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Smart City 2020: स्मार्ट सिटी रैंकिंग में भी बिहार फिसड्डी, नगर विकास विभाग ने साधी चुप्पी

देश में स्मार्ट सिटी रैंकिंग (Smart City Ranking) की घोषणा के साथ ही बिहार (Bihar) की चारों स्मार्ट सिटी की कलई भी खुल गई. जिन शहरों को स्मार्ट होकर राज्य की शान बनना था, वो पूरे देश में फिसड्डी साबित हुए हैं. आखिर ऐसा क्या कारण है जिसके चलते बिहार का कोई भी शहर स्मार्ट सिटी की सूची में जगह नहीं बना पाया है. देखें ये रिपोर्ट.

पटना
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Published : Jun 28, 2021, 8:20 PM IST

पटना: इंडिया स्मार्ट सिटी अवार्ड 2020 (Smart Cities Award 2020) के विजेताओं की घोषणा हो गई है. जिसमें बिहार का कोई भी शहर शामिल नहीं है. केंद्रीय आवास और शहरी मंत्रालय (एमओएचयूए) में स्मार्ट सिटी मिशन के 6 साल पूरा होने पर शुक्रवार को एक ऑनलाइन कार्यक्रम इंडिया स्मार्ट सिटीज प्रतियोगिता (ISAC) में इस अवार्ड का ऐलान किया.

ये भी पढ़ें- 5 साल में 5 प्रोजेक्ट भी नहीं हुआ पूरा, कैसे स्मार्ट बनेगा पटना?

इस मिशन के तहत 100 शहर चुने गए थे. जिनमें बिहार के चार शहर पटना, मुजफ्फरपुर, बिहारशरीफ और भागलपुर को शामिल किया गया था. इन शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए सरकार की तरफ से कई सारी योजनाओं की घोषणा की गई थी. लेकिन, अभी तक एक भी परियोजना इन शहरों में धरातल पर नहीं उतर सकी है. जबकि मध्यप्रदेश के इंदौर और गुजरात के सूरत को संयुक्त रूप से साल 2020 की सबसे स्मार्ट सिटी के अवार्ड से नवाजा गया है.

स्मार्ट सिटी रैंकिंग में भी पिछड़ा बिहार
स्मार्ट सिटी रैंकिंग में भी पिछड़ा बिहार

स्मार्ट सिटी रैंकिंग में भी पिछड़ा बिहार
पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में शामिल स्मार्ट सिटी योजना महत्वपूर्ण है. 2015 में मोदी सरकार ने देश के 100 शहर को स्मार्ट बनाने का निर्णय लिया था. जिसमें बिहार के 4 शहर को भी चुना गया था. इन शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए केंद्रीय शहरी एवं आवास मंत्रालय की तरफ से कई सारी योजनाओं को लेकर घोषणा की गई थी. राज्य सरकार ने भी इन योजनाओं को लेकर कई कार्यों का ऐलान किया. लेकिन, 6 साल बीत जाने के बाद भी बिहार में एक भी कार्य धरातल पर नहीं दिख रहा है.

कई परियोजनाओं पर चल रहा काम
कई परियोजनाओं पर चल रहा काम

धरातल पर नहीं दिखी कोई परियोजना
मुजफ्फरपुर, बिहारशरीफ और भागलपुर को तो छोड़ दें राजधानी पटना में भी 1-2 कार्य छोड़ कर कोई भी स्मार्ट सिटी की परियोजना अभी तक धरातल पर नहीं दिखी है. सरकार की तरफ से हर बार स्मार्ट सिटी को लेकर समीक्षा बैठक भी होती है. लेकिन उस बैठक का भी कोई नतीजा नहीं दिखा है. बैठक के माध्यम से सरकार स्मार्ट सिटी लेकर कई योजनाओं को चयन करती है और फिर उसे रद्द करती है, इसी में 6 साल गुजार दिए. जिसके कारण जब अवार्ड की बात आती है, तो हम फिसड्डी हो जाते हैं.

पटना स्मार्ट सिटी को 61वां स्थान मिला
पटना स्मार्ट सिटी को 61वां स्थान मिला

स्मार्ट सिटी के लिए मानक
इंडिया स्मार्ट सिटी अवार्ड को लेकर कई मानकों का ध्यान रखा जाता है. जिसमें सामाजिक पहलू, शासन, संस्कृति, शहरी पर्यावरण, स्वच्छता, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और जल जैसे कई मापदंड के आधार पर पुरस्कार दिए जाते हैं. इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स (ICCC) के सस्टेनेबल बिजनेस मॉडल और कोविड -19 प्रबंधन में इनोवेशन को भी अवार्ड के लिए काउंट किया गया.

