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Bihar Politics: सीएम के करीबी रहे 'हरिवंश नारायण सिंह' जरूरी या मजबूरी, जानें नीतीश का स्टैंड - nitish kumar stand regarding Harivansh

हरिवंश नारायण सिंह को राजनीति में लाने में सीएम नीतीश कुमार का अहम योगदान है. कभी एक दूसरे के बेहद करीबी रहने वाले नीतीश और उपसभापति हरिवंश को लेकर बयानबाजी जारी है. प्रशांत किशोर का कहना है कि नीतीश कुमार के लिए हरिवंश बीजेपी से कनेक्शन का माध्यम बने हुए हैं. वहीं नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में उपसभापति की उपस्थिति पर जदयू ने नाराजगी जताई है. ऐसे में बड़ा सवाल कि क्या यह संभव है कि हरिवंश पार्टी फैसले के खिलाफ जाएं और पार्टी कोई कार्रवाई न करे?

nitish kumar stand regarding Harivansh
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Published : Jun 1, 2023, 7:08 PM IST

उपसभापति हरिवंश पर छिड़ी बहस

पटना: नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने के बाद भी राज्यसभा में जदयू के सांसद हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा के उपसभापति बने हुए हैं. इसको लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं. जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि नीतीश कुमार ने बीजेपी में जाने के लिए हरिवंश को छोड़ रखा है. हालांकि इस बयान पर जदयू की तरफ से कभी भी गंभीरता से प्रतिक्रिया नहीं दी गई. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी कह चुके हैं कि पीके को जो बोलना है बोले. उस पर हम कुछ नहीं बोलेंगे.

पढ़ें- Prashant Kishor : 'नीतीश विश्वसनीय नहीं, अभी भी BJP से कनेक्शन' नई संसद भवन के विरोध पर बोले PK

उपसभापति हरिवंश पर छिड़ी बहस: हरिवंश कभी नीतीश कुमार के काफी नजदीकी माने जाते थे. जब हरिवंश को नीतीश कुमार ने राज्यसभा नहीं भेजा था तो उस समय बिहार में पत्रकारिता विश्वविद्यालय खोलने की चर्चा थी और जिम्मेवारी हरिवंश को देने की हो रही थी. हालांकि विश्वविद्यालय नहीं खुला और 2014 में पहली बार जदयू से राज्यसभा के लिए उन्हें सांसद चुना गया. 8 अगस्त 2018 में पहली बार उपसभापति बने. 2020 में जदयू के तरफ से दोबारा राज्यसभा उम्मीदवार बनाए गए और चुनाव भी जीते. 14 सितंबर 2020 को फिर से राज्यसभा उपसभापति के लिए चुने गए. एनडीए की तरफ से उम्मीदवार बनाए गए और आरजेडी के मनोज झा को हरिवंश नारायण सिंह ने पराजित किया.

नए संसद भवन उद्घाटन समारोह में हुए थे शामिल: एक बार फिर से बिहार की राजनीति में हरिवंश की चर्चा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के कारण हो रही है. जदयू ने इसका बहिष्कार किया था लेकिन उस समारोह में हरिवंश नारायण सिंह उपसभापति के नाते शामिल हुए और राष्ट्रपति का संबोधन पढ़ा था और इसको लेकर जदयू खेमे में नाराजगी है. जदयू मुख्य प्रवक्ता ने हरिवंश जी को लेकर तल्ख टिप्पणी की बौद्धिकता की जमीर बेचने तक की बात कही. यहां ये भी जानना जरूरी है कि सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति पर पार्टी का व्हीप लागू नहीं होता है. इसमें लोकसभा अध्यक्ष और उच्च सदन के उपसभापति शामिल हैं.

उनकी पार्टी विरोधी गतिविधि है. उनमें थोड़ी सी भी नैतिकता होगी तो फैसला लेंगे. ऐसे पार्टी का शीर्ष नेतृत्व देख रहा है.- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जदयू

PK ने कही थी ये बात: हरिवंश को लेकर जन सुराज के संयोजक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर लगातार नीतीश कुमार पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. प्रशांत किशोर का कहना है कि उपसभापति को पद छोड़ने के लिए इसलिए नहीं कहा जा रहा है कि बीजेपी में जब कभी जाना हो तो हरिवंश जी माध्यम बने. प्रशांत किशोर की तरफ से दिए जा रहे बयान पर नीतीश कुमार के नजदीकी संजय गांधी का कहना है कि प्रशांत किशोर क्यों बोलते हैं, यह तो वही बताएंगे और इस तरह की बात तो हमेशा बोलते रहते हैं.

