पटना: बिहार में बाढ़ से हाहाकार है. ईटीवी भारत के पास अक्सर बाढ़ प्रभावित अन्य जिलों से मदद नहीं पहुंचने की खबरें आ रहीं हैं. राजधानी पटना में ही गंगा की भीषण बाढ़ से लोगों को मदद नहीं पहुंच पा रही है तो दूसरे जिलों की बात ही क्या है? लगातार गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है. लोगों को घर, दुकान, मकान, गांव, पशु सब डूबे हुए हैं. बाढ़ पीड़ितों के घरों में कई दिन से चूल्हे नहीं जले हैं. खाने की बात तो दूर शुद्ध पीने का पानी तक इन्हें मयस्सर नहीं हो पा रहा है.
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तस्वीरें राजधानी मुख्यालय से ज्यादा दूर की नहीं हैं. पटना सिटी के कंगन घाट और किला घाट के किनारे बसे लोगों के घरों तक पानी पहुंच गया है. गंगा का पानी वहां तक पहुंच चुका है जहां कल तक चूल्हे जला करते थे. कई दिनों से खाना नहीं बन रहा है. लोग भूख प्यास से बेहाल हैं. बड़े तो परिस्थिति देखकर अपनी भूख को दबाए हुए हैं. बच्चे बिलख रहे हैं. ऐसे में लोग सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं
'हमारी सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द हम तक मदद पहुंचे. हम लोग कई दिनों से भूखे प्यासे हैं. घरों में पानी घुस चुका है. दुकानें भी डूबीं हुईं हैं. जो राशन है वो भी डूबकर खराब हो गया है. पशुओं के चारे की किल्लत है. लोग अपने मवेशियों को गंगा में छोड़ दे रहे हैं. मवेशी बहते हुए आ रहे हैं. उनके खाने का कोई इंतजाम नहीं है'- बाढ़ पीड़ित, स्थानीय निवासी
कंगन घाट और किला घाट के किनारे बसे लोग जल कैदी बने हुए हैं. इनतक अगर मदद नहीं पहुंची तो लोगों में सरकार के प्रति आक्रोश भी बढ़ता जा रहा है. सीएम नीतीश ने 11 अगस्त को कंगन घाट पहुंचकर निरीक्षण किया था. यहां के स्थानीय निवासियों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया था. लेकिन हालात देखकर नहीं लगता कि इनतक कोई सरकारी मदद पहुंची है.
सीएम नीतीश के आदेश के बावजूद राहत सिर्फ कागजों पर ही सिमट गई है. लोग भूख और प्यास से परेशान हैं. एक बड़ी आबादी बाढ़ग्रस्त है. सरकार को जल्द से जल्द इस इलाके में कम से कम शुद्ध पानी और खाने का इंतजाम करना होगा. ऐसी यहां के स्थानीय लोगों की मांग है.
आपको बता दें कि बिहार में गंगा की बाढ़ से 12 जिले प्रभावित हैं. गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. अगर इसी तरह से गंगा का जलस्तर बढ़ता रहा तो साल 2016 की बाढ़ का रिकॉर्ड टूट जाएगा. लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित होंगे.
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