पटनाः बिहार के मणिपुर में हिंसा की आग (Violence In Manipur) का असर बिहार में भी देखने को मिल रहा है. मणिपुर में पढ़ाई कर रहे बिहार के छात्र-छात्राओं के साथ अन्य लोग डर के साए में जी रहे हैं. बिहार में परिजनों को डर सताने लगा है. बिहार सरकार ने छात्रों को वापस लाने का विचार किया है. इसी के तहत आज मणिपुर में फंसे 142 बिहारी छात्रों को लेकर विशेष विमान पटना पहुंचा है. विमान में झारखंड के भी 22 स्टूडेंट्स शामिल हैं.
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छात्रों ने लगाई थी गुहारः बिहार के पटना, नालंदा, सारण, गोपालगंज, मधुबनी, समस्तीपुर, भागलपुर समेत कई जिलों के छात्र मणिपुर में रह रहे हैं, जो बिहार लौटना चाह रहे हैं. उन्होंने बिहार सरकार से गुहार लगाई थी कि यहां हिंसा भयानक रूप ले लिया है. बाहर निकलने में डर लगता है. यहां से घर ले जाया जाए. छात्रों ने कहा कि जिस हॉस्टल में वे लोग रह रहे हैं, उसके आसपास बमबारी और गोलीबारी हो रही है. यहां खाने पीने में काफी समस्या हो रही है. सिर्फ दो वक्त ही खाना दिया जा रहा है. यहां पर कोई सुरक्षा नहीं है. इसी सब को देखते हुए बिहार सरकार ने छात्रों का वापस लाने का विचार किया है. मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि सभी छात्रों को वापस लाया जाएगा.
"मणिपुर में बिहार के 150 छात्र सेना की सुरक्षा में हैं. एग्रीकल्चर कॉलेज, एनआईटी और ट्रिपल आईटी के छात्र शामिल हैं. छात्रों का मोबाइल नंबर, आधार नंबर बिहार सरकार के पास है. मणिपुर के मुख्य सचिव से बात हुई है. दिल्ली के स्थानिक आयुक्त, मणिपुर के दूसरे अफसरों से बात की है. सभी छात्रों को वापस लाया जाएगा." -आमिर सुबहानी, मुख्य सचिव, बिहार
जानिए क्या है मामलाः बता दें कि मणिपुर में आरक्षण को लेकर हिंसा की आग भड़की हुई है. अब तक 54 लोगों की मौत हो चुकी है. मणिपुर में 38 लाख आबादी है, जिसमें यहां मैतेई, की नगा और कुकी जनजाति हैं. इसमें मैतेई यहां के बहुल हैं. राज्य में नगा और कुकी जनजाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला हुआ है, इससे इन्हें आरक्षण मिलता है. इसी आरक्षण की मांग मैतेई लोग भी कर रहे हैं. इसको लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को विचार करने का आदेश दिया था. नगा और कुकी जनजाति मैतेई को आरक्षण देने का विरोध कर रहे हैं. इसी कारण राज्य में हिंसा भड़की है.
आरक्षण का विरोधः नगा और कुकी जनजाति का कहना है कि मैतेई यहां के संपन्न लोग हैं. मैतेई को आरक्षण मिल जाएगा तो हमलोगों की समस्या बढ़ जाएगी. जिस कारण सरकारी योजनाओं में हमलोग पिछड़ जाएंगे. बता दें कि मणिपुर के 10 प्रतिशत क्षेत्र मैतेई बहुल है. यहां की सरकार में भी मैतेई के ज्यादा लोग हैं. यहां तक की सबसे ज्यादा सीएम इसी जाति से बने हैं. इसी कारण विरोध हो रहा है.