पटना: बिहार में लाखों नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त का मामला आखिरी दौर में पहुंच गया है. सरकार अब इसे फाइनल टच दे कर जल्द से जल्द लागू कराने की तैयारी कर रही है. हालांकि, इससे पहले शिक्षक संघों से उनकी राय जानने की कोशिश की गई है.
बिहार के करीब चार लाख नियोजित शिक्षक कई सालों से सेवा शर्त लागू होने का इंतजार कर रहे हैं. बिहार सरकार ने 5 साल पहले एक हाई लेवल कमेटी सेवा शर्त को लेकर बनाई थी, जिसे 3 महीने में अपनी सिफारिश सरकार को देना था. लेकिन अब 5 साल से ज्यादा बीत चुके हैं और इस मामले में सिर्फ इतनी प्रगति हुई है कि कुछ दिन पहले सरकार ने कमेटी का पुनर्गठन कर दिया है.
ताजा जानकारी के मुताबिक, शिक्षा विभाग में सेवा शर्त का जो मसौदा तैयार किया है. उसपर शिक्षक संघों की राय लेने की कोशिश की गई है. विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, 'सरकार गैर वित्तीय मुद्दों को करीब-करीब लागू कर सकती है. वेतन और अन्य वित्तीय लाभ से संबंधित मामलों के लिए सरकार एक बार फिर नई कमेटी का गठन कर सकती है.'
नवल किशोर ने लिखा सरकार को पत्र
इन सबके बीच बीजेपी नेता नवल किशोर यादव ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिक्षकों के सेवा शर्त लागू करने की मांग की है. नवल किशोर यादव ने कहा कि शिक्षकों के लिए वेतन से ज्यादा महत्वपूर्ण उनके सेवा शर्त है क्योंकि लाखों शिक्षक कई साल से अपने परिवार से दूर रहकर नौकरी कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों को ना तो ईपीएफ और ना ही मेडिकल की पूरी सुविधा मिल रही है. सरकार को चाहिए कि वह पुराने शिक्षकों की तरह सेवा शर्त नियोजित शिक्षकों के मामले में भी लागू करें. नवल किशोर यादव ने उम्मीद जताई है कि बहुत जल्द सरकार सेवा शर्त का मामला सुलझा लेगी.
सरकार संवेदनशील है- शिक्षा मंत्री
इस मामले में हमने शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा से भी जानने की कोशिश की कि आखिर सेवा शर्त लागू करने में इतनी देरी क्यों हो रही है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार शिक्षकों के सेवा शर्त के मामले में गंभीरता से काम कर रही है. उन्होंने बताया कि शिक्षकों की सभी मांगों को लेकर सरकार संवेदनशील है और बहुत जल्द यह सबके सामने आ जाएगा.