पटना: बिहार में शिक्षकों के वेतन वृद्धि की घोषणा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने वर्ष 2020 में विधानसभा चुनाव से पहले की थी. उन्होंने कहा था कि शिक्षकों के वेतन में 15% की वृद्धि 1 अप्रैल 2021 के प्रभाव से दी जाएगी. सरकार ने बाद में इसे लेकर एक संकल्प भी जारी किया था. इस वर्ष जनवरी महीने में सारी प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश भी जारी हो गया था. लेकिन शिक्षा विभाग के ऑनलाइन कैलकुलेटर ने मामले को सुलझाने की बजाय और पेंचीदा बना दिया.
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फरवरी महीना भी खत्म होने को है और बिहार के किसी भी जिले में 15% वेतन वृद्धि का सरकार का आदेश लागू नहीं हो पाया है. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ और बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने इस बात की पुष्टि की है कि ऑनलाइन कैलकुलेटर एक छलावा साबित हुआ है. ऐसे में शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर होने की बजाय और बढ़ गई. अब तो शिक्षक यह मांग कर रहे हैं कि पहले 15% वेतन वृद्धि लागू कर दीजिए उसके बाद सभी जिलों में कैंप लगाइए और कैंप लगाकर शिक्षकों की वेतन वृद्धि के साथ वेतन विसंगति का मामला दूर करिए.
इस बारे में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ से जुड़े मोतिहारी के माध्यमिक शिक्षक आशीष कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने राज्यपाल, मुख्यमंत्री और शिक्षा विभाग के मंत्री और अधिकारियों को इस बारे में लिखा है. उन से निवेदन किया है कि शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर करना जरूरी है. उन्होंने इसके लिए एक उपाय भी सुझाया है कि अगर प्राथमिक शिक्षकों के वेतन में महज ₹410 और माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षकों के वेतन में भी कुछ हजार की वृद्धि कर दी जाए तो उन्हें राज्य कर्मी का दर्जा मिल जाएगा. सारी वेतन विसंगति दूर हो जाएगी और सीनियर जूनियर का मामला भी खत्म हो जाएगा.
आशीष कुमार ने बताया कि उन्होंने विस्तृत रूप से आवेदन राज्यपाल, मुख्यमंत्री और शिक्षा विभाग को दिया है. यह मांग भी की है कि महज 3-4% खर्च प्रतिवर्ष बढ़ाकर सरकार शिक्षकों की तमाम समस्याओं का समाधान कर सकती है. इसका सकारात्मक असर बिहार के शिक्षा और छात्रों पर ही पड़ेगा. आशीष कुमार ने कहा कि जब तक शिक्षक खुश नहीं होंगे, जब तक उनके ऊपर से मानसिक दबाव खत्म नहीं होगा, तब तक शिक्षा की बेहतरी की बात करना बेइमानी है. इसलिए बेहतर हो कि हम केरल जैसे राज्य को फॉलो करें, जहां शिक्षकों से जुड़ी कोई समस्या ही नहीं है. इसलिए वहां साक्षरता दर 100 फीसदी है.
सरकार को सलाह देते हुए आशीष कुमार ने कहा है कि अगर प्राइमरी शिक्षक का वेतन (Primary Teacher Salary in Bihar) स्केल 2000 में ₹410, 2400 ग्रेड वाले शिक्षकों का वेतन ग्रेड में ₹3020 और 2800 ग्रेड वाले उच्चतर माध्यमिक शिक्षकों के वेतन में ₹5550 की वृद्धि कर दी जाए तो इन सभी को राज्य कर्मी का दर्जा मिल जाएगा और तमाम तकनीकी समस्याएं दूर हो जाएंगी. आशीष कुमार ने कहा कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद नया स्लैब बनाने के बाद भी फोर्थ ग्रेड और क्लर्क के बराबर भी वेतन शिक्षकों को नहीं मिल पाएगा.
इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक ऑनलाइन कैलकुलेटर लागू करने के बाद सरकार ने दावा किया था कि वेतन विसंगति दूर हो जाएगी. शिक्षकों को 15% वेतन वृद्धि का लाभ मिल जाएगा. लेकिन, विभिन्न जिलों से मिले आंकड़ों के मुताबिक औरंगाबाद में नियोजित शिक्षकों का वेतन अन्य जिलों से ज्यादा है. वहीं, सबसे कम नियोजित शिक्षक का वेतन पटना, मोतिहारी, बेतिया का है. जबकि, वैशाली और बांका के वेतन में काफी अंतर है. किसी भी जिले में शिक्षकों के वेतन में एकरूपता नहीं है. एक ही वर्ष योगदान तिथि होने पर भी मूल वेतन दो प्रकार का है.
बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि सरकार का आदेश लागू होना आसान नहीं लग रहा है. तमाम दावों के बावजूद ऑनलाइन कैलकुलेटर आने से शिक्षकों की वेतन विसंगति और ज्यादा बढ़ गई है. उन्होंने दावा किया कि बिहार के किसी भी जिले में डीपीओ स्थापना की तरफ से शिक्षकों का नया वेतन पर्ची अप्रूव नहीं हो पाया है. जब तक डीपीओ स्थापना शिक्षकों की वेतन पर्ची अप्रूव नहीं करेंगे तब तक वेतन वृद्धि लागू नहीं हो पाएगी. ऐसे में फिलहाल पुराना वेतन ही शिक्षकों को मिलेगा.
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