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नक्सलियों के सफाए के लिए ग्रेहाउंड कमांडो से ट्रेनिंग लेगी बिहार STF, होगा बड़ा फायदा - greyhound commandos Of Telangana

नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में अपना लोहा मनवा चुकी तेलंगाना की ग्रेहाउंड कमांडो (greyhound commandos Of Telangana) की टेक्निक का इस्तेमाल अब बिहार में भी नक्सलियों के खिलाफ किया जाएगा. खबर में पढ़ें क्या है ग्रेहाउंड ट्रेनिंग सेंटर और कितनी सख्त होती है इसकी ट्रेनिंग....

तेलंगाना में ग्रेहाउंड ट्रेनिंग
तेलंगाना में ग्रेहाउंड ट्रेनिंग
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Published : Jan 6, 2022, 2:59 PM IST

Updated : Jan 6, 2022, 5:19 PM IST

पटनाः बिहार में नक्सलियों के खिलाफ अभियान में जुटी एसटीएफ को अब और मजबूत किया जाएगा. नक्सलियों को लेकर चलाए जाने वाले ऑपरेशन में एसटीएफ की अहम भूमिका रहती है. इसलिए एसटीएफ के जवानों को विशेष प्रशिक्षण के लिए तेलंगाना (Bihar STF take training from greyhound commandos) भेजा जा रहा है, जहां ये जवान हैदराबाद के पास स्थित ग्रेहाउंड सेंटर में ट्रेनिंग (Greyhound Training Centre in Hyderabad ) लेंगे.

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जानकारी के मुताबिक बिहार एसटीएफ के लिए चुने गए 40 जवानों और अफसरों को तेलंगाना में ग्रेहाउंड कमांडो द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा. इनमें 36 जवान और चार सब इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारी शामिल होंगे. जो कल यानी कि 7 जनवरी को प्रशिक्षण के लिए रवाना होंगे. ग्रेहाउंड के पास नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन करने का बेहतर अनुभव है. ऐसे में बिहार एसटीएफ को उनके साथ ट्रेनिंग करने से काफी फायदा होगा.

दरअसल, इन 40 जवानों सहित चार सब इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारी को बिहार एसटीएफ के लिए चयनित किया गया है. इन्हें विशेष तरह का प्रशिक्षण दिलवाने के बाद इन्हें नक्सली ऑपरेशन के लिए बनाए गए अभियान दल में शामिल किया जाएगा. जिसके लिए बिहार पुलिस के तेज तर्रार और कम उम्र के जवानों को चयनित किया गया है. आपको बता दें कि साल 2021 में बिहार पुलिस की पहली महिला बटालियन को पहली बार विशेष तरह की ट्रेनिंग अर्धसैनिक बल के तर्ज पर दिया गया है. जिन्हें नक्सलियों से लेकर आतंकियों तक के ऑपरेशन में लगाए जाने के साथ-साथ वीआईपी की सुरक्षा में तैनात किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- नक्सलियों पर सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी, बिहार-झारखंड पुलिस ने बनाई रणनीति

बताया गया है कि तेलंगाना के ग्रेहाउंड प्रशिक्षण केंद्र में इन सभी जवानों की ट्रेनिंग 2 महीने चलेगी. हैदराबाद के पास स्थित ग्रेहाउंड ट्रेनिंग सेंटर में इस विशेष प्रशिक्षण की पूरी व्यवस्था है. कई राज्यों की पुलिस अपने बल को वहां प्रशिक्षण दिलाती है. इस विशेष प्रशिक्षण में जंगल और दुर्गम पहाड़ी इलाकों में अभियान के दौरान आने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए जवानों को तैयार किया जाता है. ताकि प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जवान नक्सलियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन में कामयाब हो सकें.

यह प्रशिक्षण काफी सख्त माना जाता है. इस फोर्स के जवानों को जंगल, पानी और पहाड़ पर रहने, ऑपरेशन चलाने, नक्सलियों को छिपकर मारने की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. जंगल में बिना खाए-पिए कैसे समय गुजारा जा सकता है, इसका प्रशिक्षण भी दिया जाता है. आंध्रप्रदेश में फैले नक्सलवाद को दूर करने में ग्रेहाउंड फोर्स (Greyhound training to eliminate naxalites) ने अब तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. झारखंड में भी नक्सलवाद से निपटने के लिए कोबरा बटालियन की टीम को इसकी ट्रेनिंग दी गई है. वर्तमान में कोबरा बटालियन ही नक्सलियों के खिलाफ झारखंड में लोहा ले रही है.

ये भी पढ़ेंः एक बार फिर बिहार में नक्सली हुए एक्टिव, पूर्व IPS बोले- नक्सलियों से लड़ना नीतीश सरकार की प्राथमिकता में नहीं

बता दें कि ग्रेहाउंड का गठन सन 1989 में आंध्रप्रदेश कैडर के आईपीएस अफसर केएस व्यास ने किया था. ग्रेहाउंड की कार्रवाई से बौखलाए नक्सलियों ने 1993 में केएस व्यास की हत्या कर दी थी. लेकिन शहीद होने से पहले आईपीएस ब्यास ने नक्सल मोर्चे पर लड़ने के लिए एक बेहद खतरनाक कमांडो की फौज खड़ी कर दी थी. ग्रेहाउंड कमांडो जमीन, आसमान, पानी और जंगल में भी वार करने में सक्षम हैं.