ईटीवी भारत GFX
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"जहां तक हरिवंश जी की बात है फैसला उनको लेना है. हमारे नेता ने ही उनको राजनीति में यहां तक पहुंचाया है और आज जिस पद पर हैं, वहां तक पहुंचाने में भी हमारे नेता का ही योगदान है. हरिवंश जी को हमारे नेता ने पार्टी का जो लाइन और लेंथ तय किया है पता है."- संजय गांधी, विधान पार्षद, जदयू

जब जदयू ने राज्यसभा में भेजा था तो बड़ी बड़ी बात कही गई. आइकॉन को भेजा है, बुद्धिजीवी को भेजा है और जब उपसभापति के नाते हरिवंश जी नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए और राष्ट्रपति के संबोधन को पढ़ा तो उन्होंने इतिहास लिखा है. ऐसे में उनके खिलाफ बोलकर नीचता प्रदर्शित कर रहे हैं और लोकतंत्र का जदयू और महागठबंधन के नेता मखौल उड़ा रहे हैं.-प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

ईटीवी भारत GFX
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पार्टी विरोधी गतिविधि जदयू की तरफ से जरूर कही जा रही है लेकिन हरिवंश जी ने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन किया है. उन्होंने कोई पार्टी विरोधी गतिविधि की नहीं है. हरिवंश जी पर नीतीश कुमार कोई कार्रवाई करेंगे इसकी भी संभावना कम है क्योंकि पहले भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर कार्रवाई करने से बचते रहे हैं.- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ

महागठबंधन में जाने के बाद बढ़ी दूरी: नीतीश कुमार जब महागठबंधन में 2022 में फिर से शामिल हुए तो उस समय ललन सिंह ने बयान दिया था. 2017 में नीतीश कुमार को एनडीए में शामिल होने की सलाह 4 लोग दिए थे, उसमें संजय झा के साथ आरसीपी सिंह और हरिवंश जी भी शामिल थे. लेकिन महागठबंधन से निकलने से पहले नीतीश कुमार ने जब सांसदों और विधायकों की बैठक बुलाई थी तो उसमें हरिवंश को नहीं बुलाया था. बाद के पार्टी की बैठकों में भी हरिवंश शामिल नहीं हुए लेकिन पार्टी की तरफ से कभी भी उनके खिलाफ कोई शो कॉज नहीं किया गया. हरिवंश समाचार पत्रों में भी अपनी बात रखते रहे हैं. इन्हीं सब को लेकर प्रशांत किशोर लगातार नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं कि जब महागठबंधन में नीतीश कुमार चले गए तो अपने राज्यसभा सांसद को उपसभापति कैसे बनाए हुए हैं? बीजेपी के साथ लिंक बनाने के लिए कहीं ना कहीं उन्हें छोड़ रखा है.

हरिवंश की नहीं आई कोई प्रतिक्रिया: हालांकि इस मामले में उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह से प्रतिक्रिया लेने की ईटीवी भारत ने बहुत कोशिश की लेकिन उनका मोबाइल स्विच ऑफ था. यह जानकारी मिल रही है इन दिनों हरिवंश जी देश से बाहर हैं. ऐसे में देखना है कि पार्टी नेताओं की नाराजगी और प्रशांत किशोर के बयान पर उनकी क्या प्रतिक्रिया होती है. हालांकि पहले भी उदाहरण रहा है कि सोमनाथ चटर्जी जब लोकसभा के अध्यक्ष थे तो उनकी पार्टी के तरफ से उन पर इस्तीफा देने का दबाव बना था लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया बाद में उनकी पार्टी ने उन्हें निकाल दिया था. पार्टी से निकाले जाने के बाद भी उनके स्पीकर पद पर कोई असर नहीं पड़ा.

कार्रवाई को लेकर सस्पेंस बरकरार: ऐसे में हरिवंश पर भी पार्टी की तरफ से कोई कार्रवाई होगी, इसकी संभावना कम है. यह तय है कि उपसभापति पद पर फिलहाल किसी तरह का कोई खतरा नहीं होगा. ऐसे भी नीतीश कुमार दूरदर्शी नेता माने जाते हैं. आरसीपी सिंह के बीजेपी में शामिल होने के बाद जदयू में अब कोई ऐसा नेता नहीं बचा है जो बीजेपी के साथ बातचीत कर सके और ऐसे में यदि कभी राजनीतिक परिस्थितियां बनी तो हरिवंश जी उनके लिए मददगार हो सकते हैं. इसलिए हरिवंश जी को लेकर पार्टी की तरफ से भले ही नाराजगी जताई जा रही है लेकिन कोई बड़ी कार्रवाई होगी नीतीश कुमार की तरफ से इस पर सस्पेंस है.

