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अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस आज, जानिए बिहार के वेटलैंड्स का महत्व

आज अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस है. यह हर साल 22 मई को दुनियाभर में एक साथ मनाया जाता है. इस साल We are part of the solution' यानी समाधान का हम हिस्सा हैं इसका थीम है. वेटलैंड्स का पर्यावरण के लिए खासा महत्व है. इन्हें बचाने के लिए बिहार में क्या कदम उठाए जा रहे हैं आगे पढ़ें...

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Published : May 22, 2021, 4:00 PM IST

Updated : May 22, 2021, 7:17 PM IST

International Day for Biological Diversity 2021
International Day for Biological Diversity 2021

पटना: कोविड-19 ने लोगों को प्रकृति के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों को याद करने का मौका दिया है और ऐसे वक्त में वेटलैंड्स जैव विविधता का सबसे बेहतरीन उदाहरण पेश करते हैं. बिहार के कई वेटलैंड्स बगैर उचित देखभाल और अतिक्रमण के कारण विलुप्ति के कगार पर थे. लेकिन अब इन्हें प्रदूषण मुक्त किया जा रहा है.

International Day for Biological Diversity 2021
राजधानी में देशी और विदेशी पक्षियों का जमावड़ा

यह भी पढ़ें- CM नीतीश के गांव से ग्राउंड रिपोर्ट: कल्याण बिगहा अस्पताल से मरीजों का होता है 'रेफर'

वेटलैंड्स का महत्व
जंगल को धरती का फेफड़ा कहा जाता है क्योंकि यही जंगल वातावरण में फैले कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण कर ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं. इस आधार पर कहें तो वेटलैंड्स धरती के लिए किडनी का काम करते हैं. इनका एक काम होता है गंदे पानी को स्वच्छ पानी में तब्दील करना. ये वेटलैंड्स किसी संकटमोचक से कम नहीं और यही वजह है कि इन्हें बायोलॉजिकल सुपरमार्केट भी कहा जाता है.

जैव-विविधता दिवस आज

मानव जीवन के लिए बेहद जरूरी हैं वेटलैंड्स
ये वेटलैंड्स वर्षा ऋतु में भूजल रिचार्ज करते हैं और सूखे के दौरान प्रकृति में जलस्तर का संतुलन बनाए रखते हैं।. कुछ साल पहले जब गर्मी के मौसम में उत्तर बिहार में पीने के पानी की समस्या हुई तो सरकार के कान खड़े हो गए, इसकी बड़ी वजह यह थी कि बिहार के वेटलैंड्स के 90% से ज्यादा उत्तर बिहार में पाए जाते हैं और इन वेटलैंड्स की खराब हालत के कारण ही बिहार के इस उत्तरी हिस्से में गर्मी के मौसम में पानी की समस्या शुरू हो गई. इसके बाद सरकार ने जल जीवन हरियाली योजना के तहत सभी जलाशयों और वेटलैंड्स को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य निर्धारित किया.

एक्सपर्टस की राय
इस बारे में पर्यावरण विभाग के जलवायु परिवर्तन और वेटलैंड्स से जुड़े लोगों ने बताया कि जल जीवन हरियाली अभियान के तहत राज्य के सभी जलाशयों और 133 वेटलैंड्स का समुचित प्रबंधन और संरक्षण का काम शुरू हो चुका है. इन सभी वेटलैंड्स को प्रदूषण मुक्त किया जा रहा है. सबसे पहले 100 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल वाले 133 वेटलैंड्स में से 28 वेटलैंड्स को प्राथमिकता के आधार पर बेहतर बनाया जा रहा है.

International Day for Biological Diversity 2021
वेटलैंड्स का धरती के लिए है खासा महत्व
बिहार के कुछ प्रमुख वेटलैंड्स
  • कावर झील, बेगूसराय
  • बरैला, वैशाली
  • कुशेश्वरस्थान, दरभंगा
  • सरिया मान सिसवा, पश्चिमी चंपारण
  • मांगुराहा, पूर्वी चंपारण
  • देवल चौर, समस्तीपुर
  • कंसर चौर, दरभंगा
  • गोगाबिल, कटिहार
  • नागी जलाशय, जमुई

    रामसर साइट में शामिल कांवर झील की खासियत
    बिहार की कावर झील(बेगूसराय) को पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी झील होने का श्रेय प्राप्त है. इस झील को अंतर्राष्ट्रीय रामसर साइट्स में शामिल किया गया है. रामसर साइट में शामिल होने वाला बिहार का कावर झील देश का 39 वां ऐसा झील है. वर्ष 1972 में तेहरान के रामसर में एक अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन हुआ था जिसमें पहली बार वेटलैंड्स के महत्व पर गंभीर चर्चा हुई थी. इस कन्वेंशन में यह निर्णय लिया गया था कि वेटलैंड्स को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी जाए और उसकी सूची जारी की जाए.

