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मुकेश सहनी के इस फैसले के खिलाफ उतरे मछुआरा समाज के लोग.. BJP प्रदेश अध्यक्ष का भी मिला साथ

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Published : Mar 27, 2022, 1:27 PM IST

वीआईपी चीफ मुकेश सहनी प्रकरण (VIP Chief Mukesh Sahni Issue) के बाद बीजेपी मुकेश सहनी को मंत्री पद से हटाने के लिए मुहिम शुरू कर दी है. रविवार को प्रदेश के कई जिलों से बड़ी संख्या में मछुआरा समाज के लोग बीजेपी दफ्तर पहुंचे और प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को बताया कि वर्षों से मछुआरा समाज द्वारा संचालित सहयोग समिति को सरकार अपनी मशीनरी से चलाना चाहती है. पढ़ें पूरी खबर.

BJP State President Sanjay Jaiswal
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल

पटना: बिहार में बीजेपी और वीआईपी के बीच तल्खियां लगातार बढ़ रही है. वीआईपी पार्टी के तीनों विधायकों को अपनी पार्टी में मिलने के बाद बीजेपी अब मुकेश सहनी को मंत्री पद से इस्तीफा दिलवाने की मुहिम में जुट गई है. बीजेपी के लोग अब मंत्री मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahani) के मत्स्य और पशुपालन विभाग के कार्यों में गलतियों को ढूंढने में लग गई हैं. कई जिलों से पहुंचे मछुआरा समाज के लोग बीजेपी दफ्तर पहुंचे हैं. उन्होंने संजय जायसवाल से मुलाकात कर बताया कि मझुआरा समाज द्वारा संचालित सहयोग समिति को सरकार अपनी मशीनरी से चलाना चाह रही है. क्योंकि सभी जिलों के कलेक्टर सहयोग समितियों को पदेन अध्यक्ष बनाया गया है.

ये भी पढ़ें-बिहार में VIP अध्यक्ष मुकेश सहनी को बड़ा झटका, तीनों विधायक BJP में हुए शामिल

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से मिले विभिन्न जिलों से आए मछुआरे: रविवार को बीजेपी कार्यालय में बड़ी संख्या में बिहार मत्स्यजीवी सहयोग समिति के विभिन्न जिलों के मछुआरे पहुंचे और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल से मुलाकात की. मधुआरों ने उन्हें जानकारी दी कि वर्षों से मछुआरा समाज द्वारा संचालित सहयोग समिति को सरकार अपनी मशीनरी से चलाना चाहती है और सभी जिलों में इन सहयोग समिति के पदेन अध्यक्ष मुकेश सहनी ने अधिकारियों को बनाया है, जो गलत है.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने मंत्री मुकेश सहनी पर बोला हमला: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा की मत्स्य एवं पशुपालन विभाग ने जो पत्र जारी किया है, उसके अनुसार पहले से चले आ रहे मछुआरा समाज के सहयोग समिति को काफी समस्या होगी. मछुआरा समाज का इसमें भलाई नहीं है. उन्होंने कहा कि मुकेश सहनी मछुआरा समाज के साथ लगातार अन्याय कर रहे है. उन्होंने कहा कि मछुआरा समाज में सिर्फ मल्लाह नहीं है. कई जिलों में मंडल, केवट सहित कई जातियां इस व्यवसाय से जुड़ी है. विभाग ने जो आदेश दिया है वो गलत है. मत्स्यजीवी सहयोग समिति के जो अधिकार है, उसे खत्म नहीं करना चाहिए. मन्त्री को इसपर जवाब देना होगा.

मत्स्यजीवी सहयोग समिति ने फैसले का किया विरोध: मोतिहारी से आये मत्स्यजीवी सहयोग समिति के ललन सहनी ने कहा है कि मछुआरा सहयोग समिति का पहले वार्षिक चुनाव होता था. जिसमे सभी लोग मंत्री पद का चुनाव हर जिले में करते थे, लेकिन विभाग पत्र जारी कर इसमें हस्तक्षेप कर रहा है और इन सहयोग समिति में अधिकारी को पदेन अध्यक्ष बनाने की बात कहा है, जो गलत है. इसका सभी मछुआरा विरोध करता है. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से मत्स्यजीवी सहयोग समिति को बहुत दिक्क्क्त होगी.