पढ़ें- New Parliament House: 'उपसभापति हरिवंश ने अपनी बौद्धिकता की जमीर बेच दी', JDU का तंज

उपसभापति हरिवंश पर छिड़ी बहस

पटना: नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होने के बाद भी राज्यसभा में जदयू के सांसद हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा के उपसभापति बने हुए हैं. इसको लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं. जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि नीतीश कुमार ने बीजेपी में जाने के लिए हरिवंश को छोड़ रखा है. हालांकि इस बयान पर जदयू की तरफ से कभी भी गंभीरता से प्रतिक्रिया नहीं दी गई. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी कह चुके हैं कि पीके को जो बोलना है बोले. उस पर हम कुछ नहीं बोलेंगे.

पढ़ें- Prashant Kishor : 'नीतीश विश्वसनीय नहीं, अभी भी BJP से कनेक्शन' नई संसद भवन के विरोध पर बोले PK

उपसभापति हरिवंश पर छिड़ी बहस: हरिवंश कभी नीतीश कुमार के काफी नजदीकी माने जाते थे. जब हरिवंश को नीतीश कुमार ने राज्यसभा नहीं भेजा था तो उस समय बिहार में पत्रकारिता विश्वविद्यालय खोलने की चर्चा थी और जिम्मेवारी हरिवंश को देने की हो रही थी. हालांकि विश्वविद्यालय नहीं खुला और 2014 में पहली बार जदयू से राज्यसभा के लिए उन्हें सांसद चुना गया. 8 अगस्त 2018 में पहली बार उपसभापति बने. 2020 में जदयू के तरफ से दोबारा राज्यसभा उम्मीदवार बनाए गए और चुनाव भी जीते. 14 सितंबर 2020 को फिर से राज्यसभा उपसभापति के लिए चुने गए. एनडीए की तरफ से उम्मीदवार बनाए गए और आरजेडी के मनोज झा को हरिवंश नारायण सिंह ने पराजित किया.

नए संसद भवन उद्घाटन समारोह में हुए थे शामिल: एक बार फिर से बिहार की राजनीति में हरिवंश की चर्चा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के कारण हो रही है. जदयू ने इसका बहिष्कार किया था लेकिन उस समारोह में हरिवंश नारायण सिंह उपसभापति के नाते शामिल हुए और राष्ट्रपति का संबोधन पढ़ा था और इसको लेकर जदयू खेमे में नाराजगी है. जदयू मुख्य प्रवक्ता ने हरिवंश जी को लेकर तल्ख टिप्पणी की बौद्धिकता की जमीर बेचने तक की बात कही. यहां ये भी जानना जरूरी है कि सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति पर पार्टी का व्हीप लागू नहीं होता है. इसमें लोकसभा अध्यक्ष और उच्च सदन के उपसभापति शामिल हैं.

उनकी पार्टी विरोधी गतिविधि है. उनमें थोड़ी सी भी नैतिकता होगी तो फैसला लेंगे. ऐसे पार्टी का शीर्ष नेतृत्व देख रहा है.- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जदयू

PK ने कही थी ये बात: हरिवंश को लेकर जन सुराज के संयोजक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर लगातार नीतीश कुमार पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. प्रशांत किशोर का कहना है कि उपसभापति को पद छोड़ने के लिए इसलिए नहीं कहा जा रहा है कि बीजेपी में जब कभी जाना हो तो हरिवंश जी माध्यम बने. प्रशांत किशोर की तरफ से दिए जा रहे बयान पर नीतीश कुमार के नजदीकी संजय गांधी का कहना है कि प्रशांत किशोर क्यों बोलते हैं, यह तो वही बताएंगे और इस तरह की बात तो हमेशा बोलते रहते हैं.