    वेटलैंड्स हैं बायोलॉजिकल सुपरमार्केट
    वेटलैंड जमीन के उस भाग को कहते हैं जो पूरे साल जल में डूबा रहता है. यह प्राकृतिक हो सकता है या कृत्रिम भी हो सकता है. वेटलैंड जलीय जीवों के लिए भोजन और आवास का बड़ा साधन होता है. इसे 'बायोलॉजिकल सुपरमार्केट' भी कहा जाता है क्योंकि यह प्रकृति का सबसे बड़ा फूड चैनल बनाता है. इस फूड चैनल के जरिए पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में जीवों को खाद्य पदार्थ उपलब्ध होता है. मछली, घोंघा, असंख्य सूक्ष्म कीट, छोटे बड़े पौधे और इसके आसपास मंडराते असंख्य पक्षी वेटलैंड्स का महत्व बयां कर देते हैं.

यह भी पढ़ें- सेनारी नरसंहार पर HC के फैसले को SC में दी जा सकती है चुनौती, त्रुटियों को बनाया जायेगा आधार

पटना का राजधानी जलाशय
पटना का राजधानी जलाशय भी एक ऐसा ही महत्वपूर्ण वेटलैंड है जिसे पिछले कुछ समय से सरकार ने संरक्षित कर किया है और इसका बड़ा असर भी देखने को मिल रहा है. यहां बड़ी संख्या में देशी और विदेशी पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता है.

वेटलैंड्स को बचाने के लिए करना होगा ये काम

  • लोगों को जागरुक करना
  • अतिक्रमण मुक्त करना
  • प्रदूषण फैलने से रोकना
  • इनलेट को ठीक करना
  • आउटलेट को ठीक करना

यह भी पढ़ें- लोक गायिका नेहा राठौड़ के दावे पर ग्रामीणों ने कहा- नहीं हुई किसी की कोरोना से मौत

बिहार के वेटलैंड्स को बचाने की मुहिम
बिहार में वेटलैंड अथॉरिटी का गठन फरवरी 2020 में हुआ. इसकी पहली महत्वपूर्ण बैठक 28 अगस्त को हुई. इस अथॉरिटी में वन पर्यावरण मंत्री के अलावा कई विभागों के प्रधान सचिव और पर्यावरण विभाग के मेंबर सेक्रेट्री भी शामिल होते हैं. बिहार के 4416 बड़े वेटलैंड्स में से 100 हेक्टेयर से ज्यादा बड़े वेटलैंड्स 133 हैं, जिनमें से पहले फेज में 28 वेटलैंड्स पर सरकार काम कर रही है. इन्हें लेकर वेटलैंड्स अथॉरिटी ने भू राजस्व विभाग को निर्देश जारी किया है कि इन्हें अपने रिकॉर्ड में वेस्टलैंड की जगह वेटलैंड्स का दर्जा मिले ताकि लोग इसके महत्व को समझ सकें.

यह भी पढ़ें- बिहार में मिले ब्लैक फंगस के 39 नए मामले, मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 174

पटना: कोविड-19 ने लोगों को प्रकृति के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों को याद करने का मौका दिया है और ऐसे वक्त में वेटलैंड्स जैव विविधता का सबसे बेहतरीन उदाहरण पेश करते हैं. बिहार के कई वेटलैंड्स बगैर उचित देखभाल और अतिक्रमण के कारण विलुप्ति के कगार पर थे. लेकिन अब इन्हें प्रदूषण मुक्त किया जा रहा है.

International Day for Biological Diversity 2021
राजधानी में देशी और विदेशी पक्षियों का जमावड़ा

यह भी पढ़ें- CM नीतीश के गांव से ग्राउंड रिपोर्ट: कल्याण बिगहा अस्पताल से मरीजों का होता है 'रेफर'

वेटलैंड्स का महत्व
जंगल को धरती का फेफड़ा कहा जाता है क्योंकि यही जंगल वातावरण में फैले कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण कर ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं. इस आधार पर कहें तो वेटलैंड्स धरती के लिए किडनी का काम करते हैं. इनका एक काम होता है गंदे पानी को स्वच्छ पानी में तब्दील करना. ये वेटलैंड्स किसी संकटमोचक से कम नहीं और यही वजह है कि इन्हें बायोलॉजिकल सुपरमार्केट भी कहा जाता है.

जैव-विविधता दिवस आज

मानव जीवन के लिए बेहद जरूरी हैं वेटलैंड्स
ये वेटलैंड्स वर्षा ऋतु में भूजल रिचार्ज करते हैं और सूखे के दौरान प्रकृति में जलस्तर का संतुलन बनाए रखते हैं।. कुछ साल पहले जब गर्मी के मौसम में उत्तर बिहार में पीने के पानी की समस्या हुई तो सरकार के कान खड़े हो गए, इसकी बड़ी वजह यह थी कि बिहार के वेटलैंड्स के 90% से ज्यादा उत्तर बिहार में पाए जाते हैं और इन वेटलैंड्स की खराब हालत के कारण ही बिहार के इस उत्तरी हिस्से में गर्मी के मौसम में पानी की समस्या शुरू हो गई. इसके बाद सरकार ने जल जीवन हरियाली योजना के तहत सभी जलाशयों और वेटलैंड्स को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य निर्धारित किया.

