पटना : साल 2020 बिहार में BJP के लिए एतिहासिक साबित हुआ. बिहार विधानसभा चुनाव में जहां पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया. वहीं, पार्टी नेतृत्व ने तीन दशक से पार्टी पर एकाधिकार जमाए नेताओं को एक झटके में किनारे कर दिया. जेपी आंदोलन की उपज रहे नेताओं को बिहार की राजनीति में सीमित कर दिया गया.
कोरोना संकट काल में जिस तरीके से बीजेपी नेता और कार्यकर्ताओं ने आम जनता के बीच जाकर लोगों की मदद की और जरूरतमंदों तक जरूरी सामान पहुंचाएं, उसका इनाम पार्टी को मिला. विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 74 सीटों पर जीत दर्ज की और बिहार की सेकेंड लार्जेस्ट पार्टी बन गई. 2020 विधानसभा चुनाव में पार्टी का मत प्रतिशत भी बढ़ा है.
तीन दशकों के नेताओं को झटका
पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी बिहार बीजेपी के मजबूत स्तंभ माने जाते थे. सहयोगी की भूमिका में नंदकिशोर यादव और प्रेम कुमार रहते थे. तीनों नेता कोर कमेटी के सदस्य भी रहे. चुनाव में सफलता के बावजूद केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश की राजनीति में तीनों नेताओं की भूमिका को सीमित कर दिया. सुशील मोदी को राज्यसभा भेजकर अपने इरादे भी जाहिर कर दिए .जाहिर तौर पर केंद्रीय नेतृत्व बिहार में बीजेपी को नए रूप में लाना चाहती है.
पहली बार विधानसभा स्पीकर पद पर बीजेपी नेता
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे जैसे युवा नेताओं पर पार्टी ने विधानसभा चुनाव के पहले ही जिम्मेदारी देकर संकेत दिए गए थे कि यही तीनों नेता पार्टी की ताकत बनकर उभरेंगे. विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा ने अपना वादा पूरा किया और नीतीश कुमार की ताजपोशी बतौर मुख्यमंत्री हुई. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष पद पर पार्टी ने अपना दावा नहीं छोड़ा और पहली बार भाजपा कोटे से विजय सिन्हा विधानसभा के अध्यक्ष बने. सुशील मोदी की गैरमौजूदगी में पहली बार दो उप मुख्यमंत्री बिहार में बनाया गया. तारा किशोर प्रसाद और रेणु देवी की ताजपोशी बतौर उपमुख्यमंत्री हुई.
लंबे समय में बिहार में बीजेपी छोटे भाई की भूमिका में थी. लेकिन इस बार के चुनाव के नतीजों के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में पार्टी बड़े भाई की भूमिका में है. बिहार में आम तौर पर यह कहा जाता था कि नरेंद्र मोदी का जादू सिर्फ लोकसभा चुनाव में चलता है लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में भी नरेंद्र मोदी का जादू चला. सीएम नीतीश कुमार ने भी चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी को ही नेता माना. संख्या बल अधिक होने के कारण विधानसभा की कमेटियों में भी बीजेपी का दबदबा कायम रहा और बीजेपी कोटे के नेताओं को समितियों में अधिक जगह मिली.
साल 2020 में बीजेपी बनी बिग बी
- वरिष्ठ पत्रकार सरोज सिंह का मानना है कि बीजेपी के लिए यह साल सफलताओं से भरा रहा. पार्टी ने युवा चेहरों पर दांव लगाया, केंद्रीय नेतृत्व बहुत हद तक यूथ ब्रिगेड तैयार करने में कामयाब साबित हुआ.
- राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार विधानसभा चुनाव में जीत का श्रेय नरेंद्र मोदी को देते हैं. संजय कुमार का कहना है कि विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी का जादू चला और जनता ने उनके नाम पर वोट किया.
- भाजपा विधायक नितिन नवीन ने कहा कि संकट काल में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के सामने बड़ी चुनौती थी. लेकिन हमने कोरोना संकट काल में जनता की सेवा की विधानसभा चुनाव में भी हमने अच्छा परफॉर्म किया पार्टी के सीट और जनाधार दोनों बढ़े.