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पटना: BJP के वो चेहरे जिन्हें संघर्ष के बावजूद नहीं मिली पहचान

बीजेपी नेता सुरेंद्र तिवारी 1969 से जनसंघ के लिए काम कर रहे हैं. साथ ही वे बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में भी शामिल हैं. इसके बावजूद उन्हें जो पहचान मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिली.

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Published : Sep 22, 2020, 5:51 PM IST

Updated : Sep 22, 2020, 8:09 PM IST

पटनाः राजनीति में कुछ लोग कम संघर्ष कर सत्ता के शीर्ष पर पहुंच जाते हैं तो वहीं कुछ लंबे संघर्ष के बावजूद सत्ता की सीढ़ियां नहीं चढ़ पाते हैं. बीजेपी में ऐसे नेताओं की फेहरिस्त लंबी है जिन्होंने अपनी मेहनत से पार्टी को सींचा, लेकिन आज वो गुमनामी के अंधेरे में हैं.

'नहीं की पद और प्रतिष्ठा की चिंता'
भारतीय जनता पार्टी विचारों की पार्टी मानी जाती है. विचार की बुनियाद पर ही लोग बीजेपी से जुड़ते हैं. पार्टी में कई ऐसे नेता है जो पिछले 50 सालों से निस्वार्थ भाव से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. पार्टी ने जो भी जिम्मेदारी दी उसे उन्होंने बखूबी निभाया और पद और प्रतिष्ठा की कभी चिंता नहीं की.

देखें रिपोर्ट

संस्थापक सदस्यों में शामिल सुरेंद्र तिवारी
बीजेपी का गठन 1980 में हुआ लेकिन जनसंघ काल से ही लोग इस विचारधारा से जुड़े और आज तक अपने मेहनत से पार्टी को सींच रहे हैं. पार्टी में ऐसे नेताओं की कमी नहीं है जिन्होंने अपना जीवन पार्टी को समर्पित कर दिया. ऐसे ही नेता सुरेंद्र तिवारी हैं जिन्होंने पार्टी से पद और प्रतिष्ठा की उम्मीद नहीं की. सन 1969 से जनसंघ और उसके बाद बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में सुरेंद्र तिवारी गिने जाते हैं.

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बीजेपी नेता सुरेंद्र तिवारी

पार्टी से नहीं रखते कोई उम्मीद
सुरेंद्र तिवारी ने पार्टी के पितामह कहे जाने वाले कैलाशपति मिश्र के साथ भी काम किया. बीजेपी के प्रति ऐसे लोगों का समर्पण एक मिसाल है. हर रोज सुरेंद्र तिवारी सुबह 11 बजे पार्टी दफ्तर पहुंच जाते हैं और शाम के 7 बजे घर लौटते हैं. उन्हें तिवारी बाबा के नाम से जाना जाता है. सुरेंद्र तिवारी ने बताया कि मैं पार्टी से कुछ उम्मीद नहीं करता हूं. उन्होंने कहा कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देती है उसे मैं ईमानदारी से निभाता हूं और भविष्य में भी पार्टी के प्रति वफादार रहूंगा.

दी गई मुख्यालय प्रभारी की जिम्मेदारी
सुरेश रुंगटा 1971 से जनसंघ और बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं. वे कोरोना संकट काल में भी हर रोज पार्टी दफ्तर आते हैं और पूरे बिहार के कार्यकर्ताओं से आम लोगों तक को सहयोग पहुंचाने के लिए संवाद स्थापित करते हैं. फिलहाल वे पार्टी में मुख्यालय प्रभारी की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

पार्टी के लिए समर्पित
बीजेपी नेता सुरेश रुंगटा ने कहा कि पार्टी के लिए हम लोगों ने दरी बिछाने तक का काम किया है. उन्होंने कहा कि आज भी मैं शिद्दत के साथ पार्टी के लिए समर्पित हूं. साथ ही बीजेपी नेता ने कहा कि बदले में पार्टी से आज तक हमने कुछ उम्मीद नहीं की है.

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बीजेपी नेता सुरेश रुंगटा

सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने में सफल
बता दें कि बीजेपी में सुरेश रुंगटा और सुरेंद्र तिवारी के अलावा कई ऐसे नेता हैं जो पार्टी के लिए पूरी तरह समर्पित होने के बावजूद अंधेरे में गुम हो गए. इन नेताओं को जो पहचान मिलनी चाहिए वो कभी नहीं मिली. वहीं, कई ऐसे नेता भी हैं जो कम समय में ही सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने में सफल हो गए.