स्मार्ट सिटी रैंकिंग में फिसड्डी बिहार
स्मार्ट शहरों की वर्तमान रैंकिंग के अनुसार बिहार के चार शहर पटना, बिहारशरीफ, भागलपुर और मुजफ्फरपुर को जो रैंक देशभर में दिया गया है. उसमें पटना स्मार्ट सिटी को 61वें स्थान पर रखा गया है. जबकि बिहारशरीफ को 70, भागलपुर को 91 और मुजफ्फरपुर को 99वें स्थान पर रखा गया है.

ये भी पढ़ें- आबादी 20 लाख... 11 स्टैंड के 'सहारे' 34 हजार ऑटो... ऐसे स्मार्ट बनेगा पटना?

देखें ये रिपोर्ट

तारकिशोर प्रसाद ने साधी चुप्पी
शहर को मिली रैंक को लेकर जब हमने नगर विकास विभाग के मंत्री तारकिशोर प्रसाद से बात की तो उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. ऑफ द रिकॉर्ड उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी में पैसों का इस्तेमाल, चल रही परियोजनाओं, टेंडर स्टेज में प्रोजेक्ट को अधिक महत्व दिया गया है. स्मार्ट शहरों के आंकने के लिए कई पैरामीटर का ध्यान रखा गया है. बिहार में कोविड 19 की वजह से प्रोजेक्ट के लिए फंड का इस्तेमाल भी ठीक से नहीं हो पाया है, जिसकी वजह से रैंक बेहतर नहीं मिली है.

सरकार के कार्यों पर विपक्ष का कटाक्ष
इंडिया स्मार्ट सिटी अवॉर्ड 2020 में बिहार को फिसड्डी होने पर विपक्ष ने सरकार के कार्यों पर कटाक्ष किया है. राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जब बिहार सरकार ही स्मार्ट नहीं है, तो फिर शहर को सरकार स्मार्ट कैसे बना सकती है.

''सरकार भले ही स्मार्ट सिटी को लेकर लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाए. लेकिन शहर की जो हालत बारिश के समय हो जाती है, वो किसी से छुपा नहीं है. महज कुछ घंटों की बारिश की वजह से शहर में जलजमाव की स्थिति आज भी बन जा रही है. तो ऐसे में शहर कैसे स्मार्ट बनेगा. सरकार ने भले ही स्मार्ट सिटी को लेकर परियोजनाओं की घोषणा कर रखी हो, लेकिन इस परियोजना के नाम पर सरकार सिर्फ घोटाले ही करती है, धरातल पर एक भी कार्य नहीं दिखता है.''- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता राजद

मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता राजद
मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता राजद

तर्क देने में जुटे बीजेपी नेता
वहीं, स्मार्ट सिटी अवार्ड में बिहार के किसी भी शहर को पुरस्कार नहीं मिलने पर विपक्ष द्वारा किए जा रहे हमले को लेकर बीजेपी नेता अपने तर्क देने में लगे हुए हैं. बीजेपी प्रवक्ता अखिलेश सिंह ने कहा कि स्मार्ट सिटी अवार्ड को लेकर प्रक्रिया होती है, जिससे इसे गुजारना पड़ता है.

''स्मार्ट सिटी योजना को लेकर बिहार सरकार तत्पर है. कुछ कार्य भी हुए हैं, लेकिन 2 साल से कोविड-19 की वजह से कुछ कार्य अधूरे रह गए. इसकी वजह से बिहार के किसी भी शहर को शामिल नहीं किया गया. लेकिन स्मार्ट सिटी परियोजना को लेकर सरकार कार्य कर रही है. बहुत जल्द सभी परियोजना धरातल पर दिखने लगेंगे.''-अखिलेश सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

अखिलेश सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी
अखिलेश सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

PSCL को केंद्र से मिले 380 करोड़
बता दें कि पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड (PSCL) को अब तक केंद्र से 194 करोड़ सहित 380 करोड़ रुपए मिले हैं. इसमें से 121 करोड़ का इस्तेमाल किया जा चुका है. पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तहत केवल 2 परियोजनाएं गांधी मैदान में मेगा स्क्रीन और वीरचंद पटेल पथ के पुनर्विकास को पूरा किया गया है.

इन परियोजनाओं पर चल रहा काम
अदालतगंज झील क्षेत्र पुनर्विकास, जनसेवा केंद्र, इंटरमीडिएट पब्लिक ट्रांसपोर्ट स्टैंड, इंटेलिजेंट सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और आईसीसीसी कम पीएससीएल भवन का निर्माण हो रहा है. 6 परियोजनाएं जिनमें 3डी वॉल पेंटिंग, एसके मेमोरियल हॉल का फेसलिफ्ट, हैप्पी स्ट्रीट्स, बीरचंद पटेल मार्ग को जोड़ने वाली सड़क का विकास, ई-टॉयलेट और आईसीसीसी की स्थापना टेंडर स्टेज में हैं. अब देखने वाली बात होगी कि इन परियोजनाओं को सरकार कब तक धरातल पर उतार पाती है.