ग्रेहाउंड में करीब 2 हजार जवानों को कमांडो का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है. इनके पास खुद का हेलिकाॅप्टर और आधुनिक हथियार भी मौजूद है. हर ऑपरेशन के लिए गिनती के कमांडो को ही भेजा जाता है. ग्रेहाउंड के काम करने की जानकारी किसी को भी नहीं होती है. ग्रेहाउंड के बलबूते ही कभी नक्सलियों के सबसे सुरक्षित पनाहगाह समझे जाने वाले आंध्रप्रदेश को नक्सल मुक्त किया गया.

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पटनाः बिहार में नक्सलियों के खिलाफ अभियान में जुटी एसटीएफ को अब और मजबूत किया जाएगा. नक्सलियों को लेकर चलाए जाने वाले ऑपरेशन में एसटीएफ की अहम भूमिका रहती है. इसलिए एसटीएफ के जवानों को विशेष प्रशिक्षण के लिए तेलंगाना (Bihar STF take training from greyhound commandos) भेजा जा रहा है, जहां ये जवान हैदराबाद के पास स्थित ग्रेहाउंड सेंटर में ट्रेनिंग (Greyhound Training Centre in Hyderabad ) लेंगे.

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जानकारी के मुताबिक बिहार एसटीएफ के लिए चुने गए 40 जवानों और अफसरों को तेलंगाना में ग्रेहाउंड कमांडो द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा. इनमें 36 जवान और चार सब इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारी शामिल होंगे. जो कल यानी कि 7 जनवरी को प्रशिक्षण के लिए रवाना होंगे. ग्रेहाउंड के पास नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन करने का बेहतर अनुभव है. ऐसे में बिहार एसटीएफ को उनके साथ ट्रेनिंग करने से काफी फायदा होगा.

दरअसल, इन 40 जवानों सहित चार सब इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारी को बिहार एसटीएफ के लिए चयनित किया गया है. इन्हें विशेष तरह का प्रशिक्षण दिलवाने के बाद इन्हें नक्सली ऑपरेशन के लिए बनाए गए अभियान दल में शामिल किया जाएगा. जिसके लिए बिहार पुलिस के तेज तर्रार और कम उम्र के जवानों को चयनित किया गया है. आपको बता दें कि साल 2021 में बिहार पुलिस की पहली महिला बटालियन को पहली बार विशेष तरह की ट्रेनिंग अर्धसैनिक बल के तर्ज पर दिया गया है. जिन्हें नक्सलियों से लेकर आतंकियों तक के ऑपरेशन में लगाए जाने के साथ-साथ वीआईपी की सुरक्षा में तैनात किया जाएगा.

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बताया गया है कि तेलंगाना के ग्रेहाउंड प्रशिक्षण केंद्र में इन सभी जवानों की ट्रेनिंग 2 महीने चलेगी. हैदराबाद के पास स्थित ग्रेहाउंड ट्रेनिंग सेंटर में इस विशेष प्रशिक्षण की पूरी व्यवस्था है. कई राज्यों की पुलिस अपने बल को वहां प्रशिक्षण दिलाती है. इस विशेष प्रशिक्षण में जंगल और दुर्गम पहाड़ी इलाकों में अभियान के दौरान आने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए जवानों को तैयार किया जाता है. ताकि प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जवान नक्सलियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन में कामयाब हो सकें.

यह प्रशिक्षण काफी सख्त माना जाता है. इस फोर्स के जवानों को जंगल, पानी और पहाड़ पर रहने, ऑपरेशन चलाने, नक्सलियों को छिपकर मारने की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. जंगल में बिना खाए-पिए कैसे समय गुजारा जा सकता है, इसका प्रशिक्षण भी दिया जाता है. आंध्रप्रदेश में फैले नक्सलवाद को दूर करने में ग्रेहाउंड फोर्स (Greyhound training to eliminate naxalites) ने अब तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. झारखंड में भी नक्सलवाद से निपटने के लिए कोबरा बटालियन की टीम को इसकी ट्रेनिंग दी गई है. वर्तमान में कोबरा बटालियन ही नक्सलियों के खिलाफ झारखंड में लोहा ले रही है.

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बता दें कि ग्रेहाउंड का गठन सन 1989 में आंध्रप्रदेश कैडर के आईपीएस अफसर केएस व्यास ने किया था. ग्रेहाउंड की कार्रवाई से बौखलाए नक्सलियों ने 1993 में केएस व्यास की हत्या कर दी थी. लेकिन शहीद होने से पहले आईपीएस ब्यास ने नक्सल मोर्चे पर लड़ने के लिए एक बेहद खतरनाक कमांडो की फौज खड़ी कर दी थी. ग्रेहाउंड कमांडो जमीन, आसमान, पानी और जंगल में भी वार करने में सक्षम हैं.

ग्रेहाउंड में करीब 2 हजार जवानों को कमांडो का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है. इनके पास खुद का हेलिकाॅप्टर और आधुनिक हथियार भी मौजूद है. हर ऑपरेशन के लिए गिनती के कमांडो को ही भेजा जाता है. ग्रेहाउंड के काम करने की जानकारी किसी को भी नहीं होती है. ग्रेहाउंड के बलबूते ही कभी नक्सलियों के सबसे सुरक्षित पनाहगाह समझे जाने वाले आंध्रप्रदेश को नक्सल मुक्त किया गया.

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Last Updated : Jan 6, 2022, 5:19 PM IST
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