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BJP में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर महामंथन, जातिगत समीकरण बैठाने की पुरजोर कोशिश

बता दें कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर बीजेपी का कोई नेता स्पष्ट तौर पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. नेता लगातार यही कह रहे हैं कि केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश इकाई अभी मंथन कर रहा है.

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Published : Aug 1, 2019, 8:07 PM IST

पटना: बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से पार्टी राजनीति की दिशा और दशा तय होगी. केंद्रीय नेतृत्व में इस बात को लेकर मंथन का दौरा जारी है. पार्टी लगातार यह भी चिंतन कर रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव गठबंधन के साथ लड़ा जाए. इस क्रम में बीजेपी नेता लगातार यह दावा कर रहे हैं कि विधानसभा चुनाव वो जदयू के साथ लड़ेंगे.

बीजेपी पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले बिहार विधानसभा चुनाव को फतह करना चाहेगी. इसके लिए लगातार मंथन का दौर जारी है. बिहार में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से भी यह साफ हो जाएगा कि पार्टी कि विधानसभा चुनाव में रणनीति क्या होगी.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

क्या-क्या हैं आसार?
बीजेपी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जाति कार्ड खेल सकती है. जिसके आधार पर वह वोट बैंक को साधेगी. मालूम हो कि यदि बीजेपी कोइरी और कुर्मी जाति के किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है तो यह माना जाएगा कि नीतीश कुमार के साथ पार्टी चुनाव लड़ने से परहेज कर सकती है. वहीं, अगर अत्यंत पिछड़ा कार्ड भी अगर भाजपा खेलती है तो संकेत साफ होगा कि पार्टी नीतीश कुमार से दूरी बना सकती है. ऐसे में बीजेपी की नजदीकियां राजद के साथ बढ़ने के आसार हैं.

कुछ भी बोलने से बच रहे BJP खेमे के लोग
बता दें कि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर बीजेपी का कोई नेता स्पष्ट तौर पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. पार्टी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश इकाई अभी मंथन कर रहा है. वहीं, पार्टी के उपाध्यक्ष देवेश कुमार सिंह ने कहा है कि अभी लोकसभा का सत्र चल रहा है. पार्टी ने पहले ही कहा है कि लोकसभा सत्र के बाद पार्टी इस पर अंतिम फैसला ले लेगी.

पटना: बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से पार्टी राजनीति की दिशा और दशा तय होगी. केंद्रीय नेतृत्व में इस बात को लेकर मंथन का दौरा जारी है. पार्टी लगातार यह भी चिंतन कर रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव गठबंधन के साथ लड़ा जाए. इस क्रम में बीजेपी नेता लगातार यह दावा कर रहे हैं कि विधानसभा चुनाव वो जदयू के साथ लड़ेंगे.

बीजेपी पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले बिहार विधानसभा चुनाव को फतह करना चाहेगी. इसके लिए लगातार मंथन का दौर जारी है. बिहार में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से भी यह साफ हो जाएगा कि पार्टी कि विधानसभा चुनाव में रणनीति क्या होगी.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

क्या-क्या हैं आसार?
बीजेपी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जाति कार्ड खेल सकती है. जिसके आधार पर वह वोट बैंक को साधेगी. मालूम हो कि यदि बीजेपी कोइरी और कुर्मी जाति के किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है तो यह माना जाएगा कि नीतीश कुमार के साथ पार्टी चुनाव लड़ने से परहेज कर सकती है. वहीं, अगर अत्यंत पिछड़ा कार्ड भी अगर भाजपा खेलती है तो संकेत साफ होगा कि पार्टी नीतीश कुमार से दूरी बना सकती है. ऐसे में बीजेपी की नजदीकियां राजद के साथ बढ़ने के आसार हैं.

कुछ भी बोलने से बच रहे BJP खेमे के लोग
बता दें कि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर बीजेपी का कोई नेता स्पष्ट तौर पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है. पार्टी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश इकाई अभी मंथन कर रहा है. वहीं, पार्टी के उपाध्यक्ष देवेश कुमार सिंह ने कहा है कि अभी लोकसभा का सत्र चल रहा है. पार्टी ने पहले ही कहा है कि लोकसभा सत्र के बाद पार्टी इस पर अंतिम फैसला ले लेगी.

Intro:बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से पार्टी या गांव में राजनीति की दिशा और दशा तय होगी केंद्रीय नेतृत्व इस बात को लेकर मंथन कर रही हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव इस गठबंधन के साथ लड़ा चला कि भाजपा नेता लगातार यह दावा कर रहे हैं कि विधानसभा चुनाव में जदयू के साथ लड़ेंगे


Body:भारतीय जनता पार्टी के टारगेट पर आगामी बिहार विधानसभा चुनाव पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले भाजपा बिहार विधानसभा चुनाव को फतह करना चाहेगी इसके लिए लगातार मंथन का दौर जारी है बिहार में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से भी यह साफ हो जाएगा कि पार्टी कि विधानसभा चुनाव में रणनीति क्या होगी ।
बिहार भाजपा विधानसभा चुनाव के पहले कास्ट कार्ड भी खेलना चाहेगी कास्ट कार्ड के जरिए वोट बैंक साधने की रणनीति भी तय होगी अगर भाजपा कोई रिया कुर्मी जाति से किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है तो यह माना जाएगा कि नीतीश कुमार के साथ पार्टी चुनाव लड़ने से परहेज कर सकती है अत्यंत पिछड़ा कार्ड भी अगर भाजपा खेलती है तो संकेत साफ होगा कि पार्टी नीतीश कुमार से दूरी बना सकती है और वैसे ही स्थिति में भाजपा की नज़दीकियां राजद से बढ़ सकती


Conclusion:यादव जाति के उम्मीदवार पर अगर भाजपा आग लगाती है तो संकेत साफ तौर पर जाएगा कि भाजपा के लिए भी चुनाव लड़ने से परहेज नहीं करेगी 2015 लोकसभा चुनाव भाजपा अकेले लड़की याद आती को अप्रत्याशित सफलता हासिल हुई थी आपको बता दें कि भाजपा जदयू और राजद तीनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ी थी अगर समीकरण ऐसे होते हैं तो पार्टी के लिए फायदा होगा ।
प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर भाजपा का कोई नेता स्पष्ट तौर पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है पार्टी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश इकाई अभी मंथन कर रहा है और सिगरेट पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा ।
पार्टी के उपाध्यक्ष देवेश कुमार सिंह ने कहा है कि अभी लोकसभा का सत्र चल रहा है और पार्टी ने भी जारी किया हुआ है लोकसभा सत्र के बाद पार्टी इस पर अंतिम फैसला ले लेगी चला कि यह मसला केंद्रीय नेतृत्व का है
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