क्या है पूरा मामला: मुकेश सहनी और बीजेपी के रिश्तों में खटास की बड़ी वजह यूपी चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी का मुखरता से चुनाव लड़ना है. न केवल उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवार उतारे, बल्कि वहां की योगी सरकार की खुलेआम मुखालफत भी की. सार्वजनिक मंचों से तो उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा. जिस वजह से बीजेपी नेताओं में उनको लेकर जबर्दस्त नाराजगी है. माना जाता है कि बिहार बीजेपी से लेकर केंद्रीय नेतृत्व भी उनसे काफी नाराज हैं. अब उसी का परिणाम सामने आने लगा है.

नहीं मिला विधायकों का साथ: मुकेश सहनी ने बीजेपी के खिलाफ तेवर कड़े कर रखे थे. उन्होंने सरकार में अपनी ताकत का एहसास भी कराने की कोशिश की, लेकिन उनको अपने ही विधायकों का साथ नहीं मिला. साहेबगंज से वीआईपी विधायक राजू सिंह ने कहा कि उनका यूपी जाना सामूहिक निर्णय नहीं था. साथ ही एनडीए की बैठक का बहिष्कार करने के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए कह दिया कि एनडीए विधायकों की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला समझ से परे है. यह उनका निजी फैसला है. इसके बाद धी-धीरे सहनी के तेवर नरम पड़ने लगे, क्योंकि ये साफ हो गया था कि उनके विधायक उनके साथ नहीं हैं. वैसे भी 4 में ज्यादातर विधायक बीजेपी बैकग्राउंड से आते हैं.

बीजेपी और वीआईपी के बीच बयानबाजी जारी: बता दें कि वीआईपी चीफ मुकेश सहनी प्रकरण के बाद से बीजेपी मुकेश सहनी पर हमला बोलने से कोई कसर नहीं छोड़ रही है. वीआईपी के विधायक पहले ही बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं. वहीं मंत्री मुकेश सहनी अभी तक अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि मंत्री पद से इस्तीफा लेना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है.

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पटना: बिहार में बीजेपी और वीआईपी के बीच तल्खियां लगातार बढ़ रही है. वीआईपी पार्टी के तीनों विधायकों को अपनी पार्टी में मिलने के बाद बीजेपी अब मुकेश सहनी को मंत्री पद से इस्तीफा दिलवाने की मुहिम में जुट गई है. बीजेपी के लोग अब मंत्री मुकेश सहनी (VIP Chief Mukesh Sahani) के मत्स्य और पशुपालन विभाग के कार्यों में गलतियों को ढूंढने में लग गई हैं. कई जिलों से पहुंचे मछुआरा समाज के लोग बीजेपी दफ्तर पहुंचे हैं. उन्होंने संजय जायसवाल से मुलाकात कर बताया कि मझुआरा समाज द्वारा संचालित सहयोग समिति को सरकार अपनी मशीनरी से चलाना चाह रही है. क्योंकि सभी जिलों के कलेक्टर सहयोग समितियों को पदेन अध्यक्ष बनाया गया है.

