पटना: बिहार एनडीए (NDA) में घमासान मचा है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के बीच तकरार जारी है. संजय जायसवाल ने अल्पसंख्यकों द्वारा दलितों को प्रताड़ित करने का मामला उठाया तो जीतन राम मांझी की पार्टी हम ने एतराज जताया था.
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संजय जायसवाल ने सोशल मीडिया के जरिए कहा था कि बिहार में दलितों पर हमले किए जा रहे हैं. खास तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग उनका उत्पीड़न कर रहे हैं.
पुलिस निष्पक्ष कार्रवाई नहीं कर रही है. दलितों को ही मुजरिम बनाया जा रहा है. पुलिस दोनों ओर के लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रही है.
हम ने कहा था- बीजेपी दे रही सांप्रदायिक रंग
संजय जायसवाल के स्टैंड पर जीतन राम मांझी की पार्टी हम ने तीखी नाराजगी जताई थी. पार्टी की ओर से कहा गया था कि दलित उत्पीड़न के मामले को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है.
जीतनराम मांझी ने इशारों में संजय जायसवाल पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि जब बिहार में दलित-अल्पसंख्यक एकजुट हो रहे हैं तो पेट में दर्द क्यों हो रहा है. पूर्णिया की घटना ने बता दिया कि सूबे के दलित-अल्पसंख्यक एकजुट हैं.
"हम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का सम्मान करते हैं. उनके मार्गदर्शन में बिहार में सरकार चल रही है, लेकिन जिस तरीके से उन्होंने दलित उत्पीड़न का मसला उठाया, उससे साफ जाहिर होता है कि मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है. हम पार्टी इसका विरोध करती है."- दानिश रिजवान, प्रवक्ता, हम
दलितों के हक की बात करने का अधिकार सिर्फ मांझी को नहीं
"प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल सभी मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखते हैं. उनके इलाके में ऐसी घटनाएं हुईं, जिससे पार्टी की चिंता बढ़ी और उन्होंने सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया. दलितों के हक और उनके हित की बात करने का अधिकार सिर्फ जीतन राम मांझी को नहीं है."- नवल किशोर यादव, भाजपा नेता
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