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BJP का चिराग से क्यों नहीं हो रहा मोह भंग, 'हनुमान' से बिहार में ये फायदा! - Bihar BJP On Chirag Paswan

बीजेपी नेताओं में अभी भी चिराग पासवान के लिए सॉफ्ट कॉर्नर (BJP Soft Corner For Chirag Paswan) है. बीजेपी के कई नेता दिवंगत रामविलास पासवान के बेटे चिराग को एनडीए में शामिल करने के पक्ष में हैं. बीजेपी को लगता है कि चिराग की वजह से भगवा पार्टी का प्रदर्शन जदयू से बेहतर रहा. पढ़ें पूरी खबर..

BJP Soft Corner For Chirag Paswan
BJP Soft Corner For Chirag Paswan
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Published : Jan 28, 2022, 7:58 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (Bihar Vidhan Sabha Chunav 2020) में चिराग पासवान ने जदयू और नीतीश कुमार को बड़ा झटका दिया था. चिराग पासवान (Chirag Paswan damages JDU) के कारण ही जदयू तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. चिराग पासवान के कारण आरजेडी को भी लाभ मिला और बीजेपी को भी. इसी कारण बीजेपी नेताओं का चिराग पासवान के प्रति मोह खत्म नहीं हो रहा है. बीजेपी के कई नेताओं का मानना है कि अगर जदयू ने उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी में शामिल किया है तो, चिराग को एनडीए में क्यों नहीं. हालांकि, यह एक खुला सच है कि सीएम नीतीश कुमार चिराग को पसंद नहीं करते हैं.

पढ़ें- 'UP और UK में मुश्किलों भरी चिराग की राह, दिग्गजों के बीच खुद को साबित करना होगी बड़ी चुनौती'

नीतीश कुमार की नाराजगी चिराग पासवान को लेकर किसी से छिपी नहीं है. लोजपा को तोड़ने में नीतीश कुमार की अहम भूमिका रही है. लोजपा के एकमात्र विधायक को भी जदयू में शामिल करा लिया गया है. लेकिन, इसके बावजूद चिराग को बीजेपी (Bihar BJP On Chirag Paswan ) के नेता फिर से एनडीए के फोल्डर में लाना चाहते हैं. बीजेपी नेताओं का तो यहां तक तर्क है कि जब उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में शामिल कराया जा सकता है तो, चिराग पासवान को एनडीए में क्यों नहीं शामिल किया जा सकता है.

पढ़ें- CM नीतीश के बयान पर बोले चिराग- 'पहले वो बताएं कहां रहते हैं, बिहार की जनता उन्हें खोज रही है'

2020 विधानसभा चुनाव में मगध और शाहाबाद क्षेत्र में जदयू का पूरी तरह से सफाया हो गया. इसके पीछे का एक बड़ा कारण चिराग पासवान का जदयू उम्मीदवार के खिलाफ लोजपा से उम्मीदवार उतारना माना जाता रहा है. जदयू के नेता भी कहते रहे कि, चिराग के कारण नुकसान उठाना पड़ा है. लेकिन दूसरी तरफ बीजेपी एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी बन गई. बीजेपी नेताओं को लगता है कि, चिराग के कारण उन्हें विधानसभा चुनाव में लाभ मिला है.

चिराग पासवान खुदको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान भी बताते रहे हैं. बीजेपी ने चिराग पासवान को लेकर कभी कोई बड़ा बयान नहीं दिया. यह जरूर है कि, केंद्र में मंत्री चिराग पासवान को नहीं बनाया गया है. लेकिन नीतीश कुमार की नाराजगी के कारण चिराग को एनडीए से बाहर निकलना पड़ा. इसके बावजूद न तो बीजेपी नेताओं का चिराग के प्रति मोह कम हुआ और ना ही चिराग का बीजेपी के खिलाफ कोई बड़ा बयान आया है.

ये भी पढ़ें- UP में चिराग ने PM मोदी की तारीफों के बांधे पुल, कहा- 'दुख की घड़ी में सिर पर हाथ रखा'

बीजेपी के सांसद रामकृपाल यादव और अजय निषाद बयान दे चुके हैं कि, चिराग पासवान को फिर से एनडीए फोल्डर में लाना चाहिए. बड़े जनाधार वाले नेता हैं. वहीं बीजेपी के उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी का भी कहना है कि, जब उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में शामिल कराया जा सकता है तो चिराग पासवान को एनडीए में क्यों नहीं लाया जा सकता है. बीजेपी सबके लिए अपना दरवाजा खोल कर रखती है.