ये भी पढ़ें- पटना में कूड़ा डंपिंग यार्ड की कमी, समय से कचरा उठाव नहीं होने से शहर हो रहा गंदा

ये भी पढ़ें- स्मार्ट सिटी की रैंकिंग में हर साल पिछड़ रहा पटना, 100 शहरों की सूची में 68वां स्थान

ये भी पढ़ें- 2 घंटे की बारिश से पानी-पानी हुई राजधानी, खुली जल निकासी के दावों की पोल

पटना: इंडिया स्मार्ट सिटी अवार्ड 2020 (Smart Cities Award 2020) के विजेताओं की घोषणा हो गई है. जिसमें बिहार का कोई भी शहर शामिल नहीं है. केंद्रीय आवास और शहरी मंत्रालय (एमओएचयूए) में स्मार्ट सिटी मिशन के 6 साल पूरा होने पर शुक्रवार को एक ऑनलाइन कार्यक्रम इंडिया स्मार्ट सिटीज प्रतियोगिता (ISAC) में इस अवार्ड का ऐलान किया.

ये भी पढ़ें- 5 साल में 5 प्रोजेक्ट भी नहीं हुआ पूरा, कैसे स्मार्ट बनेगा पटना?

इस मिशन के तहत 100 शहर चुने गए थे. जिनमें बिहार के चार शहर पटना, मुजफ्फरपुर, बिहारशरीफ और भागलपुर को शामिल किया गया था. इन शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए सरकार की तरफ से कई सारी योजनाओं की घोषणा की गई थी. लेकिन, अभी तक एक भी परियोजना इन शहरों में धरातल पर नहीं उतर सकी है. जबकि मध्यप्रदेश के इंदौर और गुजरात के सूरत को संयुक्त रूप से साल 2020 की सबसे स्मार्ट सिटी के अवार्ड से नवाजा गया है.

स्मार्ट सिटी रैंकिंग में भी पिछड़ा बिहार
स्मार्ट सिटी रैंकिंग में भी पिछड़ा बिहार

स्मार्ट सिटी रैंकिंग में भी पिछड़ा बिहार
पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में शामिल स्मार्ट सिटी योजना महत्वपूर्ण है. 2015 में मोदी सरकार ने देश के 100 शहर को स्मार्ट बनाने का निर्णय लिया था. जिसमें बिहार के 4 शहर को भी चुना गया था. इन शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए केंद्रीय शहरी एवं आवास मंत्रालय की तरफ से कई सारी योजनाओं को लेकर घोषणा की गई थी. राज्य सरकार ने भी इन योजनाओं को लेकर कई कार्यों का ऐलान किया. लेकिन, 6 साल बीत जाने के बाद भी बिहार में एक भी कार्य धरातल पर नहीं दिख रहा है.

कई परियोजनाओं पर चल रहा काम
कई परियोजनाओं पर चल रहा काम

धरातल पर नहीं दिखी कोई परियोजना
मुजफ्फरपुर, बिहारशरीफ और भागलपुर को तो छोड़ दें राजधानी पटना में भी 1-2 कार्य छोड़ कर कोई भी स्मार्ट सिटी की परियोजना अभी तक धरातल पर नहीं दिखी है. सरकार की तरफ से हर बार स्मार्ट सिटी को लेकर समीक्षा बैठक भी होती है. लेकिन उस बैठक का भी कोई नतीजा नहीं दिखा है. बैठक के माध्यम से सरकार स्मार्ट सिटी लेकर कई योजनाओं को चयन करती है और फिर उसे रद्द करती है, इसी में 6 साल गुजार दिए. जिसके कारण जब अवार्ड की बात आती है, तो हम फिसड्डी हो जाते हैं.

पटना स्मार्ट सिटी को 61वां स्थान मिला
पटना स्मार्ट सिटी को 61वां स्थान मिला

स्मार्ट सिटी के लिए मानक
इंडिया स्मार्ट सिटी अवार्ड को लेकर कई मानकों का ध्यान रखा जाता है. जिसमें सामाजिक पहलू, शासन, संस्कृति, शहरी पर्यावरण, स्वच्छता, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और जल जैसे कई मापदंड के आधार पर पुरस्कार दिए जाते हैं. इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर्स (ICCC) के सस्टेनेबल बिजनेस मॉडल और कोविड -19 प्रबंधन में इनोवेशन को भी अवार्ड के लिए काउंट किया गया.

