पटना: भाजपा और जदयू के बीच बिहार में गठबंधन है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेतृत्व में सरकार भी चल रही है, लेकिन 2020 में होने वाले चुनाव को लेकर दोनों दलों की अलग-अलग राय है. भाजपा एनआरसी के मुद्दों को लेकर 2020 के चुनाव में जाना चाहती है जिसका नीतीश कुमार विरोध करते है. जाहिर तौर पर मेनिफेस्टो को लेकर दोनों दलों के बीच तकरार के आसार हैं.
नीतीश कुमार लगभग 27 साल से भाजपा के साथ हैं. बीच के डेढ़ दो साल अगर छोड़ दें, तो नीतीश कुमार भाजपा के समर्थन से ही मुख्यमंत्री बने हैं. इस बार 2020 में भी नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं. हालांकि उनके लिये मिशन 2020 आसान नहीं है, क्योंकि भाजपा को यह लग रहा है कि देश के अंदर जिस तरीके का नरेंद्र मोदी को लेकर माहौल है, वैसी स्थिति में पार्टी को अकेले भी बहुमत मिल सकती है. लिहाजा भाजपा धारा 370, तीन तलाक और एनआरसी के मुद्दे पर बिहार विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाना चाहती है.
अकेले चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है JDU
नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का अपना अलग एजेंडा है. सात निश्चय और महिला सशक्तिकरण के मंत्र को लेकर जेडीयू चुनावी वैतरणी पार करना चाहता है. भाजपा और जदयू के बीच चुनावी मुद्दों को लेकर जिस तरीके का विरोध है उससे साफ लगता है कि कॉमन मिनिमम प्रोग्राम धरातल पर नहीं उतर पाएगा.
NRC, तीन तलाक और 370 के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी BJP
वहीं, पूरे मामले पर भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का कहना है कि हम बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के विकास कार्य के अलावा धारा 370, तीन तलाक और एनआरसी के मुद्दे पर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, और हमें उम्मीद है कि बिहार की जनता का समर्थन प्राप्त होगा.
समय आने पर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर होगी चर्चा
इधर, जदयू हर कीमत पर 2020 में भी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाना चाहेगा. इसके लिए पार्टी नीतीश कुमार के सात निश्चय महिला सशक्तिकरण और हर-घर बिजली पहुंचाने को चुनावी मुद्दा बनाएगी. कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को लेकर जदयू का कहना है कि जब समय आएगा तो इस पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन दल के नेता बैठकर विचार करेंगे.
जदयू का वही स्टैंड होगा जो भाजपा का होगा-RJD
वहीं, मुख्य विपक्षी दल राजद का कहना है कि लोकसभा चुनाव में सभी पार्टी ने अपना घोषणा पत्र जारी किया था लेकिन जदयू ने नहीं किया. बीजेपी की ओर से जारी किये गये घोषणा पत्र के आधार पर ही जदयू ने चुनाव लड़ा था. अब आगामी विस चुनाव को लेकर दोनों पार्टी अपने अलग-अलग एजेंडे बता रहे हैं. लेकिन जदयू कभी भाजपा के स्टैंड के खिलाफ नहीं जाएगी. जदयू का वही स्टैंड होगा जो भाजपा को होगा.