ये भी पढ़ें-बिहार में VIP अध्यक्ष मुकेश सहनी को बड़ा झटका, तीनों विधायक BJP में हुए शामिल

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से मिले विभिन्न जिलों से आए मछुआरे: रविवार को बीजेपी कार्यालय में बड़ी संख्या में बिहार मत्स्यजीवी सहयोग समिति के विभिन्न जिलों के मछुआरे पहुंचे और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल से मुलाकात की. मधुआरों ने उन्हें जानकारी दी कि वर्षों से मछुआरा समाज द्वारा संचालित सहयोग समिति को सरकार अपनी मशीनरी से चलाना चाहती है और सभी जिलों में इन सहयोग समिति के पदेन अध्यक्ष मुकेश सहनी ने अधिकारियों को बनाया है, जो गलत है.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने मंत्री मुकेश सहनी पर बोला हमला: बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा की मत्स्य एवं पशुपालन विभाग ने जो पत्र जारी किया है, उसके अनुसार पहले से चले आ रहे मछुआरा समाज के सहयोग समिति को काफी समस्या होगी. मछुआरा समाज का इसमें भलाई नहीं है. उन्होंने कहा कि मुकेश सहनी मछुआरा समाज के साथ लगातार अन्याय कर रहे है. उन्होंने कहा कि मछुआरा समाज में सिर्फ मल्लाह नहीं है. कई जिलों में मंडल, केवट सहित कई जातियां इस व्यवसाय से जुड़ी है. विभाग ने जो आदेश दिया है वो गलत है. मत्स्यजीवी सहयोग समिति के जो अधिकार है, उसे खत्म नहीं करना चाहिए. मन्त्री को इसपर जवाब देना होगा.

मत्स्यजीवी सहयोग समिति ने फैसले का किया विरोध: मोतिहारी से आये मत्स्यजीवी सहयोग समिति के ललन सहनी ने कहा है कि मछुआरा सहयोग समिति का पहले वार्षिक चुनाव होता था. जिसमे सभी लोग मंत्री पद का चुनाव हर जिले में करते थे, लेकिन विभाग पत्र जारी कर इसमें हस्तक्षेप कर रहा है और इन सहयोग समिति में अधिकारी को पदेन अध्यक्ष बनाने की बात कहा है, जो गलत है. इसका सभी मछुआरा विरोध करता है. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से मत्स्यजीवी सहयोग समिति को बहुत दिक्क्क्त होगी.

क्या है पूरा मामला: मुकेश सहनी और बीजेपी के रिश्तों में खटास की बड़ी वजह यूपी चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी का मुखरता से चुनाव लड़ना है. न केवल उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवार उतारे, बल्कि वहां की योगी सरकार की खुलेआम मुखालफत भी की. सार्वजनिक मंचों से तो उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा. जिस वजह से बीजेपी नेताओं में उनको लेकर जबर्दस्त नाराजगी है. माना जाता है कि बिहार बीजेपी से लेकर केंद्रीय नेतृत्व भी उनसे काफी नाराज हैं. अब उसी का परिणाम सामने आने लगा है.

नहीं मिला विधायकों का साथ: मुकेश सहनी ने बीजेपी के खिलाफ तेवर कड़े कर रखे थे. उन्होंने सरकार में अपनी ताकत का एहसास भी कराने की कोशिश की, लेकिन उनको अपने ही विधायकों का साथ नहीं मिला. साहेबगंज से वीआईपी विधायक राजू सिंह ने कहा कि उनका यूपी जाना सामूहिक निर्णय नहीं था. साथ ही एनडीए की बैठक का बहिष्कार करने के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए कह दिया कि एनडीए विधायकों की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला समझ से परे है. यह उनका निजी फैसला है. इसके बाद धी-धीरे सहनी के तेवर नरम पड़ने लगे, क्योंकि ये साफ हो गया था कि उनके विधायक उनके साथ नहीं हैं. वैसे भी 4 में ज्यादातर विधायक बीजेपी बैकग्राउंड से आते हैं.

बीजेपी और वीआईपी के बीच बयानबाजी जारी: बता दें कि वीआईपी चीफ मुकेश सहनी प्रकरण के बाद से बीजेपी मुकेश सहनी पर हमला बोलने से कोई कसर नहीं छोड़ रही है. वीआईपी के विधायक पहले ही बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं. वहीं मंत्री मुकेश सहनी अभी तक अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि मंत्री पद से इस्तीफा लेना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है.

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