चिराग को लेकर नीतीश कुमार की नाराजगी किसी से छिपी नहीं है और इसलिए पार्टी के नेता चिराग के खिलाफ हमेशा बयान देते रहते हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह चिराग को लेकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले में मुझे कुछ नहीं बोलना है क्योंकि यह फैसला चिराग पासवान का ही था.

वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि, विधानसभा चुनाव के समय से ही साफ दिख रहा है कि चिराग पासवान बीजेपी के साथ किसी न किसी रूप से अटैच है. बीजेपी का चिराग के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर साफ दिखता है. रवि उपाध्याय का कहना है कि, चिराग पासवान जो भी बात बोलते हैं, नीतीश कुमार को टारगेट करके बोलते हैं. बीजेपी बिहार के बड़े नेता चाहते हैं कि, चिराग एनडीए में रहे. बीजेपी को लगता है कि ऐसा करने से बीजेपी को लाभ मिलेगा. हालांकि नीतीश कुमार की नाराजगी बढ़ेगी लेकिन पॉलिटिक्स में सब कुछ चलते रहता है.

2020 विधानसभा चुनाव में लोजपा की ओर से चिराग पासवान ने 134 उम्मीदवार उतारे थे. उसमें से केवल एक उम्मीदवार ही जीत पाया. वोट प्रतिशत भी 5.6 के आस-पास ही रहा. चिराग पासवान के लिए ये एक बड़ा झटका था. कभी चिराग पासवान नीतीश कुमार को बिहार की सत्ता से बेदखल करने की बात कर रहे थे. बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट बड़ा अभियान भी चलाया था. उसमें सफलता नहीं मिली लेकिन लोजपा से कई बीजेपी के बागी नेताओं को टिकट देकर जदयू को कमजोर करने में सफलता जरूर हासिल कर ली.

इसके फलस्वरूप जदयू केवल 43 सीटों पर सिमट गया. बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ लोजपा की ओर से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा गया जिसका लाभ बीजेपी को मिला. बीजेपी 74 सीट पर पहुंच गयी. हालांकि इसके बाद नीतीश कुमार ने लोजपा को तोड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. आज भी चिराग अलग-थलग हैं बावजूद बीजेपी के चेहते हैं.

चिराग पासवान के कारण ही बिहार में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में है क्योंकि नीतीश कुमार कमजोर हुए हैं. बीजेपी के नेता चाहते हैं कि, नीतीश और जदयू एनडीए में कमजोर रहें. यह भी एक बड़ा कारण है और इसीलिए चिराग के प्रति बीजेपी का अभी तक मोह गया नहीं है. बिहार बीजेपी के कई नेता इसलिए बयान देते रहते हैं कि, चिराग पासवान को फिर से एनडीए में शामिल कराया जाए. हालांकि देखना है कि, नीतीश कुमार इसके लिए कभी तैयार होते हैं या नहीं.

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (Bihar Vidhan Sabha Chunav 2020) में चिराग पासवान ने जदयू और नीतीश कुमार को बड़ा झटका दिया था. चिराग पासवान (Chirag Paswan damages JDU) के कारण ही जदयू तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. चिराग पासवान के कारण आरजेडी को भी लाभ मिला और बीजेपी को भी. इसी कारण बीजेपी नेताओं का चिराग पासवान के प्रति मोह खत्म नहीं हो रहा है. बीजेपी के कई नेताओं का मानना है कि अगर जदयू ने उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी में शामिल किया है तो, चिराग को एनडीए में क्यों नहीं. हालांकि, यह एक खुला सच है कि सीएम नीतीश कुमार चिराग को पसंद नहीं करते हैं.

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नीतीश कुमार की नाराजगी चिराग पासवान को लेकर किसी से छिपी नहीं है. लोजपा को तोड़ने में नीतीश कुमार की अहम भूमिका रही है. लोजपा के एकमात्र विधायक को भी जदयू में शामिल करा लिया गया है. लेकिन, इसके बावजूद चिराग को बीजेपी (Bihar BJP On Chirag Paswan ) के नेता फिर से एनडीए के फोल्डर में लाना चाहते हैं. बीजेपी नेताओं का तो यहां तक तर्क है कि जब उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में शामिल कराया जा सकता है तो, चिराग पासवान को एनडीए में क्यों नहीं शामिल किया जा सकता है.