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"जहां तक हरिवंश जी की बात है फैसला उनको लेना है. हमारे नेता ने ही उनको राजनीति में यहां तक पहुंचाया है और आज जिस पद पर हैं, वहां तक पहुंचाने में भी हमारे नेता का ही योगदान है. हरिवंश जी को हमारे नेता ने पार्टी का जो लाइन और लेंथ तय किया है पता है."- संजय गांधी, विधान पार्षद, जदयू

जब जदयू ने राज्यसभा में भेजा था तो बड़ी बड़ी बात कही गई. आइकॉन को भेजा है, बुद्धिजीवी को भेजा है और जब उपसभापति के नाते हरिवंश जी नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए और राष्ट्रपति के संबोधन को पढ़ा तो उन्होंने इतिहास लिखा है. ऐसे में उनके खिलाफ बोलकर नीचता प्रदर्शित कर रहे हैं और लोकतंत्र का जदयू और महागठबंधन के नेता मखौल उड़ा रहे हैं.-प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता

ईटीवी भारत GFX
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पार्टी विरोधी गतिविधि जदयू की तरफ से जरूर कही जा रही है लेकिन हरिवंश जी ने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन किया है. उन्होंने कोई पार्टी विरोधी गतिविधि की नहीं है. हरिवंश जी पर नीतीश कुमार कोई कार्रवाई करेंगे इसकी भी संभावना कम है क्योंकि पहले भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर कार्रवाई करने से बचते रहे हैं.- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ

महागठबंधन में जाने के बाद बढ़ी दूरी: नीतीश कुमार जब महागठबंधन में 2022 में फिर से शामिल हुए तो उस समय ललन सिंह ने बयान दिया था. 2017 में नीतीश कुमार को एनडीए में शामिल होने की सलाह 4 लोग दिए थे, उसमें संजय झा के साथ आरसीपी सिंह और हरिवंश जी भी शामिल थे. लेकिन महागठबंधन से निकलने से पहले नीतीश कुमार ने जब सांसदों और विधायकों की बैठक बुलाई थी तो उसमें हरिवंश को नहीं बुलाया था. बाद के पार्टी की बैठकों में भी हरिवंश शामिल नहीं हुए लेकिन पार्टी की तरफ से कभी भी उनके खिलाफ कोई शो कॉज नहीं किया गया. हरिवंश समाचार पत्रों में भी अपनी बात रखते रहे हैं. इन्हीं सब को लेकर प्रशांत किशोर लगातार नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं कि जब महागठबंधन में नीतीश कुमार चले गए तो अपने राज्यसभा सांसद को उपसभापति कैसे बनाए हुए हैं? बीजेपी के साथ लिंक बनाने के लिए कहीं ना कहीं उन्हें छोड़ रखा है.

हरिवंश की नहीं आई कोई प्रतिक्रिया: हालांकि इस मामले में उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह से प्रतिक्रिया लेने की ईटीवी भारत ने बहुत कोशिश की लेकिन उनका मोबाइल स्विच ऑफ था. यह जानकारी मिल रही है इन दिनों हरिवंश जी देश से बाहर हैं. ऐसे में देखना है कि पार्टी नेताओं की नाराजगी और प्रशांत किशोर के बयान पर उनकी क्या प्रतिक्रिया होती है. हालांकि पहले भी उदाहरण रहा है कि सोमनाथ चटर्जी जब लोकसभा के अध्यक्ष थे तो उनकी पार्टी के तरफ से उन पर इस्तीफा देने का दबाव बना था लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया बाद में उनकी पार्टी ने उन्हें निकाल दिया था. पार्टी से निकाले जाने के बाद भी उनके स्पीकर पद पर कोई असर नहीं पड़ा.

कार्रवाई को लेकर सस्पेंस बरकरार: ऐसे में हरिवंश पर भी पार्टी की तरफ से कोई कार्रवाई होगी, इसकी संभावना कम है. यह तय है कि उपसभापति पद पर फिलहाल किसी तरह का कोई खतरा नहीं होगा. ऐसे भी नीतीश कुमार दूरदर्शी नेता माने जाते हैं. आरसीपी सिंह के बीजेपी में शामिल होने के बाद जदयू में अब कोई ऐसा नेता नहीं बचा है जो बीजेपी के साथ बातचीत कर सके और ऐसे में यदि कभी राजनीतिक परिस्थितियां बनी तो हरिवंश जी उनके लिए मददगार हो सकते हैं. इसलिए हरिवंश जी को लेकर पार्टी की तरफ से भले ही नाराजगी जताई जा रही है लेकिन कोई बड़ी कार्रवाई होगी नीतीश कुमार की तरफ से इस पर सस्पेंस है.

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