ETV Bharat / state

India or Bharat: '90 फीसदी लोग भारत बोलते हैं.. जिनको पसंद नहीं, वो राष्ट्रपति के दावत में ना जाएं' - India or Bharat

'इंडिया नहीं भारत' इसको लेकर देश में एक नई बहस शुरू हो गई है. दरअसल जी-20 में निमंत्रण को लेकर 9 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ दावत दी गई है. इस निमंत्रण पत्र पर 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह पर 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा गया है. अब ऐसे में कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही हैं. इस मसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी भी पूरी तरह से अपना कमर कस ली है और हर मोर्चे पर जवाब देने के लिए तैयार है. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए साफ कहा कि जिनको भारत से आपत्ति है, वह इसमें शामिल नहीं भी हो सकते हैं. हालांकि इंडिया भारत है और भारत इंडिया है. सुशील मोदी से वरिष्ठ संवाददाता बृजम पांडे ने खास बातचीत की है.

बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी
बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 6, 2023, 6:04 AM IST

Updated : Sep 6, 2023, 7:51 AM IST

बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी से खास बातचीत

पटना: बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि जो लोग भारत को लेकर सवाल उठा रहे हैं, वह बेवजह की कंट्रोवर्सी पैदा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संविधान में लिखा हुआ है कि देश को इंडिया भी कहा जा सकता है और भारत भी कहा जा सकता है. जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वह संविधान को बेहतर तरीके से नहीं पढ़े हैं. राष्ट्रपति ने जी-20 के निमंत्रण पत्र में 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिख दिया तो इन लोगों को परेशानी हो गई, जबकि संविधान में साफ-साफ लिखा हुआ है कि भारत के लिए इंडिया का प्रयोग और इंडिया के लिए भारत का प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि देश में रहने वाले 90 फीसदी लोग 'भारत' कहना पसंद करते हैं.

ये भी पढ़ें: Tejashwi Yadav : कहां-कहां से INDIA का नाम हटाइएगा.. हमारे स्लोगन में तो दोनों है.. 'जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया'

"भारत शब्द को ज्यादा प्रचलित करने की जरूरत है. यह नाम यहां की मिट्टी से जुड़ा है. इंडिया अंग्रेजी से जुड़ा नाम है. ज्यादा अंग्रेजी पढ़े-लिखे लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, जबकि भारत गांव-देहात से लेकर शहर तक लोग बोलते हैं. अगर नरेंद्र मोदी सरकार भारत शब्द को प्रचारित कर रहे हैं तो इसमें किसी को आपत्ति क्यों है? इंडिया गठबंधन के नाम से क्या फर्क पड़ता है, वो रखें अपने गठबंधन का नाम"- सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद, बीजेपी

'भारत का विरोध करने वालों को ज्ञान नहीं': सुशील मोदी ने कहा कि कि राष्ट्रपति के निमंत्रण पत्र से यह साबित नहीं हो जाता है कि इंडिया का नाम बदलकर भारत कर दिया गया है या फिर आने वाले समय में ऐसा कुछ हो सकता है. यह जो लोग इस बात को पसंद नहीं कर रहे हैं, वह राष्ट्रपति द्वारा दिए गए निमंत्रण में अपनी पसंद से नहीं भी जा सकते हैं लेकिन उद्देश्य यह होना चाहिए कि यदि भारत का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा हो और लोगों की जुबान पर भारत रहे तो बेहतर है. यह जो लोग विरोध कर रहे हैं, उन्हें इस बात का जरा भी ज्ञान नहीं है.

गुलामी के प्रतीक को खत्म करने का प्रयास: बीजेपी सांसद ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में जो विपक्षी पार्टियां एकजुट हो रही है, वह किसी भी हाल में हर मुद्दे पर विरोध कर रही हैं. विरोध करने का आलम यह है कि पीएम यदि सनातन धर्म से ताल्लुक रखते हैं तो वह सनातन धर्म का भी विरोध करने लगे हैं, जबकि प्रधानमंत्री का साफ उद्देश्य है कि जो देश में गुलामी से जुड़ी हुई यादें हैं, गुलामी की जो पहचान है, उसे खत्म कर नई व्यवस्था को लागू किया जाए. ऐसी व्यवस्था में देश की बहुसंख्यक आबादी खुश रहती है.

मोदी के विरोध में सनातन का विरोध शुरू: पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि विपक्ष के विरोध का आलम यह है कि अब सनातन धर्म के साथ-साथ सनातनी पर्व-त्यौहार की छुट्टियों को लेकर भी यह लोग विरोध करने लगे हैं. छुट्टियां रद्द करने लगे हैं. अब इनके पास कोई ऐसा मसला नहीं रह गया है कि आगे यह विरोध कर सके. सुशील मोदी ने यह भी कहा विपक्षी पार्टियों के अपने गठबंधन के नाम इंडिया रख लेने की वजह से यह व्यवस्था नहीं की जा रही है. शुरू से इंडियन नेशनल कांग्रेस है तो वह अपना नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस ही रखें, इससे किसी को आपत्ति नहीं है लेकिन जो गुलामी का प्रतीक है उसे समाप्त करने की जरूरत है और यही किया जा रहा है.

'विशेष सत्र को लेकर अफवाह': बीजेपी नेता ने कहा कि जो 5 दिनों का विशेष सत्र बुलाया गया है, उसको लेकर विपक्षी नेता अफवाह फैला रहे हैं. अभी तक उस एजेंडे को लेकर ना तो कोई पत्र जारी किया गया है ना ही कोई बात की गई है. फिर भी अफवाह फैलाई जा रही है कि वन नेशन वन इलेक्शन, इंडिया का नाम बदलना, ऐसी कोई बात नहीं है. हम शुरू से भारत माता की जय बोलते रहे हैं. इंडिया माता की जय नहीं बोलते हैं. सभी देशों का नाम इंग्लिश हिंदी में एक ही है. चीन से लेकर तमाम देश अंग्रेजी में भी एक नाम रखते हैं और हिंदी में भी एक नाम रखते हैं. ऐसे में भारत नाम से आपत्ति क्यों की जा रही है. भरत के नाम पर भारत का नामकरण हुआ है और यह बेहतर है.

बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी से खास बातचीत

पटना: बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि जो लोग भारत को लेकर सवाल उठा रहे हैं, वह बेवजह की कंट्रोवर्सी पैदा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संविधान में लिखा हुआ है कि देश को इंडिया भी कहा जा सकता है और भारत भी कहा जा सकता है. जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वह संविधान को बेहतर तरीके से नहीं पढ़े हैं. राष्ट्रपति ने जी-20 के निमंत्रण पत्र में 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिख दिया तो इन लोगों को परेशानी हो गई, जबकि संविधान में साफ-साफ लिखा हुआ है कि भारत के लिए इंडिया का प्रयोग और इंडिया के लिए भारत का प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि देश में रहने वाले 90 फीसदी लोग 'भारत' कहना पसंद करते हैं.

ये भी पढ़ें: Tejashwi Yadav : कहां-कहां से INDIA का नाम हटाइएगा.. हमारे स्लोगन में तो दोनों है.. 'जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया'

"भारत शब्द को ज्यादा प्रचलित करने की जरूरत है. यह नाम यहां की मिट्टी से जुड़ा है. इंडिया अंग्रेजी से जुड़ा नाम है. ज्यादा अंग्रेजी पढ़े-लिखे लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, जबकि भारत गांव-देहात से लेकर शहर तक लोग बोलते हैं. अगर नरेंद्र मोदी सरकार भारत शब्द को प्रचारित कर रहे हैं तो इसमें किसी को आपत्ति क्यों है? इंडिया गठबंधन के नाम से क्या फर्क पड़ता है, वो रखें अपने गठबंधन का नाम"- सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद, बीजेपी

'भारत का विरोध करने वालों को ज्ञान नहीं': सुशील मोदी ने कहा कि कि राष्ट्रपति के निमंत्रण पत्र से यह साबित नहीं हो जाता है कि इंडिया का नाम बदलकर भारत कर दिया गया है या फिर आने वाले समय में ऐसा कुछ हो सकता है. यह जो लोग इस बात को पसंद नहीं कर रहे हैं, वह राष्ट्रपति द्वारा दिए गए निमंत्रण में अपनी पसंद से नहीं भी जा सकते हैं लेकिन उद्देश्य यह होना चाहिए कि यदि भारत का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा हो और लोगों की जुबान पर भारत रहे तो बेहतर है. यह जो लोग विरोध कर रहे हैं, उन्हें इस बात का जरा भी ज्ञान नहीं है.

गुलामी के प्रतीक को खत्म करने का प्रयास: बीजेपी सांसद ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में जो विपक्षी पार्टियां एकजुट हो रही है, वह किसी भी हाल में हर मुद्दे पर विरोध कर रही हैं. विरोध करने का आलम यह है कि पीएम यदि सनातन धर्म से ताल्लुक रखते हैं तो वह सनातन धर्म का भी विरोध करने लगे हैं, जबकि प्रधानमंत्री का साफ उद्देश्य है कि जो देश में गुलामी से जुड़ी हुई यादें हैं, गुलामी की जो पहचान है, उसे खत्म कर नई व्यवस्था को लागू किया जाए. ऐसी व्यवस्था में देश की बहुसंख्यक आबादी खुश रहती है.

मोदी के विरोध में सनातन का विरोध शुरू: पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा कि विपक्ष के विरोध का आलम यह है कि अब सनातन धर्म के साथ-साथ सनातनी पर्व-त्यौहार की छुट्टियों को लेकर भी यह लोग विरोध करने लगे हैं. छुट्टियां रद्द करने लगे हैं. अब इनके पास कोई ऐसा मसला नहीं रह गया है कि आगे यह विरोध कर सके. सुशील मोदी ने यह भी कहा विपक्षी पार्टियों के अपने गठबंधन के नाम इंडिया रख लेने की वजह से यह व्यवस्था नहीं की जा रही है. शुरू से इंडियन नेशनल कांग्रेस है तो वह अपना नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस ही रखें, इससे किसी को आपत्ति नहीं है लेकिन जो गुलामी का प्रतीक है उसे समाप्त करने की जरूरत है और यही किया जा रहा है.

'विशेष सत्र को लेकर अफवाह': बीजेपी नेता ने कहा कि जो 5 दिनों का विशेष सत्र बुलाया गया है, उसको लेकर विपक्षी नेता अफवाह फैला रहे हैं. अभी तक उस एजेंडे को लेकर ना तो कोई पत्र जारी किया गया है ना ही कोई बात की गई है. फिर भी अफवाह फैलाई जा रही है कि वन नेशन वन इलेक्शन, इंडिया का नाम बदलना, ऐसी कोई बात नहीं है. हम शुरू से भारत माता की जय बोलते रहे हैं. इंडिया माता की जय नहीं बोलते हैं. सभी देशों का नाम इंग्लिश हिंदी में एक ही है. चीन से लेकर तमाम देश अंग्रेजी में भी एक नाम रखते हैं और हिंदी में भी एक नाम रखते हैं. ऐसे में भारत नाम से आपत्ति क्यों की जा रही है. भरत के नाम पर भारत का नामकरण हुआ है और यह बेहतर है.

Last Updated : Sep 6, 2023, 7:51 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.