पटना: युवाओं की सोच को समझने की जरूरत है. माता-पिता अपने बच्चों से बातचीत करते रहें. उनके साथ अपने संबंधों को अच्छा बनाए रखे ताकि युवा वर्ग के भटकाव को रोका जा सके. बिहार के विभिन्न जिलों में हुई हिंसा के बाद कई सवाल सामने आए हैं. सबसे बड़ी बात ये कि हिंसा में शामिल लोगों में युवाओं की तादाद अधिक है. आखिर युवाओं को क्या हो गया है और असमाजिक तत्व कैसे इनका ब्रेन वॉश कर रहे हैं जानने के लिए पूरी खबर विस्तार से पढ़ें.
बिहार हिंसा में शामिल लोगों में युवा अधिक: बिहार में रामनवमी के बाद सासाराम और नालंदा के इलाकों में दंगा की घटना सामने आई. इन घटनाओं पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने जब गिरफ्तारियां शुरू की तो गिरफ्तार अभियुक्तों में सर्वाधिक संख्या 65% से अधिक युवाओं की रही जो 18 वर्ष से 32 वर्ष की आयु के बीच के निकले. इसके अलावा कुछ 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे भी गिरफ्तार हुए हैं जो पत्थर फेंक रहे थे और हिंसा करने की कोशिश कर रहे थे. असामाजिक गतिविधियों में जिस प्रकार युवाओं की भागीदारी बढ़ रही है. इस पर छात्र नेता और मनोचिकित्सकों का कहना है कि युवाओं में बेरोजगारी और नैतिक शिक्षा की कमी असामाजिक गतिविधियों में सम्मिलित होने का प्रमुख वजह है.
युवाओं के भटकने के ये हैं कारण: छात्र नेता दिलीप कुमार ने कहा कि सासाराम और नालंदा की घटना में जो गिरफ्तारियां हुई हैं, उसमें युवा वर्ग अधिक हैं और कुछ नाबालिग भी हैं. इस प्रकार की हिंसक घटनाओं में युवा वर्ग अधिक क्यों शामिल हैं, इसका प्रमुख कारण बेरोजगारी है. उनमें नैतिक शिक्षा की कमी है. इन युवाओं को भटकाना, बहकाना आसान है. राजनीतिक दल जिन्हें ऐसी घटनाओं से फायदा हो रहा हो या फिर असामाजिक तत्व ऐसे युवाओं को गुमराह कर देते हैं. दूसरा कारण है शिक्षा का अभाव. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का अभाव है, स्कूलों में शिक्षकों की घोर कमी है, कॉलेजों में भी शिक्षकों की कमी है और पढ़ाई नहीं हो रही है.
"विद्यार्थी डिग्री लेने के लिए कॉलेज में दाखिला ले ले रहे हैं लेकिन वह पढ़ नहीं पा रहे हैं क्योंकि शिक्षकों का अभाव रह रहा है. बेरोजगारी का स्तर भी अपने चरम पर है और सरकारी विभाग में वर्षों से पद खाली पड़े हुए हैं लेकिन बहाली नहीं हो रही. बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवा भटकाव में आसानी से आ जाते हैं. स्कूलों में नैतिक शिक्षा बेहद जरूरी है ताकि आपसी प्रेम भाईचारा और सौहार्द बच्चे समझें."-दिलीप कुमार, छात्र नेता
मनोचिकित्सक डॉ मनोज कुमार ने बताया कि युवा वर्ग में उत्साह काफी अधिक होता है और उनके मन में उत्तेजना काफी अधिक रहती है. खासकर 18-24 साल के उम्र के बीच उत्तेजना अधिक देखने को मिलताी है. मन किसी एक जगह पर स्थिर नहीं रहता बल्कि कई विषयों पर एक साथ मन दौड़ता है. युवा वर्ग असामाजिक गतिविधियों में सम्मिलित हो रहे हैं तो इसके पीछे कई कारण है. जिसमें पहला कारण नैतिक पतन है. यह देखने को मिलता है कि जो बच्चे मां बाप से कम बातें करते हैं, घर परिवार में लोगों से अधिक मतलब नहीं रखते, ऐसे बच्चों का असामाजिक गतिविधियों में संलिप्त होने का खतरा कई गुना अधिक बढ़ जाता है.
"बेरोजगारी भी एक प्रमुख कारण है. युवा वर्ग को एक निश्चित शिक्षा के बाद रोजगार चाहिए होता है. रोजगार कि प्रदेश में कमी है. ऐसे में यह युवा वर्ग एक तो बेरोजगारी के कारण तनाव में रहता है. दूसरा खाली दिमाग कई जगहों पर दौड़ता है और इसी क्रम में कोई भी उन्हें असामाजिक कार्यों के लिए बहला फुसला लेता है."- मनोज कुमार, मनोचिकित्सक