पटना: बिहार में इन दिनों लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) के बयान से बवाल मचा हुआ है. तेज प्रताप यादव ने जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) पर मनमानी का आरोप लगाया था. जब उनका दिया गया बयान मीडिया में सुर्खियों में आया तो तेज प्रताप यादव धमकी देने पर उतर आए.
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तेज प्रताप यादव के बयान से नाराज प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पार्टी कार्यालय नहीं आ रहे हैं. जगदा बाबू को मनाने की कोशिश की जा रही हैं. तेज प्रताप यादव ने भी सफाई देते हुए कहा कि मैंने उनके बारे में कुछ नहीं कहा है.
इस पर बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल (Prem Ranjan Patel) ने कहा कि ''तेज प्रताप यादव मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गए हैं. पार्टी के अंदर सबको धमकाते रहते हैं. प्रदेश अध्यक्ष जगदा बाबू हैं और लालू जी साथ काम किए हुए हैं. उनको बख्श नहीं रहे हैं, उनके खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं. इतना ही नहीं वो मीडिया पर भी बरसते हैं. मीडिया के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हैं. उनकी दिमागी हालत पूरी तरह से ठीक नहीं है. मैं पार्टी के नेताओं को नसीहत देना चाहता हूं कि तेज प्रताप को आप ले जाइए उनकी दिमागी हालत को ठीक कीजिए.''
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दरअसल, तेज प्रताप यादव ने छात्र राजद (Student RJD) की बैठक में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि जगदानंद सिंह हिटलर शाही चला रहे हैं और पार्टी में मनमानी कर रहे हैं. तेज प्रताप यादव यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि वो कुर्सी को अपनी बपौती समझ रहे हैं. कुर्सी किसी की नहीं होती है, कब किसकी कुर्सी चली जाए कोई ठिकाना नहीं होता है. हम स्वास्थ्य मंत्री थे, हमारी भी कुर्सी गयी थी.
इतना ही नहीं उन्होंने मंगलवार देर शाम फेसबुक लाइव आकर तेज प्रताप यादव ने कुछ मीडिया कर्मियों के खिलाफ केस करने की धमकी भी दी थी. उन्होंने कहा कि बिहार की मीडिया केन्द्र सरकार के हाथों बिक चुकी है.
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बता दें कि तेज प्रताप यादव गाहे-बगाहे जगदानंद सिंह पर तंज कसते रहते हैं. कुछ दिन पहले हुए राजद के रजत जयंती समारोह में भी उन्होंने प्रदेश नेतृत्व पर तंज कसा और जमकर अपनी भड़ास निकाली थी. तेजप्रताप ने कहा था कि लगता है कि जगदानंद अंकल हम पर गुस्साये हुए हैं. इसलिए मेरी बातों पर हाथ उठाकर समर्थन नहीं करते हैं. जो जिम्मेदारी मिली है, उसे पूरा करना चाहिए. पार्टी में कुछ लोग हैं, जो दल को आगे बढ़ने देना नहीं चाहते. हम सच्चाई बोलते हैं लेकिन कुछ लोग सच्चाई सुनना नहीं चाहते.