने दी.
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संस्थान में ब्लैक फंगस के हैं 6 मरीज
मनीष मंडल ने कहा कि निश्चित तौर पर हम ब्लैक फंगस के मरीज के इलाज के लिए पूरी तरह तैयार हैं. इलाज कर भी रहे हैं. अभी भी संस्थान में ब्लैक फंगस के 6 मरीज भर्ती हैं. बता दें कि सोमवार को प्रदेश में ब्लैक फंगस के 11 नए मामले सामने आए. जिसके बाद प्रदेश में ब्लैक फंगस से ग्रसित मरीजों की संख्या 50 के पार पहुंच गई है. इन 11 मरीजों में पटना एम्स में पांच और आईजीआईएमएस में 6 मरीज एडमिट हुए हैं. इससे एक डॉक्टर की भी मौत हो गई थी.
क्या है ब्लैक फंगस?
भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, 'ब्लैक फंगस' एक विशेष तरह का फंगस है. यह शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. यह इंफेक्शन उन लोगों में देखने को मिल रहा है जो कि कोरोना संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त है. इसके अलावा यह उन्हीं लोगों में देखने को मिल रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है.
क्या है लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.
खतरनाक है ब्लैक फंगस!
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है.
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