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बिहार में पुरानी पेंशन योजना पर भाजपा ने राजद को दिया जवाब, कहा- ज्यादा बेचैन होने की जरूरत नहीं है - etv bharat

बिहार में पुरानी पेंशन योजना लागू करने के मुद्दे पर बिहार में राजनीति शुरू हो गई है. राजद ने कहा कि इसकी मांग सदन में की जाएगी, वहीं भाजपा ने कहा दिया है कि ज्यादा बेचैन होने की जरूरत नहीं है. पढ़ें रिपोर्ट..

भाजपा एमएलसी नवल किशोर यादव
भाजपा एमएलसी नवल किशोर यादव
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Published : Feb 25, 2022, 9:56 PM IST

पटना: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब से राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की घोषणा की है, उसके बाद से ही बिहार समेत सभी राज्यों से यह मांग उठने लगी है. बिहार में पुरानी पेंशन योजना लागू (Old Pension scheme in Bihar) होनी चाहिए. इस मांग को लेकर राष्ट्रीय जनता दल ने कहा है कि वह सदन में सरकार से इस बात की मांग करेंगे कि बिहार के कर्मचारियों के लिए भी पुरानी पेंशन सरकार को लागू करनी चाहिए. इधर भाजपा ने कहा है कि इसमें बहुत ज्यादा बेचैनी की जरूरत नहीं है. सरकार समय आने पर सही निर्णय लेगी.

यह भी पढ़ें- पेंशन पर राजनीति, जानें पुरानी पेंशन व्यवस्था से कितनी अलग है नई व्यवस्था

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी घोषणा की है कि वे पुरानी पेंशन को लागू करेंगे. इधर बिहार में विपक्ष ने सरकार से पूछा है कि उन्हें किस बात का इंतजार है. यह कर्मचारियों के हित में है और लंबे समय से इसकी मांग हो रही है. इसलिए बिहार में भी इसे जल्द से जल्द लागू करना चाहिए. राष्ट्रीय जनता दल के एमएलसी सुनील कुमार सिंह ने कहा रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों का एकमात्र सहारा पेंशन हैं. जब अन्य राज्य पुरानी पेंशन योजना को लागू कर रहे हैं तो बिहार में भी इसे लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम इसकी मांग सदन में भी उठाएंगे. इस मामले में भाजपा एमएलसी नवल किशोर यादव ने कहा कि लोगों को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. सरकार सही समय आने पर इस बारे में निर्णय लेगी.

आपको बता दें कि 1 जनवरी 2004 या इसके बाद नियुक्त हुए कार्यों के लिए सरकार ने नई पेंशन योजना लागू की थी. नई पेंशन सिस्टम में कर्मचारी को भी खुद ईपीएफ में पैसा कटवाना होता है. जबकि पुरानी पेंशन बहाल होने से वेतन का आधा पेंशन रिटायरमेंट के बाद मिलेगा. पुरानी पेंशन स्कीम में जीपीएफ की सुविधा थी और पेंशन के लिए वेतन से कटौती नहीं होती थी. रिटायरमेंट पर निश्चित पेंशन यानी अंतिम वेतन का 50% निश्चित तौर पर कर्मचारी को मिलता है और पूरा पेंशन सरकार देती है. रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी यानी अंतिम वेतन के अनुसार 16.5 माह का वेतन भी कर्मचारी को मिलता है.

सेवाकाल में मौत होने पर डेथ ग्रेच्युटी की सुविधा मिलती है. सेवाकाल में मौत होने पर कर्मचारी के आश्रित को पारिवारिक पेंशन और नौकरी मिलती है. हर 6 महीने के बाद महंगाई भत्ता और जीपीएफ से लोन लेने की सुविधा भी पुरानी पेंशन योजना में शामिल है. 1 जनवरी 2004 से लागू नई पेंशन स्कीम की बात करें तो इसमें कर्मचारियों को ईपीएफ में अपने वेतन से प्रतिमाह 10 से 12 फीसदी की कटौती करनी होती है. जीपीएस की सुविधा भी नई पेंशन स्कीम में उपलब्ध नहीं है. इसमें निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं है. नई पेंशन का पूरा कार्यभार बीमा कंपनी को दिया गया है, जो पूरी तरह शेयर बाजार पर निर्भर है. रिटायरमेंट के बाद मेडिकल भत्ता बंद हो जाता है. मेडिकल बिल की प्रतिपूर्ति भी नहीं होती. इसमें पारिवारिक पेंशन की सुविधा उपलब्ध नहीं है और ना ही कोई लोन की सुविधा उपलब्ध है.

