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सीट शेयरिंग को लेकर अंतिम दौर में BJP-JDU की बैठक, इन सीटों पर फंसा हुआ है पेंच

जदयू और बीजेपी के बीच सवा दो सौ सीट पर सहमति भी बन चुकी है. लेकिन डेढ़ दर्जन सीट पर पेंच अभी भी फंसा हुआ है. इसको लेकर ही दिल्ली में भाजपा नेताओं की मैराथन बैठक चल रही है.

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Published : Oct 4, 2020, 12:56 PM IST

BJP-JDU की बैठक
BJP-JDU की बैठक

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकतर अंतिम दौर की बातचीत चल रही है. राजग में जिन डेढ़ दर्जन सीटों पर उहापोह की स्थिति बनी हुई थी. उसपर दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेताओं की लगातार बैठक में मंथन हो रही है. बता दें कि शनिवार को भी पटना में बीजेपी और जदयू नेताओं के बीच लगभग पांच घंटे तक बैठक हुई थी. जिसमें विधानसभा के सभी 243 सीटों पर विचार-विमर्श हुई थी.

18 सीटों पर फंसा हुआ है पेंच
बता दें कि जदयू और बीजेपी के बीच सवा दो सौ सीट पर सहमति भी बन चुकी है. लेकिन डेढ़ दर्जन सीट पर पेंच अभी भी फंसा हुआ है. इसको लेकर ही दिल्ली में भाजपा नेताओं की मैराथन बैठक चल रही है. दरअसल, 2010 और 2015 का सीट बंटवारा का असर 2020 में पड़ रहा है. 2015 में जदयू और बीजेपी की राहें अलग होने के बाद दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ी थी. जिस वजह से जदयू के कई पारंपरिक सीट जहां बीजेपी के खाते में चली गई थी. वहीं, भाजपा के भी कई सीट जदयू के खाते में चली गई थी. ऐसे कुल 49 सीट हैं. जिनमें से 27 सीट जदयू ने जीता है और 22 सीट बीजेपी ने. हालांकि, इनमें से कई सीटों पर पेंच सुलझ चुका है. लेकिन अभी भी 18 सीटों पर पेंच फंसा हुआ है.

2015 विधानसभा चुनाव का असर
दरअसल, 2010 में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ एनडीए के बैनर में विधानसभा चुनाव लड़े थे. लेकिन 2015 में नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ कर आरजेडी, कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल हो गए थे. इसलिए बीजेपी के विरोध में कई सीटों पर जदयू ने अपने उम्मीदवार उतारे थे. वहीं, बीजेपी ने भी कई सीटों पर उम्मीदवार जदयू के खिलाफ उतारा था. ऐसे कुल 49 सीट थे जिसपर जदयू और बीजेपीआमने-सामने थी. इन 49 सीटों में से 27 सीट जदयू ने जीता था और 22 सीट बीजेपी ने. ये सभी सीट 2010 तक दोनों दलों के पास था. बीजेपी और जदयू के बीच 49 सीटों के अलावा 7 सीटों का भी पेंच है जो हाल में आरजेडी के विधायक जदयू में आए हैं.

  • 2015 में भाजपा और जदयू सीट जिन पर जीत हासिल की वह इस प्रकार है.

1. 2015 में भाजपा ने जिन सीटों पर जदयू को हराया उसमें बिहार शरीफ, बाढ़, दीघा, भभुआ, गोह, हिसुआ, वारसलीगंज, झाझा, चनपटिया, कल्याणपुर, पिपरा, मधुबन, अमनौर और कटिहार, जाले, कुढ़नी, मुजफ्फरपुर, बैकुंठपुर, सिवान और लखीसराय हैं.

जदजदयू कार्यालय में लगा हुआ पोस्टर
जदयू कार्यालय में लगा हुआ पोस्टर

2. वहीं, जदयू ने 2015 के चुनाव में भाजपा को जिन सीटों पर हराया उसमें महाराजगंज, लौकहा, जीरादेई, नालंदा, एकमा, निर्मली, परबत्ता, अगिआंव, महनार, सुपौल, गोपालपुर, राजपुर, मैरवा, रानीगंज, अमरपुर, दिनारा, सरायरंजन, रुपौली, बेलहर, नबीनगर, मटिहानी, बिहारीगंज, राजगीर, दरौंदा, फुलपरास, बेनीपुर और इस्लामपुर हैं.

कई मंत्री बदलना चाह रहे अपना सीट
बता दें कि लोकहा विधानसभा सीट से जीते लक्ष्मेश्वर राय को जदयू कोटे से आपदा प्रबंधन मंत्री बनाया गया है. इस सीट पर भी मामला फंस रहा है. इसके अलावा मंत्री जय कुमार सिंह जिस सीट से चुनाव 2015 में लड़े थे. उस पर आरएसएस से जुड़े नेता राजेंद्र सिंह की दावेदारी है. इन सब के बीच कुछ मंत्री अपना सीट भी बदलना चाह रहे हैं. जिस वजह से सीटों का पेंच राजग में अभी तक नहीं सुलझ पाया है.

जदयू-बीजेपी के बीच लोजपा का भी मसला
49 सीट के अलावे परसा, गायघाट, पातेपुर, केवटी, सासाराम, तेघड़ा और पालीगंज के राजद विधायक जदयू में आए हैं. इनमें कई सीटों पर बीजेपी की दावेदारी बनती है. गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में जदयू के 101 प्रत्याशियों में से 71 प्रत्याशियों ने चुनाव जीता था. वहीं, बीजेपी ने 150 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था. कई सीटों पर दोनों दलों ने आपसी सहमती से मामला सुलझा लिया है. लेकिन कुछ सीटों पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है. इसके अलावा राजग गठबंधन में लोजपा का मसला भी है. एक ओर जहां लोजपा अपनी मनपसंद सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही है. वहीं, लोजपा के इस अरमान पर नीतीश कुमार पानी फेड़ते नजर आ रहे हैं.