स्मार्ट सिटी रैंकिंग में फिसड्डी बिहार
स्मार्ट शहरों की वर्तमान रैंकिंग के अनुसार बिहार के चार शहर पटना, बिहारशरीफ, भागलपुर और मुजफ्फरपुर को जो रैंक देशभर में दिया गया है. उसमें पटना स्मार्ट सिटी को 61वें स्थान पर रखा गया है. जबकि बिहारशरीफ को 70, भागलपुर को 91 और मुजफ्फरपुर को 99वें स्थान पर रखा गया है.

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देखें ये रिपोर्ट

तारकिशोर प्रसाद ने साधी चुप्पी
शहर को मिली रैंक को लेकर जब हमने नगर विकास विभाग के मंत्री तारकिशोर प्रसाद से बात की तो उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया. ऑफ द रिकॉर्ड उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी में पैसों का इस्तेमाल, चल रही परियोजनाओं, टेंडर स्टेज में प्रोजेक्ट को अधिक महत्व दिया गया है. स्मार्ट शहरों के आंकने के लिए कई पैरामीटर का ध्यान रखा गया है. बिहार में कोविड 19 की वजह से प्रोजेक्ट के लिए फंड का इस्तेमाल भी ठीक से नहीं हो पाया है, जिसकी वजह से रैंक बेहतर नहीं मिली है.

सरकार के कार्यों पर विपक्ष का कटाक्ष
इंडिया स्मार्ट सिटी अवॉर्ड 2020 में बिहार को फिसड्डी होने पर विपक्ष ने सरकार के कार्यों पर कटाक्ष किया है. राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि जब बिहार सरकार ही स्मार्ट नहीं है, तो फिर शहर को सरकार स्मार्ट कैसे बना सकती है.

''सरकार भले ही स्मार्ट सिटी को लेकर लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाए. लेकिन शहर की जो हालत बारिश के समय हो जाती है, वो किसी से छुपा नहीं है. महज कुछ घंटों की बारिश की वजह से शहर में जलजमाव की स्थिति आज भी बन जा रही है. तो ऐसे में शहर कैसे स्मार्ट बनेगा. सरकार ने भले ही स्मार्ट सिटी को लेकर परियोजनाओं की घोषणा कर रखी हो, लेकिन इस परियोजना के नाम पर सरकार सिर्फ घोटाले ही करती है, धरातल पर एक भी कार्य नहीं दिखता है.''- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता राजद

मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता राजद
मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता राजद

तर्क देने में जुटे बीजेपी नेता
वहीं, स्मार्ट सिटी अवार्ड में बिहार के किसी भी शहर को पुरस्कार नहीं मिलने पर विपक्ष द्वारा किए जा रहे हमले को लेकर बीजेपी नेता अपने तर्क देने में लगे हुए हैं. बीजेपी प्रवक्ता अखिलेश सिंह ने कहा कि स्मार्ट सिटी अवार्ड को लेकर प्रक्रिया होती है, जिससे इसे गुजारना पड़ता है.

''स्मार्ट सिटी योजना को लेकर बिहार सरकार तत्पर है. कुछ कार्य भी हुए हैं, लेकिन 2 साल से कोविड-19 की वजह से कुछ कार्य अधूरे रह गए. इसकी वजह से बिहार के किसी भी शहर को शामिल नहीं किया गया. लेकिन स्मार्ट सिटी परियोजना को लेकर सरकार कार्य कर रही है. बहुत जल्द सभी परियोजना धरातल पर दिखने लगेंगे.''-अखिलेश सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

अखिलेश सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी
अखिलेश सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

PSCL को केंद्र से मिले 380 करोड़
बता दें कि पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड (PSCL) को अब तक केंद्र से 194 करोड़ सहित 380 करोड़ रुपए मिले हैं. इसमें से 121 करोड़ का इस्तेमाल किया जा चुका है. पटना स्मार्ट सिटी लिमिटेड के तहत केवल 2 परियोजनाएं गांधी मैदान में मेगा स्क्रीन और वीरचंद पटेल पथ के पुनर्विकास को पूरा किया गया है.

इन परियोजनाओं पर चल रहा काम
अदालतगंज झील क्षेत्र पुनर्विकास, जनसेवा केंद्र, इंटरमीडिएट पब्लिक ट्रांसपोर्ट स्टैंड, इंटेलिजेंट सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और आईसीसीसी कम पीएससीएल भवन का निर्माण हो रहा है. 6 परियोजनाएं जिनमें 3डी वॉल पेंटिंग, एसके मेमोरियल हॉल का फेसलिफ्ट, हैप्पी स्ट्रीट्स, बीरचंद पटेल मार्ग को जोड़ने वाली सड़क का विकास, ई-टॉयलेट और आईसीसीसी की स्थापना टेंडर स्टेज में हैं. अब देखने वाली बात होगी कि इन परियोजनाओं को सरकार कब तक धरातल पर उतार पाती है.

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