पटना: बिहार बच्चों की जनसंख्या के लिहाज से सबसे शीर्ष पर है और बच्चे देश का भविष्य होते हैं. ऐसे में बिहार सरकार ने बच्चों के लिए अलग बजट पेश कर उनकी चिंता की. बच्चों के लिए अलग बजट होने के सकारात्मक नतीजे भी सामने आ रहे हैं. लड़कियों की उपस्थिति स्कूलों में उम्मीद से ज्यादा है.
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अलग बजट का प्रावधान
बिहार में 14 साल से कम उम्र के बच्चों की आबादी देश में सबसे ज्यादा है. कुपोषित बच्चों की तादाद भी अच्छी खासी थी और बड़ी संख्या में बच्चे स्कूलों तक नहीं पहुंच पाते थे. बिहार सरकार ने अनोखी पहल करते हुए बच्चों के लिए अलग बजट का प्रावधान किया. पिछले बजट में 20889 करोड़ के खर्च का प्रावधान किया गया था. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बच्चों के लिए अलग बजट पेश करने की परंपरा की शुरुआत की थी.
बच्चों के लिए 80872 करोड़ का प्रावधान
साल 2013-14 से 2017-18 के दौरान बच्चों के लिए 80872 करोड़ का प्रावधान किया गया. जिनमें से 67101 करोड़ खर्च हुआ. बच्चों के बजट में प्रतिवर्ष 18.1 और खर्चों में 26% की वृद्धि हुई. हीरालाल और असम के बाद बिहार ऐसा राज्य है, जिसने बच्चों के लिए अलग बजट का प्रावधान किया. 8 विभागों के जरिए बच्चों के कल्याण और विकास पर खर्च के लिए बजट बनाया जाता है. वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार भारत में 40% आबादी 18 वर्ष से कम उम्र वाले लोगों की थी. जबकि बिहार में 48% था. देश में बच्चों की कुल आबादी का 11% हिस्सा बिहार में रहता है. राज्य में कुल 4.98 करोड़ बच्चे हैं. जिसमें 47.4% हिस्सा लड़कियों का है.
लड़कियों की बढ़ी उपस्थिति
बच्चों के अलग बजट पेश होने के बाद से कुछ परिवर्तन भी देखने को मिले हैं. खासकर स्कूलों में बच्चों और लड़कियों की उपस्थिति बढ़ी है. 2016-17 में विद्यालय में त्यागी बच्चों की कुल संख्या जहां 2.17 लाख थी. वहीं राज सरकार के प्रयासों के बाद 2018-19 में घटकर 1.44 लाख रह गई. बिहार सरकार के वित्त मंत्री तार किशोर प्रसाद ने कहा है कि बच्चों और महिलाओं को लेकर सरकार गंभीर है.
"खासकर बच्चों के विकास के लिए बिहार सरकार लगातार कोशिश कर रही है. उसी के तहत बच्चों के लिए अलग बजट के प्रावधान किए गए हैं. बिहार सरकार ने बच्चों के लिए ढेरों योजनाएं बनाई है और आगे भी इसे जारी रखा जाएगा"- तार किशोर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री
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आद्री के प्रयास के बाद बच्चों को लेकर बिहार में एक रिपोर्ट आई थी. उसके बाद से सरकार के स्तर पर पहल किए गए. साल 2007-8 में यूनिसेफ ने बच्चों से संबंधित एक अध्ययन किया था और उसके बाद से बच्चों के लिए अलग बजट को लेकर पहल हुए. 2013 से अब बच्चों के लिए अलग बजट का प्रावधान किया गया- अमित बक्शी, अर्थशास्त्री
कल्याण के लिए ढेरों योजनाएं
भाजपा नेता प्रेम रंजन पटेल भी मानते हैं कि अलग बजट के प्रावधान से बच्चों के कल्याण के लिए ढेरों योजनाएं धरातल पर आई हैं. बच्चों को पोषण के लिए जहां सरकार योजनाएं बना रही है. वहीं साइकिल योजना पोशाक योजना सफलतापूर्वक जारी है. योजनाओं का नतीजा है कि स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है.