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2020 विधानसभा चुनाव में मगध और शाहाबाद क्षेत्र में जदयू का पूरी तरह से सफाया हो गया. इसके पीछे का एक बड़ा कारण चिराग पासवान का जदयू उम्मीदवार के खिलाफ लोजपा से उम्मीदवार उतारना माना जाता रहा है. जदयू के नेता भी कहते रहे कि, चिराग के कारण नुकसान उठाना पड़ा है. लेकिन दूसरी तरफ बीजेपी एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी बन गई. बीजेपी नेताओं को लगता है कि, चिराग के कारण उन्हें विधानसभा चुनाव में लाभ मिला है.

चिराग पासवान खुदको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान भी बताते रहे हैं. बीजेपी ने चिराग पासवान को लेकर कभी कोई बड़ा बयान नहीं दिया. यह जरूर है कि, केंद्र में मंत्री चिराग पासवान को नहीं बनाया गया है. लेकिन नीतीश कुमार की नाराजगी के कारण चिराग को एनडीए से बाहर निकलना पड़ा. इसके बावजूद न तो बीजेपी नेताओं का चिराग के प्रति मोह कम हुआ और ना ही चिराग का बीजेपी के खिलाफ कोई बड़ा बयान आया है.

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बीजेपी के सांसद रामकृपाल यादव और अजय निषाद बयान दे चुके हैं कि, चिराग पासवान को फिर से एनडीए फोल्डर में लाना चाहिए. बड़े जनाधार वाले नेता हैं. वहीं बीजेपी के उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी का भी कहना है कि, जब उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में शामिल कराया जा सकता है तो चिराग पासवान को एनडीए में क्यों नहीं लाया जा सकता है. बीजेपी सबके लिए अपना दरवाजा खोल कर रखती है.

चिराग को लेकर नीतीश कुमार की नाराजगी किसी से छिपी नहीं है और इसलिए पार्टी के नेता चिराग के खिलाफ हमेशा बयान देते रहते हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह चिराग को लेकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले में मुझे कुछ नहीं बोलना है क्योंकि यह फैसला चिराग पासवान का ही था.

वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि, विधानसभा चुनाव के समय से ही साफ दिख रहा है कि चिराग पासवान बीजेपी के साथ किसी न किसी रूप से अटैच है. बीजेपी का चिराग के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर साफ दिखता है. रवि उपाध्याय का कहना है कि, चिराग पासवान जो भी बात बोलते हैं, नीतीश कुमार को टारगेट करके बोलते हैं. बीजेपी बिहार के बड़े नेता चाहते हैं कि, चिराग एनडीए में रहे. बीजेपी को लगता है कि ऐसा करने से बीजेपी को लाभ मिलेगा. हालांकि नीतीश कुमार की नाराजगी बढ़ेगी लेकिन पॉलिटिक्स में सब कुछ चलते रहता है.

2020 विधानसभा चुनाव में लोजपा की ओर से चिराग पासवान ने 134 उम्मीदवार उतारे थे. उसमें से केवल एक उम्मीदवार ही जीत पाया. वोट प्रतिशत भी 5.6 के आस-पास ही रहा. चिराग पासवान के लिए ये एक बड़ा झटका था. कभी चिराग पासवान नीतीश कुमार को बिहार की सत्ता से बेदखल करने की बात कर रहे थे. बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट बड़ा अभियान भी चलाया था. उसमें सफलता नहीं मिली लेकिन लोजपा से कई बीजेपी के बागी नेताओं को टिकट देकर जदयू को कमजोर करने में सफलता जरूर हासिल कर ली.

इसके फलस्वरूप जदयू केवल 43 सीटों पर सिमट गया. बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ लोजपा की ओर से कोई उम्मीदवार नहीं उतारा गया जिसका लाभ बीजेपी को मिला. बीजेपी 74 सीट पर पहुंच गयी. हालांकि इसके बाद नीतीश कुमार ने लोजपा को तोड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. आज भी चिराग अलग-थलग हैं बावजूद बीजेपी के चेहते हैं.

चिराग पासवान के कारण ही बिहार में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में है क्योंकि नीतीश कुमार कमजोर हुए हैं. बीजेपी के नेता चाहते हैं कि, नीतीश और जदयू एनडीए में कमजोर रहें. यह भी एक बड़ा कारण है और इसीलिए चिराग के प्रति बीजेपी का अभी तक मोह गया नहीं है. बिहार बीजेपी के कई नेता इसलिए बयान देते रहते हैं कि, चिराग पासवान को फिर से एनडीए में शामिल कराया जाए. हालांकि देखना है कि, नीतीश कुमार इसके लिए कभी तैयार होते हैं या नहीं.

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