पटना: एनआरसी सियासत जारी है, एनआरसी को लेकर राजद ने केंद्र सरकार की नियत पर सवाल खड़े किए हैं, पार्टी की ओर से कहा गया है कि केंद्र सरकार ने नागरिकता का पैमाना ही बदल दिया है. जो पूरी तरह संविधान के विरोध में है. वहीं, भाजपा ने राजद के आरोपों पर पलटवार किया है.
शिवानंद तिवारी का बयान
एनआरसी को लेकर राजनीतिक दलों का विरोध जारी है राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि केंद्र सरकार ने नागरिकता का पैमाना बदल दिया है, जो संविधान विरोधी प्रतीत होता है. शिवानंद तिवारी ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली के परिजनों का नाम भी नागरिकता सूची में शामिल नहीं है. उन्होंने कहा कि हम लोगों ने असम आंदोलन के वक्त 1983 में लोहिया विचार मंच समता संगठन के तत्वावधान में दिल्ली से असम तक साइकिल यात्रा की थी. जिसमें किशन पटनायक सरीखे लोग मार्च में शामिल थे.
'असमिया और गैर असमिया हैं समस्या की जड़'
राजद नेता ने कहा कि हम लोग जब वहां पहुंचे तो महसूस किया कि वहां समस्या हिंदू मुसलमान की नहीं है, वहां समस्या की जड़ में असमिया और गैर असमिया हैं. असम के लोगों को लगता है कि गैर असमिया की वजह से उनकी परंपरा और संस्कृति खतरे में पड़ सकती है इसलिए वहां आपस में संघर्ष चलता है. केंद्र सरकार को चाहिए कि दूसरे देशों से आने वालों पर रोक लगाने के बजाय जो आ गए हैं उन्हें बाहर किया जाए.
संजय मयूख का बयान
वहीं, भाजपा नेता और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी संजय मयूख ने राजद के इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है. संजय मयूख ने कहा कि हम वोट की राजनीति नहीं करते हैं. हम देश की चिंता करते हैं और मोदी सरकार एनआरसी को लेकर जो फैसले ले रही है, वह देश हित में हैं.