पटना: राज्यसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव को लेकर बिहार में एक बार सियासत फिर तेज है. लोजपा की ओर से रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पत्नी को राज्यसभा भेजे जाने की मांग की गई थी. महागठबंधन की ओर से भी रीना पासवान को समर्थन दिया गया. लेकिन एनडीए ने पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस मामले में महागठबंधन की बयानबाजी पर बीजेपी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को चेतावनी दी है कि वो जोड़-तोड़ की राजनीति से बचें, नहीं तो नेता प्रतिपक्ष बनने के लायक भी नहीं बचेंगे.
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि जिसके पास बहुमत होता है. राज्यसभा के लिए उम्मीदवार उसी के तरफ से बनाया जाता है और जीत भी उसी की होती है. एनडीए के पास बहुमत है और सुशील मोदी राज्यसभा का चुनाव जीतेंगे. दलित को उम्मीदवार बनाए जाने की मांग पर प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि यह सीट रिजर्व सीट नहीं है. यह बीजेपी की सीट है और रविशंकर प्रसाद के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद खाली हुआ थी. रामविलास पासवान ने चुनाव नहीं लड़ा था इसलिए उन्हें राज्यसभा से भेजा गया था. अब उनके निधन के बाद ये सीट खाली हुई, तो बीजेपी ने इसपर अपना उम्मीदवार उतारा है.
'जोड़-तोड़ की राजनीति में लगे हैं तेजस्वी'
प्रेम रंजन पटेल ने तेजस्वी यादव को चेतावनी देते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में जनता ने एनडीए को बहुमत दिया है, उन्हें विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए कहा है लेकिन वो बाज नहीं आ रहे हैं. जोड़-तोड़ की राजनीति में लगे हुए हैं. विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में हार मिल चुकी है और यदि जोड़-तोड़ की राजनीति से बाज नहीं आए तो एनडीए तो एकजुट रहेगा. लेकिन महागठबंधन का क्या होगा कोई नहीं जानता है. ऐसा ना हो कि नेता प्रतिपक्ष बनने लायक भी तेजस्वी यादव न रह जाएं.
महागठबंधन पर नजर!
लोजपा की ओर से साफ हो गया कि अब महागठबंधन ने जो ऑफर दिया था, उस पर तैयार नहीं हैं. ऐसे में महागठबंधन खेमे से कई नामों पर चर्चा जरूर है लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है. 3 दिसंबर नामांकन का अंतिम दिन है और एनडीए के पास बहुमत है. अब देखना है कि महागठबंधन विधानसभा अध्यक्ष की राज्यसभा के उपचुनाव में चुनौती दे पाता है या नहीं.