बिहार में कई शिक्षक संघ और अन्य कर्मचारी यूनियन भी लंबे समय से ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में राजस्थान और झारखंड के बाद अब बिहार सरकार पर इस बात का दबाव है कि वह भी पुरानी पेंशन योजना लागू करें.

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पटना: राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब से राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की घोषणा की है, उसके बाद से ही बिहार समेत सभी राज्यों से यह मांग उठने लगी है. बिहार में पुरानी पेंशन योजना लागू (Old Pension scheme in Bihar) होनी चाहिए. इस मांग को लेकर राष्ट्रीय जनता दल ने कहा है कि वह सदन में सरकार से इस बात की मांग करेंगे कि बिहार के कर्मचारियों के लिए भी पुरानी पेंशन सरकार को लागू करनी चाहिए. इधर भाजपा ने कहा है कि इसमें बहुत ज्यादा बेचैनी की जरूरत नहीं है. सरकार समय आने पर सही निर्णय लेगी.

यह भी पढ़ें- पेंशन पर राजनीति, जानें पुरानी पेंशन व्यवस्था से कितनी अलग है नई व्यवस्था

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी घोषणा की है कि वे पुरानी पेंशन को लागू करेंगे. इधर बिहार में विपक्ष ने सरकार से पूछा है कि उन्हें किस बात का इंतजार है. यह कर्मचारियों के हित में है और लंबे समय से इसकी मांग हो रही है. इसलिए बिहार में भी इसे जल्द से जल्द लागू करना चाहिए. राष्ट्रीय जनता दल के एमएलसी सुनील कुमार सिंह ने कहा रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों का एकमात्र सहारा पेंशन हैं. जब अन्य राज्य पुरानी पेंशन योजना को लागू कर रहे हैं तो बिहार में भी इसे लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम इसकी मांग सदन में भी उठाएंगे. इस मामले में भाजपा एमएलसी नवल किशोर यादव ने कहा कि लोगों को ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है. सरकार सही समय आने पर इस बारे में निर्णय लेगी.

आपको बता दें कि 1 जनवरी 2004 या इसके बाद नियुक्त हुए कार्यों के लिए सरकार ने नई पेंशन योजना लागू की थी. नई पेंशन सिस्टम में कर्मचारी को भी खुद ईपीएफ में पैसा कटवाना होता है. जबकि पुरानी पेंशन बहाल होने से वेतन का आधा पेंशन रिटायरमेंट के बाद मिलेगा. पुरानी पेंशन स्कीम में जीपीएफ की सुविधा थी और पेंशन के लिए वेतन से कटौती नहीं होती थी. रिटायरमेंट पर निश्चित पेंशन यानी अंतिम वेतन का 50% निश्चित तौर पर कर्मचारी को मिलता है और पूरा पेंशन सरकार देती है. रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी यानी अंतिम वेतन के अनुसार 16.5 माह का वेतन भी कर्मचारी को मिलता है.

सेवाकाल में मौत होने पर डेथ ग्रेच्युटी की सुविधा मिलती है. सेवाकाल में मौत होने पर कर्मचारी के आश्रित को पारिवारिक पेंशन और नौकरी मिलती है. हर 6 महीने के बाद महंगाई भत्ता और जीपीएफ से लोन लेने की सुविधा भी पुरानी पेंशन योजना में शामिल है. 1 जनवरी 2004 से लागू नई पेंशन स्कीम की बात करें तो इसमें कर्मचारियों को ईपीएफ में अपने वेतन से प्रतिमाह 10 से 12 फीसदी की कटौती करनी होती है. जीपीएस की सुविधा भी नई पेंशन स्कीम में उपलब्ध नहीं है. इसमें निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं है. नई पेंशन का पूरा कार्यभार बीमा कंपनी को दिया गया है, जो पूरी तरह शेयर बाजार पर निर्भर है. रिटायरमेंट के बाद मेडिकल भत्ता बंद हो जाता है. मेडिकल बिल की प्रतिपूर्ति भी नहीं होती. इसमें पारिवारिक पेंशन की सुविधा उपलब्ध नहीं है और ना ही कोई लोन की सुविधा उपलब्ध है.

बिहार में कई शिक्षक संघ और अन्य कर्मचारी यूनियन भी लंबे समय से ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में राजस्थान और झारखंड के बाद अब बिहार सरकार पर इस बात का दबाव है कि वह भी पुरानी पेंशन योजना लागू करें.

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