पटनाः राजनीति में कुछ लोग कम संघर्ष कर सत्ता के शीर्ष पर पहुंच जाते हैं तो वहीं कुछ लंबे संघर्ष के बावजूद सत्ता की सीढ़ियां नहीं चढ़ पाते हैं. बीजेपी में ऐसे नेताओं की फेहरिस्त लंबी है जिन्होंने अपनी मेहनत से पार्टी को सींचा, लेकिन आज वो गुमनामी के अंधेरे में हैं.

'नहीं की पद और प्रतिष्ठा की चिंता'
भारतीय जनता पार्टी विचारों की पार्टी मानी जाती है. विचार की बुनियाद पर ही लोग बीजेपी से जुड़ते हैं. पार्टी में कई ऐसे नेता है जो पिछले 50 सालों से निस्वार्थ भाव से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं. पार्टी ने जो भी जिम्मेदारी दी उसे उन्होंने बखूबी निभाया और पद और प्रतिष्ठा की कभी चिंता नहीं की.

देखें रिपोर्ट

संस्थापक सदस्यों में शामिल सुरेंद्र तिवारी
बीजेपी का गठन 1980 में हुआ लेकिन जनसंघ काल से ही लोग इस विचारधारा से जुड़े और आज तक अपने मेहनत से पार्टी को सींच रहे हैं. पार्टी में ऐसे नेताओं की कमी नहीं है जिन्होंने अपना जीवन पार्टी को समर्पित कर दिया. ऐसे ही नेता सुरेंद्र तिवारी हैं जिन्होंने पार्टी से पद और प्रतिष्ठा की उम्मीद नहीं की. सन 1969 से जनसंघ और उसके बाद बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में सुरेंद्र तिवारी गिने जाते हैं.

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बीजेपी नेता सुरेंद्र तिवारी

पार्टी से नहीं रखते कोई उम्मीद
सुरेंद्र तिवारी ने पार्टी के पितामह कहे जाने वाले कैलाशपति मिश्र के साथ भी काम किया. बीजेपी के प्रति ऐसे लोगों का समर्पण एक मिसाल है. हर रोज सुरेंद्र तिवारी सुबह 11 बजे पार्टी दफ्तर पहुंच जाते हैं और शाम के 7 बजे घर लौटते हैं. उन्हें तिवारी बाबा के नाम से जाना जाता है. सुरेंद्र तिवारी ने बताया कि मैं पार्टी से कुछ उम्मीद नहीं करता हूं. उन्होंने कहा कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देती है उसे मैं ईमानदारी से निभाता हूं और भविष्य में भी पार्टी के प्रति वफादार रहूंगा.

दी गई मुख्यालय प्रभारी की जिम्मेदारी
सुरेश रुंगटा 1971 से जनसंघ और बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं. वे कोरोना संकट काल में भी हर रोज पार्टी दफ्तर आते हैं और पूरे बिहार के कार्यकर्ताओं से आम लोगों तक को सहयोग पहुंचाने के लिए संवाद स्थापित करते हैं. फिलहाल वे पार्टी में मुख्यालय प्रभारी की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.

पार्टी के लिए समर्पित
बीजेपी नेता सुरेश रुंगटा ने कहा कि पार्टी के लिए हम लोगों ने दरी बिछाने तक का काम किया है. उन्होंने कहा कि आज भी मैं शिद्दत के साथ पार्टी के लिए समर्पित हूं. साथ ही बीजेपी नेता ने कहा कि बदले में पार्टी से आज तक हमने कुछ उम्मीद नहीं की है.

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बीजेपी नेता सुरेश रुंगटा

सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने में सफल
बता दें कि बीजेपी में सुरेश रुंगटा और सुरेंद्र तिवारी के अलावा कई ऐसे नेता हैं जो पार्टी के लिए पूरी तरह समर्पित होने के बावजूद अंधेरे में गुम हो गए. इन नेताओं को जो पहचान मिलनी चाहिए वो कभी नहीं मिली. वहीं, कई ऐसे नेता भी हैं जो कम समय में ही सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने में सफल हो गए.

Last Updated : Sep 22, 2020, 8:09 PM IST
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