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकतर अंतिम दौर की बातचीत चल रही है. राजग में जिन डेढ़ दर्जन सीटों पर उहापोह की स्थिति बनी हुई थी. उसपर दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेताओं की लगातार बैठक में मंथन हो रही है. बता दें कि शनिवार को भी पटना में बीजेपी और जदयू नेताओं के बीच लगभग पांच घंटे तक बैठक हुई थी. जिसमें विधानसभा के सभी 243 सीटों पर विचार-विमर्श हुई थी.

18 सीटों पर फंसा हुआ है पेंच
बता दें कि जदयू और बीजेपी के बीच सवा दो सौ सीट पर सहमति भी बन चुकी है. लेकिन डेढ़ दर्जन सीट पर पेंच अभी भी फंसा हुआ है. इसको लेकर ही दिल्ली में भाजपा नेताओं की मैराथन बैठक चल रही है. दरअसल, 2010 और 2015 का सीट बंटवारा का असर 2020 में पड़ रहा है. 2015 में जदयू और बीजेपी की राहें अलग होने के बाद दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ी थी. जिस वजह से जदयू के कई पारंपरिक सीट जहां बीजेपी के खाते में चली गई थी. वहीं, भाजपा के भी कई सीट जदयू के खाते में चली गई थी. ऐसे कुल 49 सीट हैं. जिनमें से 27 सीट जदयू ने जीता है और 22 सीट बीजेपी ने. हालांकि, इनमें से कई सीटों पर पेंच सुलझ चुका है. लेकिन अभी भी 18 सीटों पर पेंच फंसा हुआ है.

2015 विधानसभा चुनाव का असर
दरअसल, 2010 में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ एनडीए के बैनर में विधानसभा चुनाव लड़े थे. लेकिन 2015 में नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ कर आरजेडी, कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल हो गए थे. इसलिए बीजेपी के विरोध में कई सीटों पर जदयू ने अपने उम्मीदवार उतारे थे. वहीं, बीजेपी ने भी कई सीटों पर उम्मीदवार जदयू के खिलाफ उतारा था. ऐसे कुल 49 सीट थे जिसपर जदयू और बीजेपीआमने-सामने थी. इन 49 सीटों में से 27 सीट जदयू ने जीता था और 22 सीट बीजेपी ने. ये सभी सीट 2010 तक दोनों दलों के पास था. बीजेपी और जदयू के बीच 49 सीटों के अलावा 7 सीटों का भी पेंच है जो हाल में आरजेडी के विधायक जदयू में आए हैं.

  • 2015 में भाजपा और जदयू सीट जिन पर जीत हासिल की वह इस प्रकार है.

1. 2015 में भाजपा ने जिन सीटों पर जदयू को हराया उसमें बिहार शरीफ, बाढ़, दीघा, भभुआ, गोह, हिसुआ, वारसलीगंज, झाझा, चनपटिया, कल्याणपुर, पिपरा, मधुबन, अमनौर और कटिहार, जाले, कुढ़नी, मुजफ्फरपुर, बैकुंठपुर, सिवान और लखीसराय हैं.

जदजदयू कार्यालय में लगा हुआ पोस्टर
जदयू कार्यालय में लगा हुआ पोस्टर

2. वहीं, जदयू ने 2015 के चुनाव में भाजपा को जिन सीटों पर हराया उसमें महाराजगंज, लौकहा, जीरादेई, नालंदा, एकमा, निर्मली, परबत्ता, अगिआंव, महनार, सुपौल, गोपालपुर, राजपुर, मैरवा, रानीगंज, अमरपुर, दिनारा, सरायरंजन, रुपौली, बेलहर, नबीनगर, मटिहानी, बिहारीगंज, राजगीर, दरौंदा, फुलपरास, बेनीपुर और इस्लामपुर हैं.

कई मंत्री बदलना चाह रहे अपना सीट
बता दें कि लोकहा विधानसभा सीट से जीते लक्ष्मेश्वर राय को जदयू कोटे से आपदा प्रबंधन मंत्री बनाया गया है. इस सीट पर भी मामला फंस रहा है. इसके अलावा मंत्री जय कुमार सिंह जिस सीट से चुनाव 2015 में लड़े थे. उस पर आरएसएस से जुड़े नेता राजेंद्र सिंह की दावेदारी है. इन सब के बीच कुछ मंत्री अपना सीट भी बदलना चाह रहे हैं. जिस वजह से सीटों का पेंच राजग में अभी तक नहीं सुलझ पाया है.

जदयू-बीजेपी के बीच लोजपा का भी मसला
49 सीट के अलावे परसा, गायघाट, पातेपुर, केवटी, सासाराम, तेघड़ा और पालीगंज के राजद विधायक जदयू में आए हैं. इनमें कई सीटों पर बीजेपी की दावेदारी बनती है. गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में जदयू के 101 प्रत्याशियों में से 71 प्रत्याशियों ने चुनाव जीता था. वहीं, बीजेपी ने 150 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था. कई सीटों पर दोनों दलों ने आपसी सहमती से मामला सुलझा लिया है. लेकिन कुछ सीटों पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है. इसके अलावा राजग गठबंधन में लोजपा का मसला भी है. एक ओर जहां लोजपा अपनी मनपसंद सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही है. वहीं, लोजपा के इस अरमान पर नीतीश कुमार पानी फेड़ते नजर आ रहे हैं.

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