पटनाः भगवान राम पर मांझी के दिए गए विवादित बयान (Controversial Statement) को लेकर भाजपा और हम पार्टी के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है. पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने भगवान राम (Lord Ram) के अस्तित्व पर सवाल खड़ेकर बड़ा विवाद तो खड़ा किया ही, अब उन्होंने ट्वीट के माध्यम से एक बार फिर बीजेपी नेताओं पर तंज कसा है. जिसके बाद भाजपा नेताओं ने मांझी पर चौतरफा हमला बोल दिया है.
ये भी पढ़ंः 'जीतनराम मांझी को अपने जन्म क्षेत्र के बारे में जानकारी नहीं, श्रीराम का संबंध गया से भी'
जीतन राम मांझी के बयान ने बिहार का सियासी पारा चढ़ा दिया है. मांझी ने भगवान राम को लेकर जो टिप्पणी की उससे भाजपा खेमे में बेचैनी है. जीतन राम मांझी ने भगवान राम पर दिए गए बयान के बाद फिर एक और ट्वीट किया है. ट्वीट में मांझी ने कहा है कि धर्म के ठेकेदारों को यह पसंद नहीं है कि दलित मंदिर में जाए और दलित धार्मिक काव्य पर टिप्पणी करे.
मांझी का जवाब देते हुए भाजपा प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा है कि हिंदू धर्म में दलितों का सम्मान है. भगवान राम ने भी शबरी के जूठे बेर खाए थे. जिन्होंने रामायण की रचना की थी. वह भी दलित थे. लेकिन जीतन राम मांझी को वोट बैंक की राजनीति करनी है लिहाजा वह अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं.
'भगवान राम की सत्ता को खारिज करने वाला अल्प ज्ञानी है. मंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने प्रभु राम के 500 वर्ष के विवाद को समाप्त किया. हमारे संविधान में भी भगवान राम और हनुमान की तस्वीर है. संविधान निर्माताओं ने भी राम की सत्ता को स्वीकारा है और अगर ऐसे में कोई भगवान राम को नकार रहा है तो सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है' प्रमोद कुमार, कानून मंत्री
इससे पहले बीजेपी के विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल ने भी कहा था कि मांझी हमारे गार्जियन हैं. लेकिन जिस तरह का बयान उन्होंने दिया है, वह अच्छी बात नहीं है. उनके माता-पिता ने राम के अस्तित्व को समझकर ही उनके नाम के साथ जीतन राम मांझी लगाया था. जब यह बात मांझी नहीं जानते हैं तो उनका नाम जीतन राक्षस मांझी होना चाहिए था.
ये भी पढ़ेंः भगवान राम पर विवादित बयान: राजद का मांझी को सलाह, NDA से अलग होकर करें ऐसी बात
अपने ट्वीट में मांझी ने धर्म के ठेकेदारों वाली बात कहकर भाजपा के उन नेताओं पर तंज कसा है जिन्होंने भगवान राम और रामायण पर बयानबाजी करने के बाद मांझी पर पलटवार किया था.
-
ये जो हम कह रहें हैं,
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) September 23, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
बस सदियों का दर्द है,
गुस्से का अब-तक हमने इजहार कहां किया…
धर्म के राजनैतिक ठेकेदारों की ज़बान ऐसे मामलों पर चुप हो जाती है।
अब कोई कुछ नहीं बोलेगा,क्योंकि धर्म के ठेकेदारों के पसंद नहीं कि दलित मंदिर में जाए,दलित धर्मिक कव्यों पर टिप्पणी करे। pic.twitter.com/RMiSpQWqZ5
">ये जो हम कह रहें हैं,
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) September 23, 2021
बस सदियों का दर्द है,
गुस्से का अब-तक हमने इजहार कहां किया…
धर्म के राजनैतिक ठेकेदारों की ज़बान ऐसे मामलों पर चुप हो जाती है।
अब कोई कुछ नहीं बोलेगा,क्योंकि धर्म के ठेकेदारों के पसंद नहीं कि दलित मंदिर में जाए,दलित धर्मिक कव्यों पर टिप्पणी करे। pic.twitter.com/RMiSpQWqZ5ये जो हम कह रहें हैं,
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) September 23, 2021
बस सदियों का दर्द है,
गुस्से का अब-तक हमने इजहार कहां किया…
धर्म के राजनैतिक ठेकेदारों की ज़बान ऐसे मामलों पर चुप हो जाती है।
अब कोई कुछ नहीं बोलेगा,क्योंकि धर्म के ठेकेदारों के पसंद नहीं कि दलित मंदिर में जाए,दलित धर्मिक कव्यों पर टिप्पणी करे। pic.twitter.com/RMiSpQWqZ5
बता दें कि जीतन राम मांझी ने प्रभु राम के अस्तित्व को काल्पनिक बताते हुए कहा था कि श्रीराम कोई जीवित और महापुरुष थे, ऐसा मैं नहीं मानता हूं. हालांकि रामायण में जो बातें बताई गईं हैं, वो सीखने लायक हैं. महिलाओं की बात हो या फिर अपने से बड़ों के आदर और सम्मान की बात हो, रामायण हमें शिक्षा देती है. मांझी के इस बयान पर बिहार में बीजेपी और हम अमने सामने आ गए हैं और ये लड़ाई थमती नजर नहीं आ रही है.
ये भी पढ़ेंः बोले मांझी- रामायण में नायक और नायिका बनाकर कही गयी है बात, अपने बयान पर 200% हूं कायम
दरअसल भगवान राम के अस्तित्व पर बयानबाजी मांझी ने उस वक्त की थी, जब बिहार के बीजेपी नेताओं ने मध्य प्रदेश के तर्ज पर बिहार की भी स्कूली शिक्षा में रमायण, महाभारत और गीता को शामिल करने की बात कही थी. लेकिन बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने साफ कर दिया कि अभी बिहार में धर्म की शिक्षा को सिलेबस में शामिल करने का कोई विचार नहीं है और ना ही इसके लिए कोई प्रस्ताव आया है.