एक्सपर्टस की राय
इस बारे में पर्यावरण विभाग के जलवायु परिवर्तन और वेटलैंड्स से जुड़े लोगों ने बताया कि जल जीवन हरियाली अभियान के तहत राज्य के सभी जलाशयों और 133 वेटलैंड्स का समुचित प्रबंधन और संरक्षण का काम शुरू हो चुका है. इन सभी वेटलैंड्स को प्रदूषण मुक्त किया जा रहा है. सबसे पहले 100 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल वाले 133 वेटलैंड्स में से 28 वेटलैंड्स को प्राथमिकता के आधार पर बेहतर बनाया जा रहा है.

International Day for Biological Diversity 2021
वेटलैंड्स का धरती के लिए है खासा महत्व
बिहार के कुछ प्रमुख वेटलैंड्स
  • कावर झील, बेगूसराय
  • बरैला, वैशाली
  • कुशेश्वरस्थान, दरभंगा
  • सरिया मान सिसवा, पश्चिमी चंपारण
  • मांगुराहा, पूर्वी चंपारण
  • देवल चौर, समस्तीपुर
  • कंसर चौर, दरभंगा
  • गोगाबिल, कटिहार
  • नागी जलाशय, जमुई

    रामसर साइट में शामिल कांवर झील की खासियत
    बिहार की कावर झील(बेगूसराय) को पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी झील होने का श्रेय प्राप्त है. इस झील को अंतर्राष्ट्रीय रामसर साइट्स में शामिल किया गया है. रामसर साइट में शामिल होने वाला बिहार का कावर झील देश का 39 वां ऐसा झील है. वर्ष 1972 में तेहरान के रामसर में एक अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन हुआ था जिसमें पहली बार वेटलैंड्स के महत्व पर गंभीर चर्चा हुई थी. इस कन्वेंशन में यह निर्णय लिया गया था कि वेटलैंड्स को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी जाए और उसकी सूची जारी की जाए.

    वेटलैंड्स हैं बायोलॉजिकल सुपरमार्केट
    वेटलैंड जमीन के उस भाग को कहते हैं जो पूरे साल जल में डूबा रहता है. यह प्राकृतिक हो सकता है या कृत्रिम भी हो सकता है. वेटलैंड जलीय जीवों के लिए भोजन और आवास का बड़ा साधन होता है. इसे 'बायोलॉजिकल सुपरमार्केट' भी कहा जाता है क्योंकि यह प्रकृति का सबसे बड़ा फूड चैनल बनाता है. इस फूड चैनल के जरिए पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में जीवों को खाद्य पदार्थ उपलब्ध होता है. मछली, घोंघा, असंख्य सूक्ष्म कीट, छोटे बड़े पौधे और इसके आसपास मंडराते असंख्य पक्षी वेटलैंड्स का महत्व बयां कर देते हैं.

यह भी पढ़ें- सेनारी नरसंहार पर HC के फैसले को SC में दी जा सकती है चुनौती, त्रुटियों को बनाया जायेगा आधार

पटना का राजधानी जलाशय
पटना का राजधानी जलाशय भी एक ऐसा ही महत्वपूर्ण वेटलैंड है जिसे पिछले कुछ समय से सरकार ने संरक्षित कर किया है और इसका बड़ा असर भी देखने को मिल रहा है. यहां बड़ी संख्या में देशी और विदेशी पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता है.

वेटलैंड्स को बचाने के लिए करना होगा ये काम

  • लोगों को जागरुक करना
  • अतिक्रमण मुक्त करना
  • प्रदूषण फैलने से रोकना
  • इनलेट को ठीक करना
  • आउटलेट को ठीक करना

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बिहार के वेटलैंड्स को बचाने की मुहिम
बिहार में वेटलैंड अथॉरिटी का गठन फरवरी 2020 में हुआ. इसकी पहली महत्वपूर्ण बैठक 28 अगस्त को हुई. इस अथॉरिटी में वन पर्यावरण मंत्री के अलावा कई विभागों के प्रधान सचिव और पर्यावरण विभाग के मेंबर सेक्रेट्री भी शामिल होते हैं. बिहार के 4416 बड़े वेटलैंड्स में से 100 हेक्टेयर से ज्यादा बड़े वेटलैंड्स 133 हैं, जिनमें से पहले फेज में 28 वेटलैंड्स पर सरकार काम कर रही है. इन्हें लेकर वेटलैंड्स अथॉरिटी ने भू राजस्व विभाग को निर्देश जारी किया है कि इन्हें अपने रिकॉर्ड में वेस्टलैंड की जगह वेटलैंड्स का दर्जा मिले ताकि लोग इसके महत्व को समझ सकें.

यह भी पढ़ें- बिहार में मिले ब्लैक फंगस के 39 नए मामले, मरीजों का आंकड़ा पहुंचा 174

Last Updated : May 22, 2021, 7:17 PM IST
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